आज भी ग्रामीण क्षेत्र में वोट के अनुसार ही जन प्रतिनिधि किया करते काम
समाज में आज भी व्याप्त जाति प्रथा पर नकेल कंसने की कवायद जारी है। इस ओर समाज के अंदर सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं के द्वारा जोरदार ढंग से समेकित कार्य करने से जाति प्रथा में गिरावट होने लगी है। जाति प्रथा के द्वारा समाज में लगाम ढीला होते देख चतुर लोगों ने समाज पर दबदबा कायम रखने का अलग से मार्ग खोज निकाला है। इस क्रम में जन प्रतिनिधियों के द्वारा नयापन लाकर ‘वोट तुम्हारी और मर्जी हमारी’की राह पर अग्रसर हो गये हैं। अगर विजयी प्रतिनिधि को आप वोट नहीं देते हैं तो वहीं से जन प्रतिनिधियों की मर्जी शुरू हो जाती है। वोट नहीं देने का खामियाजा भुगतने के लिए तैयार हो जाए। वह आपका काम करें अथवा न करें, वह उसके मर्जी पर निर्भर है। और तो और अगर आप उक्त विजयी जन प्रतिनिधि के प्रतिद्वदी है और आप उक्त प्रतिद्वदी के रिश्तेदार हैं तो निश्चित मान कर चले कि विजयी जन प्रतिनिधि अपमानित करेंगे और अवश्य ही बदला लेगें। इसी तरह की मिलीजुली जानकारी प्राप्त हुई है।
सर्वविदित है कि नक्सलियों के आरामदायक और चारागाह स्थल बांका जिले के चांदन प्रखंड ही हैं। जहां पहाड़ और जंगल है वहीं पर नक्सली अपने आप को सुरक्षित समझकर पनाह लेते हैं। यहां के वातावरण भी नक्सलियों के मन मुताबिक है जहां पर पुलिस और आम आदमियों के साथ लुकाछिपी खेलने में उपयुक्त है। ये लोग अपने आपको ऐसा ढाल लेते हैं कि पुलिस को पसीना-पसीना कर देते हैं। इसी कारण उनके द्वारा किये गये हरके कदमों से पुलिस प्रशासन और आम से खास आदमी हलकान हो जाते हैं। इस लिए लोग अपने को सुरक्षित करने के उद्धेश्य से शाम के सात बजते ही घरों में दुबक जाते हैं। खैर,अब तो नक्सलियों की तरह की भूमिका और आंतक ग्राम पंचायत के मुखियों के द्वारा भी की जा रही है। ग्राम पंचायत के मुखिया के द्वारा कहीं ग्रामीणों को मनरेगा में काम करवाकर दाम नहीं दिया जा रहा है। आंगनबाड़ी केन्द्र में राजनीतिक एवं दादागीरी किया जा रहा है।
बांका जिले के चांदन प्रखंड के बड़फेरा तेतरिया ग्राम पंचायत के तेतरिया धनाकोल सड़क के बगल में 10 सालों से मघ्य आदिवासी टोला डुमरिया में आंगनबाड़ी केन्द्र चल रहा है। इस आंगनबाड़ी केन्द्र का कोर्ड नम्बर 90 है। केन्द्र बेहतर ढंग से संचालित हो रहा है। आंगनबाड़ी केन्द्र में ही मतदान केन्द्र बनाया जाता है। इस क्षेत्र के लोग राजनीतिक पर्व के अवसर पर मतदान किया करते हैं। रोड के किनारे रहने से सही सलामत से मतदान संपन्न करा लिया जाता है। त्रिस्तरीय गा्रम पंचायत का चुनाव संपन्न हो चुका है। परन्तु राजनीतिक खेल जारी है। हुआ यह कि आंगनबाड़ी केन्द्र की सेविका सुनीता मुर्मू की गोतनी और महेन्द्र हेम्ब्रम की पत्नी संगीता टुडू भी पंचायत समिति की सदस्या बनने के लिए मैदान-ए-जंग में थीं। मघ्य आदिवासी टोला डुमरिया गांव की संगीता टुडू और मुस्लिम बहुल टोला दक्षिणी डुमरिया की बड़की बेसरा के बीच में सीधी टक्कर थी। इस पंचायत समिति के चुनाव में जीत बड़की बेसरा की हो गयी। जो पहले संगीता टुडू को मैदान छोड़ देने के लिए कह दी थी। ऐसा नहीं करने से विजयी पंचायत समिति की सदस्या बड़की बेसरा ने पराजित प्रतिद्वदी संगीता टुडू की गोतनी सुनीता मुर्म से एक-एक कर बदला लेने पर उतारू है। प्रथम चरण में पंचायत समिति की सदस्या बड़की बेसरा ने सामुदायिक भवन में चले रहे आंगनबाड़ी केन्द्र के लिए अपने घर के सामने ही आंगनबाड़ी केन्द्र भवन निर्माण कराने लगी हैं। उसके बाद मघ्य आदिवासी टोला डुमरिया में संचालित आंगनबाड़ी केन्द्र का स्थानान्तरण नवनिर्मित आंगनबाड़ी केन्द्र मुस्लिम बहुल टोला दक्षिणी डुमरिया में कर दिया जाएगा। इसके बाद बात-बात पर दोषी करार करके ईसा मसीह की तरह सलीब पर लटकाने की योजना है।
