एकता परिषद की दो दिवसीय प्रांतीय बैठक ग्वालियर में संपन्न
आदिवासियों पर हो रहे अन्याय के खिलाफ एकता परिषद ने जताई चिंता और बनाई रणनीति
प्रदेश के 34 जिले के प्रभारियों सहित 60 प्रतिनिधियों ने बैठक में भाग लिया
मणिपुर में हुई हिंसा पर भी इस बैठक में गहरी चिंता प्रकट की गई
ग्वालियर। एकता परिषद संगठन की दो दिवसीय प्रांतीय प्रतिनिधियों की बैठक एक व दो जुलाई ग्वालियर रिसोर्स सेंटर पर संपन्न हुई। इसमें एकता परिषद के 60 से अधिक प्रदेशस्तरीय प्रतिनिधिगणों के साथ राष्ट्रीय अध्यक्ष डा.रन सिंह परमार, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रद्धा कश्यप, राष्ट्रीय महासचिव अनीस भाई राष्ट्रीय प्रतिनिधियों में से संतोष सिंह सरस्वती बहन एवं प्रदेश अध्यक्ष डोंगर शर्मा तथा 34 जिले के जिम्मेदार सक्रिय प्रदेश प्रतिनिधि, कार्यकर्ताओं ने बैठक में भाग लिया।एकता परिषद संगठन विगत 32 वर्षों से आदिवासी जनजाति समुदाय एवं दलितों के विकास हेतु लगातार संघर्ष कर रहा है, एकता परिषद संगठन ने आदिवासी जनजाति समुदाय एवं दलितों के उत्पीड़न के खिलाफ भी लंबी लड़ाई लड़ता आ रहा है।
ग्वालियर रिसोर्स सेंटर पर एक व दो जुलाई को हुई बैठक में शामिल कार्यकर्ताओं ने जानकारी दी कि मध्यप्रदेश को एकता परिषद ने 6 रीज़न में निम्नानुसार विभाजित किया गया है। 1.ग्वालियर एवं चंबल संभाग 2.महाकौशल 3.बुंदेलखंड 4.बघेलखंड 5. मध्यक्षेत्र 6.झाबुआ में एकता परिषद सक्रिय रूप से 34 जिले तथा 76 विधानसभा में कई हजार गांवों में कार्य कर रहा है।इस बैठक में शरीक हुए एकता परिषद के प्रांतीय नेताओं ने अपने -अपने क्षेत्रों में आदिवासी जनजाति समुदाय की गंभीर समस्याओं और इनके उत्पीड़न पलायन, विद्युत आपूर्ति , पेयजल आपूर्ति समस्या वनवासियों रोजगार,शिक्षा, स्वास्थ्य , राजस्व विभाग व वन विभाग की भूमि विवाद के चलते आदिवासी वनवासी लोगों के ऊपर हुए अत्याचार व अन्यायों पर गहन चिंता प्रकट करते हुए, विचार विमर्श किया तथा आदिवासी जनजाति समुदाय की गंभीर समस्याओं के समाधान हेतु आगे की रणनीति तैयार कर एक कार्ययोजना तैयार कर सभी जिम्मेदार प्रतिनिधि व कार्यकर्ता गण ने अपने दायित्वों के निर्वहन में बैठक में शामिल हुए राष्ट्रीय व प्रांतीय प्रतिनिधियों के समक्ष संगठन के कार्यों को अग्रसर और क्रियान्वयन करने के लिए रणनीति व कार्ययोजना पर आगामी प्रजेंटेशन किए। इस बैठक में एकता परिषद ने मणिपुर में हुई हिंसा पर भी गहरी चिंता जताई और सरकार से शीघ्र ही शांति स्थापित करने के लिए विशेष प्रयास करने और मणिपुर समस्या का समाधान निकालने का अनुरोध किया है।
इस प्रदेश स्तरीय बैठक में अपने विचार व्यक्त करते हुए एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा.रन सिंह परमार ने एकता परिषद कहा कि हम सब के प्रेरणास्रोत परम श्रद्धेय पद्मश्री डा.एस.एन.सुब्बाराव भाई जी एवं एकता परिषद के संस्थापक व संरक्षक राजगोपाल पी.वी राजू भाई ने महात्मा गांधी के आदर्शों पर चलकर त्याग, तपस्या, समर्पण, के भावों के साथ नैतिक मूल्यों को स्थापित करते हुए निरंतर गांधीवादी के रूप में देश दुनिया में सत्य अहिंसा का मार्ग अपनाया और जिसके परिणामस्वरूप आज एकता परिषद संगठन के 32 वर्षों की अथक संघर्षों की अनगिनत कहानियां बताईं।