Thursday 26 January 2023

कपिलदेव को बुनकरी की विशेष बावन बूटी कला में प्रवीणता प्राप्त है

 * बिहार के आनंद कुमार,कपिल देव प्रसाद और सुभद्रा देवी को पद्मश्री


नई दिल्ली.गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर बुधवार (25 जनवरी) को पद्म पुरस्कार विजेताओं के नामों की घोषणा की गई है. इसमें राकेश झुनझुनवाला (मरणोपरांत), गणितज्ञ आनंद कुमार, रवीना टंडन, मणिपुर बीजेपी अध्यक्ष थौनाओजम चाओबा सिंह समेत 91 लोगों को पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा. 

   बता दें कि 2023 में 106 पद्म पुरस्कारों को प्रदान करने की मंजूरी दी गई है. सूची में 6 पद्म विभूषण, 9 पद्म भूषण और 91 पद्मश्री शामिल हैं.19 पुरस्कार विजेता महिलाएं हैं. समाजवादी पार्टी संरक्षक और यूपी के पूर्व सीएम दिवंगत मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण (मरणोपरांत) से नवाजा गया है. सुधा मूर्ति, कुमार मंगलम बिड़ला पद्म भूषण के नौ पुरस्कार पाने वालों में शामिल हैं. रतन चंद्राकर को अंडमान के जारवा ट्राइब्स में मिजल्स के लिए बेहतर काम के लिए सम्मान दिया गया है. हीरा बाई लोबी को गुजरात में सिद्धि ट्राइब्स के बीच बच्चों के शिक्षा पर काम करने के लिए पद्मश्री से नवाजा गया है.

बालकृष्ण दोसी और पश्चिम बंगाल के पूर्व डॉ. दिलीप महलानाबीस को भी पद्म विभूषण (मरणोपरांत) से नवाजा गया है. डॉ. दिलीप महलानाबीस को ओआरएस की खोज के लिए ये सम्मान दिया गया है. इनके अलावा संगीतकार जाकिर हुसैन, एसएम कृष्णा, श्रीनिवास वरधान को भी पद्म विभूषण से नवाजा गया.

   

बिहार के आनंद कुमार,कपिल देव प्रसाद और  सुभद्रा देवी को पद्मश्री.गणितज्ञ आनंद कुमार कोचिंग संस्थान सुपर 30 के सूत्रधार रहे हैं. आनंद कुमार के ऊपर सिनेमा भी बनायी गयी है. गरीब बच्चों को पढ़ा कर आइआइटी तक पहुंचाने वाले आनंद कुमार देश दुनिया के जाने माने नाम हैं. पद्मश्री की घोषणा के बाद आनंद कुमार ने ट्वीट कर कहा कि भारत-सरकार ने मुझे पद्मश्री सम्मान से सम्मानित करने की घोषणा की. इसके लिए विशेष आभार. मुझे इस सम्मान के लायक समझा गया. साथ ही साथ उन तमाम लोगों का सहृदय धन्यवाद दिया, जिन्होंने कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी साथ नहीं छोड़ा.राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की पत्रिकाओं के संपादक रह चुके हैं.पटना के यारपुर में रहने के बाद दशकों से जक्कनपुर में रह रहे हैं.50 वर्षीय आनंद कुमार से साक्षात्कार लेने एक अंग्रेज पत्रकार के साथ आलोक कुमार भी गये थे.

     बता दें कि आनंद कुमार गणित के मेधावी छात्र थे, लेकिन परिवार की आर्थिक परिस्थितियों के कारण वह अवसर होने के बाद भी विदेश में पढ़ने नहीं जा सके. इसके बाद उन्होने एक कोचिंग सेंटर 'सुपर 30' खोला और गरीब बच्चों को IIT-JEE की तैयारी करवाने लगे. इस कोचिंग सेंटर में हर साल ऐसे 30 बच्चे जो गरीब घर के हो और पढ़ने में मेधावी हो उनका चयन किया जाता है, देश के कोने-कोने से बच्चे यहां पढ़ने आते हैं. 

