दरभंगाः अपने पड़ोसी से प्रेम नहीं दिखाने वाले महेश साह एवं उनके परिवार के सदस्यों पर गाज गिरना तय है.थाना वि.वि.में स्टीवेन जौन ने लिखित आवेदन दिया है.जिसमें महेश साह एवं उनके परिवार पर कई संगीन आरोप लगाएं हैं.लिखित आवेदन में महेश साह पुत्र रघुनंदन साह, सोनू,अमरजीत कुमार दोनों के पिता महेश साह हैं.इसके अलावे सुनीता देवी पति महेश साह को नामजद आरोपी बनाया गया है. आवेदन को आधार मानकर थाना वि.वि.,दरभंगा ने 28 अगस्त को एफ.आई.आर.दर्ज कर लिया है.थाना वि.वि के पुलिस निरीक्षक सह थाना एसएचओ सत्यप्रकाश झा ने अलख ना.तिवारी स.आ.नि. को अनुसंधान पदाधिकारी बनाया है.
मामला ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय थाने का है. इस थाने अन्तर्गत ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय थानान्तर्गत लक्ष्मी सागर कॉलोनी,जे.पी.चौक के मूल निवासी स्टीवन जौन सरपिस हैं. इनके पड़ोसी महेश साह हैं.स्टीवन के मकान से पश्चिम तरफ महेश साह का घर है.बहुसंख्यक महेश साह और उनके बच्चे अल्पसंख्यक के सिर पर पर चढ़ गए हैं.
अल्पसंख्यक स्टीवन के घर की खिड़की सामने ही लघुशंका महेश साह कर रहे थे.उनको मना किया गया कि यह गली चालू और आप मेरे घर के खिड़की के सामने आकर ही लघुशंका कर रहे हैं.बस इतना ही कहना था कि महेश साह ने अपने लड़को के साथ मिलकर अल्पसंख्यक स्टीवन के परिवार के सदस्यों को बुरी तरह से पिटायी कर डाली और सिर फोड़ दिया.यह मामला ललित नारायण मिथिला विश्वविघालय थाने में दर्ज है.फिलवक्त कार्रवाई नगण्य है.दरभंगा के डीएम से कार्रवाई करने की मांग की जारी है.समाचार लिखने पर अब भी लोग गवर्नमेंट हॉस्पिटल दरभंगा में हैं.
बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के उपाध्यक्ष राजन क्लेमेंट साह ने कहा कि बीजेपी ने इस मामले को गंभीरता से ली है.थाना वि.वि.के एसएचओ सत्यप्रकाश झा ने प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दिये है.प्राथमिकी सं.288/22 और तिथि 28.8.2022 अंकित किया गया है.उन्होंने कहा कि भारतीय दण्ड विधान के तहत धाराएं 341/323/354(बी)/307/324/34 दर्ज किया गया है.
उन्होंने कहा कि आईपीसी की धारा-341 के अनुसार अगर कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को गलत तरीके से रोकता है तो उसे एक महीने तक की जेल की सजा या 500 रुपये का आर्थिक दंड अथना दोनों से दंडित किया जा सकता है. यह एक जमानती और संज्ञेय अपराध है और किसी भी न्यायिक अदालत में इस पर सुनवाई हो सकती है. आई. पी. सी. की धारा 341 के मामले में 1 महीने या जुर्माना या दोनों के लिए सरल कारावास का प्रावधान है.
भारतीय दंड संहिता की धारा 323 के अनुसार, जो भी व्यक्ति (धारा 334 में दिए गए मामलों के सिवा) जानबूझ कर किसी को स्वेच्छा से चोट पहुँचाता है, उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या एक हजार रुपए तक का जुर्माना या दोनों के साथ दंडित किया जा सकता है.आई. पी. सी. की धारा 323 के मामले में 1 वर्ष या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है.
आईपीसी 354 बी के तहत विवस्त्र करने के आशय से स्त्री पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग है.कोई पुरुष, जो किसी स्त्री को विवस्त्र करने या निर्वस्त्र होने के लिए विवश करने के आशय से उस पर हमला करेगा या आपराधिक बल का प्रयोग करेगा या ऐसे कार्य का दुष्प्रेरण करेगा, दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष से न्यून नहीं होगी, किन्तु जो सात वर्ष तक की हो सकेगी, से दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा.सजा जो 3 साल से कम नहीं होगी और अधिकतम 7 वर्ष तक हो सकेगी या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकेगा.
आईपीसी की धारा 307 हत्या के प्रयास के अपराध को परिभाषित करती है. इसमें कहा गया है कि जो कोई भी इस इरादे या ज्ञान के साथ कोई कार्य करता है कि ऐसा कार्य किसी भी व्यक्ति की मृत्यु का कारण होगा, वह हत्या का दोषी होगा, और दस साल तक की अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा, और उसे जुर्माना भी भरना होगा. आई. पी. सी. की धारा 307 के मामले में 10 साल + जुर्माना आजीवन कारावास या 10 साल + का प्रावधान है.
‘आईपीसी की धारा 324ः खतरनाक हथियारों से स्वेच्छा से चोट पहुंचाना। धारा 334 द्वारा प्रदान किए गए मामले को छोड़कर स्वेच्छा से गोली मारने, छुरा घोंपने, काटने से चोट का कारण बनता है, जो अपराध के हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इससे मृत्यु होने की संभावना है. आई. पी. सी. की धारा 324 के मामले में 3 साल या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है.
आलोक कुमार
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