कि कैसे एकता परिषद ने कर्तव्यपरायण परिश्रमी नेतृत्व और कार्यकर्ताओं के बलबूते पर आदिवासी जनजाति समुदाय की बदहाली इनके ऊपर हुए अत्याचारों के खिलाफ संघर्षरत रहकर आवाज उठाई, परिणामस्वरूप आदिवासी वनवासी लोगों के कल्याण हेतु इनके जीवन में बदलाव लाने का कार्य किया,जल,जंगल और जमीन जैसे मुद्दों पर गांव गांव जाकर संगठन के कार्यकर्ताओं ने वनवासी भाईयों व बहनों को जागरूक कर आदिवासी समुदाय के विकास हित के लिए जोड़ने का कार्य किया।
संगठन की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रद्धा कश्यप ने एकता परिषद संगठन की संघर्षों पर चर्चा करते हुए बताया कि " आदिवासी जनजाति समुदाय के बीच पहुंच कर उन पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ जागरूक किया तथा गांव गांव जाकर जल, जंगल और जमीन के हक अधिकारों के लिए उन्हें एकजुट कर संगठित करने का काम किया, उन्होंने बताया कि आदिवासी जनजाति समुदाय के विकास के दावे जो सरकार कर रही हैं वो झूठे और थोथे हैं।
आदिवासी जनजाति समुदाय के परिवार के विकास व सशक्तिकरण पर ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। उनकी स्थिति आज भी दयनीय है बड़े ही दुर्भाग्यपूर्ण बात है इन्हें जंगलों से भगाया जा रहा है, इस वनवासी समुदाय को आज भी भूमि के अधिकारों से वंचित रखा गया है । उन्होंने उदाहरण दिया कि वन मित्र पोर्टल धोखा देने वाला और गुमराह करने वाली योजना साबित हुआ है इस पोर्टल से आदिवासी के हित में कोई कार्यवाही नहीं हुई है।"
एकता परिषद के राष्ट्रीय महासचिव अनीस भाई ने कार्यकर्ताओं में जोश, उत्साह और ऊर्जा का संचार करने के लिए कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि " आज महिलाओं की भागीदारी पर ज्यादा से ज्यादा फोकस किया जाना चाहिए कार्यकर्ता गण प्रशिक्षणों के माध्यम से अपने अंदर नेतृत्व क्षमता का विकास कर अपनी अनूठी पहचान बनाएं सांस्कृतिक कार्यक्रम व गीतों के जरिए लोगों जागरूक बनाने का कार्य करें। तथा आदिवासी समुदाय में संगठन का बेहतर प्रचार प्रसार कर पीड़ित जनजाति समुदाय के हक़ अधिकारों इनके जल, जंगल और जमीन की लड़ाई में अहम भूमिका निभाने का काम करें।"
आयोजित दो दिवसीय बैठक में कई सत्रों में हुई चर्चाओं में राष्ट्रीय सचिव संतोष सिंह , सरस्वती बहन राष्ट्रीय सचिव तथा रुक्मिणी बाई बारेला कार्यकारिणी सदस्य तथा अन्य राष्ट्रीय प्रांतीय प्रतिनिधियों ने इस बैठक में भाग लिया संगठन के प्रदेशाध्यक्ष डोंगर शर्मा ने बैठकों का संचालन किया तथा अपने उद्बोधन में कहा कि
उन्होंने बताया कि एकता परिषद संगठन ने आदिवासी जनजाति समुदाय के हक अधिकारों के लिए संघर्ष के लिए इन बैठकों में विशेष रणनीति तैयार कर एक बृहद कार्ययोजना तैयार की गई है। वंचित समुदाय एकता परिषद संगठन नेतृत्व में अपने संसाधनों एक एक रुपया एक एक मुठ्ठी अनाज एकत्रित कर अपनी जल जंगल और जमीन की लड़ाई लड़ेगा तथा आदिवासी समुदाय पर हो रहे अत्याचारों अन्यायों के खिलाफ आवाज बुलंद करेगा।
आलोक कुमार
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