संभावित खतरा को भांपकर मघ्य आदिवासी टोला डुमरिया गांव के निवासी हेमलाल हेम्ब्रम, पूर्व मुखिया बड़पफेरा तेतरिया ग्राम पंचायत एवं अन्य 223 लोगों ने हस्ताक्षरयुक्त आवेदन 21 अप्रैल 2012 को प्रखंड विकास पदाधिकारी,चांदन को पेश किया। इसमें उल्लेख किया गया है कि मघ्य आदिवासी टोला डुमरिया में पिछले दस सालों से आंगनबाड़ी केन्द्र सुचारूरूप से चल रहा है। इस केन्द्र के चार पूर्ण आदिवासी टोला यथा मघ्य डुमरिया,सोगेडीह,चिहरओर,किशनडीह एवं औझावथान तथा मुस्लिम बहुल टोला दक्षिणी डुमरिया, पोषक क्षेत्र है। तत्काल आंगनबाड़ी केन्द्र का भवन निर्माण बंद किया जाएं। इसके बाद इसके आलोक में 23 अप्रैल 2012 को माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बांका जिले के जिलाध्किारी को फैक्स किया गया। इसके चार दिनों के बाद 27 अप्रैल 2012 को सी.डी.पी.ओ. रतना कुमारी को व्यक्तिगत मिलकर गुहारयुक्त पत्रा दिया गया। इस समय संचालित जगह को उपयुक्त मान रहे हैं। जहां मासूम बच्चे आसानी से केन्द्र में आकर पढ़ा करते हैं। और तो और प्रशासन स्तर तक के अधिकारियों के लिए भी उपयुक्त स्थल है। बस गाड़ी से उतर जाइएं और आंगनबाड़ी केन्द्र का अनुश्रवण कर लीजिए। सेविका सुनीता मुर्मू के पति राजेन्द्र हेम्ब्रम ने घोषणा किये कि युगलकिशोर हेम्ब्रम के द्वारा आंगनबाड़ी केन्द्र भवन निर्माण कराने के लिए 5 डिसमिल जमीन दी जाएगी। सरकार चाहे तो आंगनबाड़ी केन्द्र बना ले। मगर किसी भी हाल में बेहतर ढंग से संचालित आंगनबाड़ी केन्द्र को किसी तरह की साजिश के तहत हटायी । आदिवासी संथाल के हिस्से को गैर आदिवासी को देने का प्रयास नहीं किया जाए। मघ्य आदिवासी टोला डुमरिया से हटाकर मुस्लिम बहुल टोला दक्षिणी डुमरिया में आंगनबाड़ी केन्द्र स्थानान्तरण नहीं किया जाए।
अभी कोर्ड नम्बर 90 आंगनबाड़ी केन्द्र की सेविका सुनीता मुर्मू हैं। बाल विकास परियोजना पदाध्किारी सुषमा कुमारी ने वर्ष 2006 में सहायिका पद को रिक्त घोषणा कर दी थी। बाद की सी.डी.पी.ओ. के द्वारा भी सहायिका को जोड़ा नहीं गया। इसके आलोक में सेविका सुनीता मुर्म ने झुमरी मुर्मू को सहायिका के रूप में जोड़कर 2006 से कार्य निष्पादन करा रही हैं। दुर्भाग्य से सहायिका झुमरी मुर्मू नामक आदिवासी संथाली महिला को 6 सालों से मानदेय नहीं मिल रहा है। मात्रा पेट पर ही कार्य कर रही हैं। अब आप बता सकते है कि यहीं सुशासन सरकार है?
भवनहीन आंगनबाड़ी केन्द्र रहने के कारण पंचायत समिति की सदस्या बड़की बेसरा ने अपने घर दक्षिण डुमरिया के बगल में पंचायत समिति के पफंड से आंगनबाड़ी केन्द्र का भवन निर्माण करा रही हैं। बस इसको लेकर आदिवासियों में भूचाल मच गया है। इस पर सेविका सुनीता मुर्मू के पति राजेन्द्र हेम्ब्रम ने कहा कि एक महिला जन प्रतिनिधि पंचायत समिति की सदस्या बड़की बेसरा के द्वारा आंगनबाड़ी केन्द्र की महिला सेविका सुनीता मुर्मू के साथ अन्याय कर रहीं हैं। एक महिला के द्वारा दूसरी महिला का अस्तित्व खत्म करने पर अमादा हैं। मामला बरकरार है।
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