राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना से लाभ उठाने लगे ग्रामीण
बांका।
गरीबी रेखा
के नीचे
रहने वालों
को सरकार
के द्वारा
राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना
के तहत
लाभान्वित
नक्सल प्रभावित बांका जिले
में चान्दन
प्रखंड है।
इसमें कुसुमजोरी नामक पंचायत
है। इस पंचायत में
टहकवानी गांव
है। इस गांव में
महादलित रविदास
समुदाय के लोग रहते
हैं। जो अनुसूचित जाति की सूची में शुमार हैं। इस गांव में
गरीब जगो
दास रहते
हैं। इनकी
पत्नी खैरिया
देवी हैं।
जो चार
साल से बीमार चल रही थीं।
गरीब होने
के कारण
गांवघर के ही झोलाछाप चिकित्सकों से दवा लेती
थीं और दवा खाकर
ठीक हो जाती थी।
इस बीच
नक्सल प्रभावित क्षेत्र में
पैक्स के सहयोग से प्रगति ग्रामीण विकास समिति
के कार्यकर्ता कार्यारंभ कर दिये। अपने
पंचायत और गांवघर में
कल्याण और विकास का कार्य करने
लगे। इस गांव में
ग्राम ईकाई
निर्माण करने
के बाद
कार्यकर्ता 10 दिसंबर 2012 को सामान्य बैठक
करने आये
थे। बैठक
में ही खैरिया देवी
के बारे
में जानकारी दी गयी
कि वह बीमार हैं।
इसके बाद
ग्राम ईकाई
के सक्रिय
सदस्यों ने प्रगति ग्रामीण विकास समिति
की दीदी
वीणा हेम्ब्रम को बताया
कि जगो
दास की पत्नी खैरिया
देवी बीमार
चल रही
है। काफी
दिनों से बीमार है।
ग्रामीण चिकित्सकों से दवा
खाकर ठीक
हो जाती
है। बैठक
के बाद
की वीणा
दीदी खैरिया
देवी के द्वार पहंुची। उसके पति
ने अपनी
पत्नी के बारे में
विस्तार से बताया। दीदी
यह जानने
का प्रयास
किया गया
कि आप लोग बी0पी0एल0
के श्रेणी
में हैं
? तब जो जरूर ही आप लोगों
को राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा
योजना के तहत स्मार्ट कार्ड निर्गत
किया गया
होगा ? स्मार्ट कार्डधारक को लेकर जगो
दास जागा
नहीं था।
इसके कारण
वह खैरिया
देवी का इलाज स्मार्ट कार्ड से नहीं करा
सका और न अन्य
परिवार के ही उसका
उपयोग कर सके।
यह भी देखा गया
कि जगो
दास के घर में
पैसा का सख्त अभाव
हो गया
था। जिसके
कारण चाहकर
भी चिकित्सा नहीं करा
रहा जा रहा था।
तब वीणा
दीदी ने अपने पर्स
से 300 रू0 निकाल कर दिया।
इस राशि
को लेकर
जगो दास
अपनी पत्नी
को सिमुलतला में स्थित
किसी हॉस्पीटल में इलाज
करवाने ले गये। इसके
पहले पेटी
में बंद
स्मार्ट कार्ड
को पेटी
में से निकालकर साथ
में लेते
चले गये।
पहली बार
10 रूपये में
बने स्मार्ट कार्ड का इस्तेमाल हो रहा था।
स्मार्ट कार्ड
को देखकर
हॉस्पीटल में
भर्त्ती कर लिया गया।
आवश्यक जांच
करवाने के बाद सबसे
पहले अल्ट्रासाउण्ड करवाया गया। जांच
के उपरांत
पता चला
कि खैरिया
देवी को अपेंडिक्ससाइटीस हो गया है।
सभी जांच
करवाने के बाद चिकित्सक ने अपेंडिक्स का ऑपरेशन
किया। यहां
पर 10 दिनों तक रखा गया।
भोजन और दवा पर कुल खर्च
पूरे 20 हजार रू0 हुआ। अब खैरिया देवी
ठीक हो गयी हैं।
उस वक्त
अपेंडिक्स गंभीर
हो जाता
है जब वह पक जाता है और शरीर
के अंदर
ही फट जाता है।
ऐसा होने
पर समूचे
शरीर में
जहर प्रसार
हो जाता
है। जहरवाद
से शख्स
की मौत
हो जाती
है। इसी
लिए विकसित
देश वाले
बाल्यावस्था में
ही ऑपरेशन
करके शरीर
से अपेंडिक्स निकलवा लेते
हैं। यह शरीर का अनावश्यक अंग
है।
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