Monday, 19 November 2012

                                           एक बार फिर सरकारी निकम्मेबाजी की पोल खुल गयी
पहले राजनीति के बडे़ भाई के कारण और अब छोटे भाई के कारण लोगों की अकाल मौत हो गयी। होता यह है कि इनके खातिरदारी में जिला प्रशासन लग जाता है। जबतक रहे दुरूस्त रहते हैं जैसे ही प्रस्थान कर जाते हैं और सुस्त पर जाते हैं।
 कुछ इसी तरह का नजारा सभी जगहों में देखा जाता है। कुछ साल पहले गंगा नदी के तट पर अर्ध्यदान संपन्न करवाने के लिए जिला प्रशासन के समस्त अधिकारी पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और उनकी धर्मपत्नी राबड़ी देवी के आवभाव में जुटे रहे। इसके कारण अन्य घाटों में पुलिसकर्मी को तैनात नहीं किया गया। जिसका फायदा नाविक उठाने लगे। संख्या से अधिक लोगों को दानापुर के तकियापर घाट पर नाविक नाव पर चढ़ा लिये। कुछ दूरी पर जाने के बाद नाव डूब गयी। दर्जनों लोगों की डूबने से अकाल मौत हो गयी।
 ठीक उसी तरह एकबार फिर हुआ। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गंगातट पर आये थे। कुछ समय बिताने के बाद प्रस्थान कर गये। जबतक घाट पर तक पुलिस जवान मुस्तैद रहें। खातिरदारी करते रहे। उनके जाने के बाद निष्क्रीय हो गये। भगदड़ मचने से करीब 15 लोगों की मौत हो गयी।

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