Sunday 20 February 2022

जब पोलियो अभिशाप की जगह वरदान बन गया

 

अभिशाप को वरदान में साबित कर दिया है दिव्यांग अखिलेश 


पटना. राजधानी पटना में है दीघा.यहीं पर रहते हैं दिव्यांग अखिलेश कुमार.दाहिने पैर में अखिलेश को पोलियो मार


दिया है.वह हवा-हवाई टेम्पो चलाता है.आगे सीट पर चालक अखिलेश के बगल में बैठा था.पोलियो ग्रसित पैर अलग-थलग था.मैंने जिज्ञाषापूर्वक अखिलेश से पूछा कि पैर कैसे कट गया?वह कहते है कि पैर कटा नहीं है पोलियो मार दिया है.वह बायें पैर से ब्रेक लगाते हैं.

अखिलेश कहते हैं कि दिव्यांगता कोई अभिशाप नहीं है.मगर कई लोग दिव्यांगों को हीन दृष्टि से देखते हैं.वह कहता है कि मेरी अर्द्धांगनि हीन दृष्टि से नहीं देखती हैं.वह कहता है कि भारत ने पोलियो को भी हराया. सर्विलांस के जरिए लोगों को ढूंढ़ा, मामलों की पड़ताल की और टीकाकरण शुरू किया. भारत ने वो हर चीज की जिसकी जरूरत इस बीमारी से निपटने के लिए थी.उसी तरह हमलोग गरीबी को हराने में लगे है.

दिव्यांग कहते हैं मैं हवा-हवाई चलाता हूं.इसके बाद अंडा बेचते हैं.रसोई गैस भरने का काम करते हैं.मेरी अर्द्धांगनि सिलाई -कटाई का काम करती हैं.एक सवाल के जवाब में वह कहते हैं कि सरकार के द्वारा सामाजिक सुरक्षा पेंशन मिलती है.सभी चार बच्चे पढ़ते हैं. हमलोग बच्चों का हर तरह की सुख सुविधाओं को ध्यान में रखते हैं.

अखिलेश कहते हैं कि मैं दीघा से, दूसरा बांसकोठ से और तीसरा गोसाई टोला से दिव्यांग होने के बाद भी सड़क पर हवा-हवाई चलाते हैं.इसमें बैठने वाले खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं.आम लोगों से कहते हैं कि आप दिव्यांग नहीं हैं तो किसी तरह की हूनर सीख कर समाज में आत्म सम्मान के साथ जीवन बसर करें.


आलोक कुमार

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