पटना.बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को दो टूक कहा कि जिस राज्य में सरकार सतर्क है और विभिन्न धार्मिक समुदायों के सदस्य शांति से रहते हैं वहां धर्मांतरण विरोधी कानून की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा बिहार में जो स्थिति है उसको देखते हुए ऐसे किसी कानून की जरूरत ही नहीं है. बिहार में सभी धर्मों के लोग आपसी सद्भाव से रहते हैं.और इस मुद्दे को लेकर कोई खास मामले बिहार में सामने नहीं आए हैं, जो इसके लिए कानून बनाया जाए.
बता दें कि एक गोदी मीडिया के द्वारा धर्मांतरण का बवंडर बनाया जा रहा है.इन दिनों वाराणसी का काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद का मसला पूरे देश की सुर्खियों में है.जमीन विवाद का ये मामला लोअर कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचते हुए अब वाराणसी की जिला अदालत तक पहुंचा है. तमाम ऐतिहासिक दलीलें दी जा रही हैं.यहां तो कम से कम कोर्ट की निगरानी में मामला निपटाने का प्रयास हो रहा है.मगर बिहार के छपरा जिले में जोर जबर्दस्ती से मगाईडीह गांव में राधा प्रसाद नामक ईसाई व्यक्ति के नवनिर्मित प्रार्थना भवन में बजरंग बली का झंडा लहराया दिया है.यहां पर चार साल के बाद राधा प्रसाद प्रार्थना भवन बनाने में सफल हुआ है. इसी को आधार बनाकर एक पत्रकार ने एक चैनल की रिपोर्ट का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री से ये बात पूछी थी.
सीएम नीतीश कुमार ने एक पत्रकार के सवाल पर जवाब देते हुए कहा कि बिहार में धर्मांतरण विरोधी कानून लाने की कोई आवश्यकता नहीं है. उनके अनुसार बिहार में जो स्थिति है उसको देखते हुए ऐसे किसी कानून की जरूरत ही नहीं है. जिस राज्य में सरकार अलर्ट है और सभी धर्म के लोग शांति से रह रहे हैं, वहां धर्मांतरण विरोधी कानून की कोई जरूरत नहीं है। वहीं हिंदुओं के धर्म बदलने के कुछ मामलों की रिपोर्ट्स को लेकर सीएम नीतीश ने कहा कि इस मामले में सरकार पूरी तरह अलर्ट है. बिहार में समुदायों के बीच कोई झगड़ा नहीं है. सभी तरह की आस्था वाले लोग शांति से रह रहे हैं.उनके लिए कोई परेशानी नहीं है. हमने अपना काम कुशलता से किया है. इसलिए यहां इस तरह के कदम की जरूरत नहीं है.सरकार की सतर्कता ने सुनिश्चित किया है कि राज्य में कोई सांप्रदायिक तनाव न हो.
आपको बता दें, बिहार में बीजेपी के साथ गठबंधन में सरकार चला रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साफ कर दिया है कि राज्य में धर्मांतरण विरोधी कानून की कोई जरूरत नहीं है। सीएम नीतीश कुमार का कहना है कि बिहार में पूरी तरह एकता है और सभी समुदाय के लोग शांति से एकसाथ रह रहे हैं। वहीं सीएम नीतीश के इस बयान से कुछ दिनों पहले गठबंधन पार्टनर भाजपा के फायरब्रांड नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बिहार प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में धर्मांतरण विरोधी कड़े कानून की मांग उठाई थी। इसके अलावा भी भाजपा के कई नेता कानून को बनाने की मांग करते आए हैं, लेकिन सीएम नीतीश के इस बयान ने साफ कर दिया है कि जेडीयू अपनी गठबंधन साथी भाजपा के इस एजेंडे में सहमति नहीं रखती है.सिर्फ धर्मांतरण विरोधी कानून ही नहीं बल्कि 1990 के दशक से ही नीतीश कुमार भाजपा के द्वारा बनाए जा रहे किसी भी कानून के समर्थन में नहीं रहे हैं, जिनमें अनुच्छेद 370, समान नागरिक संहिता, ट्रिपल तलाक, एनआरसी और जनसंख्या नियंत्रण जैसे मुद्दे शामिल हैं.आलोक कुमार
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