      नालंदा जिला के बिहारशरीफ प्रखंड के बसवन बिगहा के बुनकरों की पहचान देश-दुनिया में है. यहां के बने बाबन बुटी साड़ी, चादर और पर्दे की मांग देश-दुनिया में है. बुनकर कपिलदेव प्रसाद ने इसमें चार चांद लगाया है. उन्हें इस कला के इस वर्ष के पद्मश्री देने की घोषणा केंद्र सरकार ने की है.बता दें कि कपिलदेव को बुनकरी की विशेष बावन बूटी कला में प्रवीणता प्राप्त है. कपिलदेव 15 वर्ष की उम्र से बुनकरी का कार्य कर रहे हैं. उन्होंने बावन बूटी कला में 50 वर्षों का अनुभव है. कपिल देव को भारत सरकार, कपड़ा मंत्रालय की ओर से पहले भी राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुना जा चुका है. वह बुनकरी का कार्य करते भी हैं और अन्य कामगारों का इसकी बारीकियों और तकनीकियों का प्रशिक्षण भी देते हैं. 

   देश के सर्वोच्च सम्मान पद्मश्री की से एक गुमनाम शख्सियत कपिल देव प्रसाद को भी सम्मानित किया गया है.जो कल तक गुमनामी का शिकार थे। आज उनके बारे में पूरी दुनिया जानाना चाहती है. 70 वर्षीय कपिल देव प्रसाद को टेक्सटाइल के क्षेत्र में पद्मश्री सम्मान मिला है. आपको बता दें कि करीब 6 दशकों से कपिल देव प्रसाद बुनकरी से जुड़े हुए हैं.इस काम की शुरुआत उनके दादा शनिचर तांती ने की थी. इसके बाद उनके पिता हरि तांती ने इस काम को आगे बढ़ाने की ज़िम्मेदारी उठाई. कपिलदेव प्रसाद का जन्म 1954 में हुआ था, उन्होंने 15 साल की उम्र में ही बुनकरी को अपना रोज़गार बना लिया था. मौजूदा वक्त में कपिल देव प्रसाद के बेटा सूर्यदेव इस काम में उनकी मदद करते हैं.

मधुबनी जिला की सलेमपुर गांव की पेपरमेस कला की कलाकार सुभद्रा देवी को भी पद्मश्री देने की घोषणा भारत सरकार ने की है. सुभद्रा देवी पेपरमेसी के क्षेत्र की सिद्धहस्त कलाकार हैं. इससे पहले उन्हें 1980 में राज्य पुरस्कार और 1991 में राष्ट्रीय पुरस्कार से नमाजा गया है. उनकी इस कला मांग देश-विदेश में हो रही है. वे बचपन में देखा-देखी इस कला को सीखी. अब इस कला को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान दे चुकी हैं.

   बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने बिहार के मधुबनी की श्रीमती सुभद्रा देवी जी को कला के क्षेत्र में, नालंदा के श्री कपिल देव प्रसाद जी को कला के क्षेत्र में तथा पटना के श्री आनंद कुमार जी को शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए पद्म श्री सम्मान मिलने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं.वहीं उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी बिहार के नालंदा से बावन बूटी हस्तकला के प्रसिद्ध बुनकर श्री कपिलदेव प्रसाद जी, मधुबनी से पेपर मेश कला में सिद्धहस्त कलाकार सुभद्रा देवी जी एवं पटना से मशहूर शिक्षक आनंद कुमार जी को पद्म श्री सम्मान मिलने पर बधाई एवं शुभकामनाएं.बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने पद्म पुरस्कारों से देशभर के चयनित महानुभावों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं.बिहार से कला के क्षेत्र में कार्यो में श्रीमती सुभद्रा देवी जी और साहित्य वं शिक्षा के क्षेत्र से श्री आनंद कुमार जी, कला के क्षेत्र से श्री कपिल देव प्रसाद जी को पद्म पुरस्कार से सम्मानित होने पर बधाई.

