Sunday, 3 February 2013

मोकामा की महारानी माता मरियम की याद में वार्षिक तीर्थ यात्रा



  अगर आप लोकधर्मी हैं तो जरूर ही मोकामा की महारानी माता मरियम की याद में होने वाली वार्षिक तीर्थ यात्रा में शामिल हो। राजधानी पटना से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी में ईसाईयों की माता मरियम का भव्य पूजा स्थल बनाया गया है। लोक आस्था है कि मां मरियम के समक्ष भक्तगण प्रार्थना रूपी गिड़गिड़राहट करते हैं तो उनकी मांग को मां मरियम पूर्ण कर देती हैं। याद रहे कि हर धर्म के लोगों के द्वारा मांग की गयी मुराद पूरी होने के बाद भक्तगण मन्नत पूरा करने मां की चरण में आते हैं। अपने स्तर से मन्नत पूरी करते हैं। इस साल एक भक्तगण ने मां मरियम को चंादी की मुकुट अर्पित किये। कोई चुनरी,मोमबत्ती,अगरबर्त्ती आदि अर्पित करते हैं। 

 आज सुबह से ही भक्तगण मोकामा की ओर रूख करने लगे। ठंड की परवाह किये ही सुबह में उठकर मां मरियम की तीर्थ यात्रा में जाने की तैयारी करने लगे। भक्तगणों की सुविधा देने में पश्चिम मैनपुरा ग्राम पंचायत के पूर्व मुखिया धर्मेन्द्र पीछे नहीं हटे। इस बार भी दो दर्जन बसों को जुगाड़ करके भक्तों को मोकामा जाने के लिए व्यवस्था कर पाये। कोई 10 वर्षो से कर रहे हैं। वहीं झारखंड विधान सभा में एंग्लो-इंडियन समुदाय के मनोनीत सदस्य जीजे गोलस्टेन भी पीछे नहीं रहे। अपने विघालय दोमनिक सावियों की तमाम बसों को भक्तों को आवाजाही करने में लगा दिये। सुबह-सुबह लालू प्रसाद यादव के पुत्र भक्तों को मोकामा में भेजने के लिए कुर्जी मोड़ आ गये । 

  आज सुबह 6 बजे से ही धार्मिक अनुष्ठान अर्पित की गयी। पूर्वाह्न में अपाहिजों के कुशलक्षेम होने के लिए पूजा अर्पित की गयी। 1 बजे से मोकामा की महारानी माता मरियम के आदर में शोभा यात्रा निकाली गयी। येसु समाज के प्रोविशियल फादर जोय और पटना महाधर्मप्रांत के विकर जेनरल फादर देवस्या ने शोभा यात्रा का नेतृत्व किये। कोई 5 हजार लोग शोभा यात्रा में शिरकत किये। शोभा यात्रा में मां मरियम को विशेष तरह से बने पालकी में रखकर चर्च के अंदर परिभ्रमण कराया गया। इसके बाद पटना महाधर्मप्रांत के विकर जेनरल फादर देवस्या ने सामूहिक धार्मिक अनुष्ठान अर्पित किये और परमप्रसाद वितरण किये। इसके साथ ही मोकामा चर्च में चल रहे नौ दिवसीय प्रार्थना भी संपन्न होे गया। यहां पर नौ दिनों से लगातार प्रार्थना की जा रही थी।
 एक बार फिर केन्द्र सरकार के द्वारा अल्पसंख्यक ईसाईयों को दरकिनार करके ही रखा। लाख प्रयास करने के बाद भी दानापुर डीआरएम के द्वारा विशेष रेलगाड़ी चलाने की व्यवस्था नहीं की गयी। और तो और भीड़ को देखते हुए सुपर एक्सप्रेस के ठहराव को बढ़ाया नहीं गया। इसके कारण भक्तों को काफी दिक्कत और परेशानी उठानी पड़ी। हां,बिहार सरकार के द्वारा काफी सुरक्षा व्यवस्था की गयी थी। चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात रहे। एसडीओ साहब काफी मुस्तैद दिखायी दिये। वहीं आयोजन स्थल यानी मैदान में भक्तगण अधिक मौज करते देखे गये और उनमें कम भक्ति देखी गयी। ऐसा माहौल होने से लगभग पिकनिक स्पॉट बनकर रह गया। भीड़ को देखकर मोकामा चर्च के द्वारा खाने की व्यवस्था करने वालों को ऑफर दिया था। ऑफर मिलने के बाद स्थानीय दुकानदारों ने जमकर भक्तों को चूना लगाया। हॉफ प्लेट चावल और दो अंडा की कीमत 50 रूपये रखी गयी थी। इसके पीछे कारण है कि मोकामा चर्च ने अच्छी राशि लेकर ही स्टॉल लगाने दिया था। मोकामा चर्च के प्रधान पुरोहित फादर आल्विन को देखना चाहिए था। कुल मिलाकर धार्मिक और मनोरंजन का स्थल मोकामा बन गया था। 

  



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