Thursday, 23 February 2017

123 साल में 3 मैट्रिक पास




दानापुर। नगर परिषद दानापुर निजामत क्षेत्र में है राउंड टेबल नगर,दानापुर,गाभतल। यहां पर महादलित मुसहर समुदाय के लोग 123 साल से रहते रहे हैं। जनसंख्या 386 है। अभी तक 3 लोग ही मैट्रिक उर्त्तीण हैं। भूषण मांझी,पिंटू कुमार और राजेश मांझी। इन लोगों को चुनौती देने के लिए तैयार हैं गीता कुमारी, मनीषा कुमारी और ललिता कुमारी। 1 मार्च से मैट्रिक की परीक्षा शुरू होने वाली है। तीनों परीक्षा देने वाली हैं। काफी परिश्रम कर रही हैं। सर्वेश्रर उनकी उम्मीद और उमंग को शिखर पर पहुंचा दें। हर्ष की बात है कि बच्चे रद्दी कागज चुनने जाते हैं और समय पर रद्दी चुनकर स्कूल पड़ने चले जाते हैं। मजदूरी और शिक्षा साथ-साथ चल रही है। कोई 82 बच्चे गांधी नगर मध्य विघालय में अध्ययन करने जाते हैं। स्वैच्छिक संस्था मंथन द्वारा 1995 से 2000 तक और नारी गुंजन 2007 से 2012 तक कार्यशील थे। दोनों अपनी उम्मीद पूर्ण करके चले गये।
महादलितों की दिक्कत देख 1974 में राउंड टेबल ने 26 मकान बनाया गया। अब 26 मकान से बढ़कर 84 घर हो गया है। काफी दिक्कत से लोग रहते हैं घनी आबादी और घर है। इस नगर के चारों तरफ गंदगी का अंबार है। खाली भूखंड में पानी गिरता है। सुअरों के कारण भूखंड में कीचड़ का सम्राज्य स्थापित हो गया है। यहां के लोगों का कहना था कि वर्षों से आपूर्ति जल आना बंद हो गया। जल समस्या उत्पन्न होने पर 3 चापाकल लगाया गया। 2 चालू है और 1 खराब हो गया है।

आपबीती बयान करने के सिलसिले में महादलित मुसहरों ने कहा कि हमलोग 43 साल से 26 मकान में रहते हैं। यह मकान जर्जर हो गया है। सच जाने तो जान की कीमत पर रहते हैं। छत के ऊपर बड़ा छेद हो गया है। मकान की छत बड़ा हॉल होने से धूप और पानी का सीधे प्रवेश घर में हो जाता है। इससे बचने के लिए छत के ऊपर प्लास्टिक डाल दिया गया है। घर के अंदर भारत मांझी नामक टी.बी.रोगी सो रहे थे तब अचानक जर्जर छत का मालवा गिर पड़ा। छत का मालवा गिरने से भारत मांझी को नाक के ऊपरी हिस्से में चोट लगी। दवा लगाकर बैंडेज किया गया।

महादलितों ने कहा कि हमलोग खेतिहर मजदूर हैं। असमान मजदूरी भुगतान किया जाता है। पुरूषों को 250रू0 और महिलाओं को 100 रू0 मजदूरी दी जाती है। राजमिस्त्री के साथ काम करने पर दैनिक मजदूरी 300 रू0 मिलती है। महिलाओं ने संकोचकर बताया कि जो शौचालय निर्माण किया गया तो चलने लायक ही नहीं था। इसके कारण मैदान में शौचक्रिया करने जाना पड़ता है। आसपास के लोगों से ताना सुनने को मिलता है।

आलोक कुमार


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