Thursday 27 July 2017

नाटकीय ढंग से छठी बार मुख्य मंत्री बन गये हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार


परिस्थितियों को अवसर में बदलना आता है सीएम नीतीश को

पटना। बिहार की राजनीति में उठने वाले भयानक बवंडर को किसी राजद नेता या कांग्रेस ने नही महसूस किया। सभी जानते हैं कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपना सर कटा सकते हैं पर उनके आचरण पर कोई उंगली उठाए वह कतई बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं।  जब 2005 में सत्ता में आए थे तो उन्होंने जीरो टॉलरेंस नीति और बिहार में बढ़ते अपराध को जड़ से मिटाने का वादा बिहार वासियों से किया था। यही कारण था कि बिहार की जनता ने तत्कालीन राजद सरकार को बिहार की गद्दी से दरकिनार करने में अहम भूमिका निभाई थी।  बिहार के लोग अच्छी तरह से जानते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भ्रष्टाचार और अपराध व अपराधी से किसी भी सूरत में समझौता नहीं करने वाले राजनीतिज्ञ के तौर पर जाने जाते हैं। जिस तरह से पिछले 1.5 माह से बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी जो आप वर्तमान में उप मुख्यमंत्री बन चुके हैं राजद परिवार पर ताबड़तोड़ भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर नीतीश सरकार को कटघरे में खड़ा करने का काम किया और सीबीआई ईडी आदि जांच एजेंसियों ने राजद परिवार को कानूनी शिकंजे में घेरा।  यही भाजपा के लिए आग में घी का काम किया । नीतीश कुमार के छल के साथ गठबंधन करने पर जिस तरीके से राजद व कांग्रेस नेताओं ने सत्तालोलुपता की संज्ञा दी है। मैं यही सवाल करना चाहता हूं कि जब जदयू ने तेजस्वी को भ्रष्टाचार के मामले में जनता को जवाब देने के लिए कहा था तो उन्होंने क्यों नहीं दिया या फिर भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उन्होंने इस्तीफा क्यों नहीं दिया । क्या वह सत्ता के भूखे नहीं हाय। अगर सत्ता के भूखे नहीं थे तो उन्हे उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर महागठबंधन की सरकार को बचाने के लिए कदम उठाना चाहिए था। इससे लोगो में राजद के प्रति एक सकरात्मक संदेश भी जाता की राजद ने कुर्सी के परवाह किए बिना इस्तीफा दिया।  लेकिन राजद ने ऐसा करना मुनासिब नहीं समझा बल्कि मीडिया को ही कटघरे में खड़ा करना शुरू कर दिया । यहां तक कि जिस तरीके से आज लोग कह रहे हैं कि नीतीश कुमार ने विश्वासघात किया। सरकार बनाने की पूरी पटकथा पहले ही लिखी जा चुकी थी। उसी तर्ज पर हम यह भी कह सकते हैं कि तेजस्वी ने भी मीडिया पर हमला कराने के लिए पहले ही पटकथा लिखी थी की कोई पत्रकार सीबीआई करवाई से रिलेटेड प्रश्न ना करें । यही कारण है कि उन्होंने अपने बॉडीगार्ड ऊपर कोई करवाई नहीं कि सिर्फ सोशल मीडिया के जरिए माफी मांग ली लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिल्कुल शांत मुद्रा में इन पूरे मामले पर करीब से नजर रख रहे थे और बिहार में उठने वाले भयानक तूफान की आहट को महागठबंधन के नेता समझ नहीं पाए अगर इस पूरे घटनाक्रम पर नजर दौड़ाई जाए तो इसमें सरकार गिराने में राजद नेताओं की भी कम भूमिका नहीं रही।् शिवानंद तिवारी व  रघुनाथ सिंह जैसे राजद के कद्दावर नेताओं ने समय-समय पर महागठबंधन के खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त कर आग में घी डालने का काम किया। ऐसे राजद नेताओं की तीखी बयान बाजी के कारण भी महागठबंधन में बड़ी दरार और ज्यादा गहरा होते गयाण् जिसका परिणाम आज सबके सामने है। 
पिछले 20 माह के महागठबंधन सरकार के कार्यकाल पर नजर दौड़ाई जाए तो देखते हैं कि इस दौरान अपराधियों ने राज्य में जमकर उत्पात मचाया है ।् मानो एक बार बिहार फिर अपराधियों के हाथों में चला गया था। कोई ऐसा दिन नहीं गुजर रहा था कि राज्य शांत रहे ण् कानून व्यवस्था के उड़ रहे मखौल को भी नीतीश कुमार ने काफी बारीकी से अध्ययन किया । उन्हें महसूस होने लगा कि बिहार का कानून व्यवस्था धीर-धीरे अपराधियों के हाथों में चला जा रहा है और वह चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। जिससे नीतीश सरकार पर उंगली उठ रहे थे। वहीं दूसरी ओर नीतीश कुमार ने राजद नेताओं की बोलती बंद कर दी है उन्होंने जता दिया है कि नीतीश कुमार कभी भी परिस्थितियों के मुख्यमंत्री नहीं रहे हैं।  मुख्यमंत्री को परिस्थितियों को अवसर में बदलना बखूबी आता ह।

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