पद्म विभूषण (6)

मुलायम सिंह यादव (मरणोपरांत), बालकृष्ण दोशी (मरणोपरांत), जाकिर हुसैन, एसएम कृष्णा और दिलीप महालनाबिस (मरणोपरांत).

पद्म भूषण (9)

एसएल भैरप्पा, कुमार मंगलम बिड़ला, दीपक धर, वाणी जयराम, स्वामी चिन्ना जीयर, सुमन कल्याणपुर, कपिल कपूर, सुधा मूर्ति और कमलेश डी पटेल.

पद्म श्री (91)

सुकमा आचार्य, जोधैयाबाई बैगा, प्रेमजीत बारिया, उषा बर्ले, मुनीश्वर चंदावर, हेमंत चौहान, भानुभाई चित्रा, हेमोप्रोवा चुटिया, नरेंद्र चंद्र देबबर्मा (मरणोपरांत), सुभद्रा देवी, खादर वल्ली डुडेकुला, हेम चंद्र गोस्वामी, प्रतिकाना गोस्वामी, राधा चरण गुप्ता, मोदादुगु विजय गुप्ता, अहमद हुसैन और मोहम्मद हुसैन (जोड़ी), दिलशाद हुसैन, भीखू रामजी इदाते, सी आई इस्साक, रतन सिंह जग्गी, बिक्रम बहादुर जमातिया, रामकुइवांगबे जेने, राकेश राधेश्याम झुनझुनवाला (मरणोपरांत), रतन चंद्र कर, महीपत कवि, एम एम कीरावनी, आरेज़ खंबाटा (मरणोपरांत), परशुराम कोमाजी खुने, गणेश नागप्पा कृष्णराजनगर, मगुनी चरण कुंअर, आनंद कुमार, अरविंद कुमार, डोमर सिंह कुंवर, राइजिंगबोर कुर्कलंग, हीराबाई लोबी, मूलचंद लोढ़ा, रानी मचैया, अजय कुमार मंडावी, प्रभाकर भानुदास मांडे, गजानन जगन्नाथ माने, अंतर्यामी मिश्रा, नादोजा पिंडीपापनहल्ली मुनिवेंकटप्पा, प्रो. (डॉ.) महेंद्र पाल, उमा शंकर पाण्डेय, रमेश परमार और शांति परमार (जोड़ी), नलिनी पार्थसारथी, हनुमंत राव पसुपुलेटी, रमेश पतंगे,कृष्णा पटेल, के कल्याणसुंदरम पिल्लई,वी पी अप्पुकुट्टन पोडुवल, कपिल देव प्रसाद, एस आर डी प्रसाद, शाह रशीद अहमद कादरी, सी वी राजू, बख्शी राम, चेरुवायल के रमन, सुजाता रामदोराई, अब्बारेड्डी नागेश्वर राव, परेशभाई राठवा, बी रामकृष्णा रेड्डी, मंगला कांति राय, के सी रनरेमसंगी, वडिवेल गोपाल और मासी सदइयां (जोड़ी), मनोरंजन साहू, पयतत साहू, ऋत्विक सान्याल, कोटा सच्चिदानंद शास्त्री, शंकुरत्री चंद्र शेखर, के शनाथोइबा शर्मा, नेकराम शर्मा, गुरचरण सिंह, लक्ष्मण सिंह, मोहन सिंह, थौनाओजम चौबा सिंह, प्रकाश चंद्र सूद, निहुनुओ सोरही, डॉ. जनम सिंह सोय, कुशोक थिकसे नवांग चंबा स्टेनज़िन, एस सुब्बारमन, मोआ सुबोंग, पालम कल्याण सुंदरम, रवीना रवि टंडन, विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,धनीराम टोटो, तुला राम उप्रेती, गोपालसामी वेलुचामी, ईश्वर चंद वर्मा, कूमी नरीमन वाडिया, कर्म वांग्चु (मरणोपरांत) और गुलाम मुहम्मद जाज.


आलोक कुमार

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