Saturday 28 December 2013

भूमि की जंग में शहीद होने वाले जाबाज स्मरण किए गए


पटना। सीपीआईएम के राज्य सचिव विजय कांत ठाकुर ने शनिवार को कहा कि सूबे में वर्ष 1993 से 2013 तक 150 से अधिक लोगों की भूमि की जंग में मौत हो गयी है। इस तरह भूमि की जंग में शहादत देकर शहीद हो गए हैं। उनमें विधायक अजीत सरकार, एडवोकेट गोविन्दा प्रसाद,खेतीहर मजदूर संघ के राज्याध्यक्ष रामनाथ महतो आदि प्रमुख हैं।
जन संगठन एकता परिषद के तत्तावधान में शनिवार को अनुग्रह नारायण समाज अध्ययन संस्थान में एक दिवसीय बिहार में भूमि सुधार के संदर्भ में सामाजिक संगठनों एवं राजनैतिक दलों के साथ परिसंवाद का आयोजित किया गया। उन्होंने आगे कहा कि भूमि सुधार आयोग के अध्यक्ष डी. बंधोपाध्याय ने रिपोर्ट पेश करते समय कहे कि आज भी 22 लाख एकड़ जमीन उपलब्ध है। इस जमीन को महादलितों के बीच वितरण करने की जरूरत है। जमीन कुर्बानी मांगती है। जमीन की जंग में जदयू सरकार अपनी सरकार की कुर्बानी देकर आवासीय भूमिहीनों की हित में कदम उठा सकती है। उस समय जदयू और बीजेपी की सरकार कुर्बानी देने के लिए तैयार नहीं हुई। इसका नतीजा भूमि सुधार आयोग के अध्यक्ष डी.बंधोपाध्याय की अनुशंषा को लागू करके ठंडे बस्ते में डाल दिया।
राज्य सचिव ने वर्तमान सरकार के समावेशी विकास की धज्जियां उड़ाते हुए कहा कि इनके कार्यकाल के 10 साल में बिहार तो उड़ीसा को पछाड़कर गरीबी प्रदेश में प्रथम स्थान प्राप्त कर लिया है। अपना प्रदेश से पलायन होने वाले लोगों की संख्या में भी अव्वल हैं। नौजवानों को रोजगार नहीं दिलवाने में भी पहला हैं। जन हितैषी कार्य नहीं करने में भी प्रथम स्थान पर हैं। और तो और भ्रष्टचार में भी प्रथम पायदान में हैं। इसका उदहारण पटना के ट्रेजरी से राशि निकल जाना है। सही मायने में सरकार जनित भूख,दमन और लूट खसौट ही विकास कार्य बन गया
एकता परिषद नामक जन संगठन के बारे में श्री ठाकुर ने कहा कि संगठन ने जमीन को ही विकास का पैमाना मानकर भूमिहीनों को जमीन दिलवाने का एक सूत्री कार्यक्रम बना रखा है। अर्जुन की तरह मछली की आंख पर ही तीर का निशाना लगा लिया है। उन्होंने यकीन दिलाया कि सीपीआईएम की ओर से राउण्ड दी क्लॉक सहयोग प्राप्त होगा। इस ओर तन,मन और धन लगा दिये जाएंगे। सब मिलकर लोकत्रांतिक तरीके से भूमि सुधार की लड़ाई लड़ेंगे।
इस अवसर पर सीपीआईएम के राज्य सचिव विजय कांत ठाकुर, सीपीआई के रामबाबू कुमार, किशोरी दास,विजय गोरैया, अनिल पासवान,विनय कुमार आदि ने भी संबोधित किया। परिसंवाद का संचालन प्रदीप प्रियदर्शी ने किया।
आलोक कुमार