समाज के किनारे महादलित मुसहर समुदाय रह गये हैं। इसने अपने पिताश्री के लिए रोटी बनायी थीं। पांच सूखी रोटी को चपेट कर पॉलिथिन में रख दी थी। अपने लिए सिर्फ दो रोटी बचा रखी थीं। घूम फिर कर पिताजी आये। उन्होंने बेटी को आवाज दिये कि अगर कुछ खाने के लिए है तो पेश करों। पिताजी की आवाज सुनकर बेटी ने पॉलिथिन में समेटकर सूखी रोटी को पेश कर दी।
दीघा मुसहरी पटना सदर प्रखंड में पड़ता है। दीघा ग्राम पंचायत से अलग करके पटना नगर निगम के अधीन कर दिया गया है। महादलित मुसहरों को न ग्राम पंचायत से और न ही पटना नगर निगम से फायदा हो रहा है। मेहनत मशक्कत करने के बाद पेट भर पाते हैं। इसे देखे सूखी रोटी ही पिताजी के सामने परोस दी। बगल में महजनी देवी बैठी थीं उसके कहने पर रोटी के साथ नमक और लाल मिर्च कर रख दीं। इसके बाद झुग्गी-झोपड़ी वाले घर के द्वार पर खुद रोटी,नमक और लाल मिर्च के सहारे पेट को भरने लगी। कुछ साल पहले सस्ती देवी नामक एक महिला रहती थीं। जो गाय-बैल के गोबर से गेहूं निकालकर अच्छी तरह से धोकर और सूखाकर खाने में व्यवहार करती थीं।
यह हाल है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राज में महादलितों के साथ हो रहा है। और तो और बिहार के मंत्री पद पर महादलित मुसहर समुदाय के जीतनराम मांझी कुंडली मारकर बैठे हैं। अनुसूचित जाति एवं जनजाति विभाग के मंत्री हैं। परन्तु अपने विरादरी के कल्याण की दिशा में पीछे रह जाते हैं।
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शराब को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का स्पष्ट कहना है कि शराबखोरी पर अंकुश लगायेंगे। परन्तु केवल वक्तैती जाहिर हो रही है। इनके मघ निषेघ विभाग भी कारगर कदम नहीं उठाता है। जिसके कारण शराब रोक पर अंकुश नहीं लग पाता है।
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aap ka samachar dekha
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