Wednesday 5 July 2023

आदिवासियों के अधिकारों के लिए लड़ने के लिए समर्पित कर दिया


बेंगलुरु. सेंट जोसेफ युवाओं को ऐसे पुरुषों और महिलाओं के रूप में विकसित करने में दृढ़ता से विश्वास करता है जो निस्वार्थ भाव से दूसरों की सेवा करते हैं.दिवंगत फादर स्टेन स्वामी एसजे के सम्मान में 5 जुलाई को ‘पिंजरे में बंद पक्षी का सपना‘ विषय पर एक विशेष सभा आयोजित किया गया था.


सामाजिक कार्यकर्ता जेसुइट पुरोहित और मानवाधिकार अधिवक्ता फादर स्टेन स्वामी ने अपना जीवन भारत के सुदूरवर्ती हिस्से में रहने वाले आदिवासियों और आदिवासियों के अधिकारों के लिए लड़ने के लिए समर्पित कर दिया.

   


उस दिन के मुख्य अतिथि श्री जॉन देवराज थे, जो एक प्रसिद्ध मूर्तिकार, चित्रकार, वास्तुकार, फिल्म निर्माता, कला निर्देशक, गायक, फोटोग्राफर और महान इंसान थे, जिन्हें सामाजिक कारणों के लिए फादर स्टेन के साथ मिलकर काम करने का सौभाग्य मिला था. शांति और समानता को बढ़ावा देना.अपने संबोधन में, जॉन देवराज ने शांति और सुलह के लिए काम करने के लिए फादर स्टेन के साथ बिताए समय को याद किया; उन्होंने छात्रों को बंदूक के बजाय कलम उठाने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने अपनी एक मौलिक रचना गाई फादर स्टेन को श्रद्धांजलि के रूप में ‘स्टेन की यह छोटी सी रोशनी‘.

  प्रिंसिपल, फादर रोहन डी‘अल्मेडिया ने छात्रों को फादर स्टेन द्वारा बताए गए मार्ग पर चलते हुए ईमानदारी, साहस और ईमानदारी के मूल्यों को अपनाकर न्याय और शांति के लिए खड़े होने के लिए प्रोत्साहित किया. स्कूल गायक दल ने ‘दिस लिटिल गाइडिंग लाइट ऑफ स्टेन‘ गीत की मधुर प्रस्तुति दी. आदिवासियों के लिए खड़े रहने वाले एक अनुकरणीय व्यक्ति फादर स्टेन द्वारा अपनाए गए मूल्यों को आत्मसात करने के लिए कक्षाओं में निबंध लेखन, वाद-विवाद, रोल प्ले और एक्सटेम्पोर जैसी कई गतिविधियाँ आयोजित की गईं. कक्षा 12 बी के छात्र रुशिल ने कहा, ‘हमारी मूल्य प्रणाली महत्वपूर्ण है और हमें पूंजीवादी समाज में व्यक्तियों के बजाय एक समुदाय के रूप में काम करने की जरूरत है.

      12वीं कक्षा का छात्र निर्विकार प्रकृति की प्रचुरता को प्रकृति के साथ साझा करने की आदिवासी संस्कृति के बारे में फादर स्टेन की जीवन यात्रा से प्रेरित था.

       कक्षा 11बी की छात्रा वीक्षा कहती हैं, ‘भारत की संस्कृति भारत की जनजातियों में गहराई से निहित है, जैसा कि हम उनकी परस्पर निर्भरता और प्रकृति के साथ उनके संबंध में देख सकते हैं, यही एक कारण था कि फादर स्टेन आदिवासियों के साथ खड़े थे.

   सभा का समापन छात्रों को अपने अधिकारों के साथ-साथ वंचितों के लिए लड़ने के लिए शिक्षित करने के साथ हुआ.जैसा कि फादर स्टेन का दृढ़ विश्वास था कि कहीं भी अन्याय हर जगह न्याय के लिए खतरा है.

   मालूम हो कि 84 वर्षीय फादर स्टेन स्वामी की 3 जुलाई, 2021 को हृदय गति रुकने से मौत हो गई। भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े केस में एक्टिविस्ट फादर स्टेन स्वामी को अरेस्ट किया गया था और जिस दिन उनकी मौत हुई उसी दिन बॉम्बे हाईकोर्ट में उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई होनी थी. फादर स्‍टेन स्‍वामी की मौत के बाद उनके परिवार और दोस्तों ने इसे संस्‍थागत हत्या का आरोप लगाया है.इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अब जेल में बंद अन्य लोगों के स्वास्थ्य और जीवन का डर है.

आलोक कुमार

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