Thursday 7 February 2013

ओ जाने वाले हो सके तो लौट के आना



जाने वाले हो सके तो लौट के आना          


  जाने वाले हो सके तो लौट के आना। अफसोस है कि जाने-माने सामाजिक कार्यकत्री इन्द्रावती देवी का निधन हो गया है। आज हम लोगों के बीच से चली गयी हैं। उनके अकस्मात् विदा ले लेने से पटना जिले के नौबतपुर और गया जिले के मानपुर प्रखंड में गम पसर गया है। मुम्बई से पार्थिव शरीर नौबतपुर पहुंचते ही लोगों की भीड़ उभर गयी। वातावरण गमगीन हो गया। आसपास के लोग कह रहे थे कि काष जिस प्रकार क्रिकेटर युवराज सिंह ने जानलेवा कैंसर के मुंह से कामयाब होकर बाहर आये गये हैं,उसी तरह इस सामाजिक कार्यकत्री के साथ हुआ होता। खैर,विधि के विधान के सामने सभी को नतमस्ष्तक होना ही पड़ता है।
 यहां पर हर आने और जाने वाले लोगों के जुबान पर बस यही सवाल उठ रहा था कि बड़े ही नेक दिल की थीं। अपनी समस्याओं के आगे दूसरों की समस्याओं पर अधिक ध्यान दिया करती थीं। किसी भी परिवार में विवाद हो जाने के बाद महिला हेल्प लाइन में कौन ले जाएगा? हां,पटना से गया तक की पीड़ित बहनों को इंसाफ दिलवाने में पीछे नहीं रहीं। वहीं किसी आयोजन में सामाजिक जागरूकता वाली गीत कौन प्रस्तुत करेंगी? इन्द्रावती गीत प्रस्तुत करें। उनके द्वारा स्वनिर्मित गीतों में प्रसिद्ध गान था।बहुत दिनों से शोषित बहिनिया जाग-जाग , कब ले सहबू जुल्मियां, बहिनिया जाग-जाग
   गैर सरकारी संस्था प्रगति ग्रामीण विकास समिति में 1992 से सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जुड़ी थीं। सबसे पहले बिहार शिक्षा परियोजना से संबंधित कार्य करने का भार सौंपा गया। इसको बखूबी से निभाने के बाद बिहार पुनर्निमार्ण कार्यक्रम से जुड़ी। महिला अत्याचार को सुलझाने के लिए निकटवर्ती थाना और महिला हेल्प लाइन में चक्कर लगाकर समस्याओं का समाधान कराती थीं। अभी गया जिले के मानपुर प्रखंड में कार्यरत थीं। सेफ दी चिल्ड्रेन कार्यक्रम से जुड़ी थीं।
  इस बीच सामाजिक कार्यकत्री इन्द्रावती देवी बीमार पड़ी। उनकी बच्चादानी में कैंसर हो गयी थी। पटना में समुचित इलाज की सुविधा नहीं होने के कारण ही चिकित्सकों ने उन्हें मुम्बई रेफर कर दिये। जहां पर इलाज के दौरान निधन हो गया। 55 साल की थीं। शव को ट्रेन से मुम्बई से पटना लाया गया। नौबतपुर प्रखंड के नारायण पुर में स्थित घर में पार्थिव शरीर को लोगों के दर्शनाथ रखा गया। जहां जन संगठन एकता परिषद, प्रगति ग्रामीण विकास समिति,अन्य संस्थाओं के अलावे ग्रामवासियों ने दर्शन कर पुष्पांजलि अर्पित किये।  
  इसके बाद शव को फूल और मालाओं से सुसज्जित गाड़ी पर रखकर अंतिम क्रिया संपन्न करवाने के लिए दानापुर स्थित पीपापुल के पास लाया गया। वहां पर पवित्र गंगा नदी के किनारे ही दाह संस्कार कर दिया गया। उनके पति बैजनाथ प्रसाद ने मुखाग्नि दिये। इस दुखभरी समय में उनके चार पुत्र भी उपस्थित थे। इस अवसर पर प्रदीप प्रियदर्शी, मंजू डुंगडुंग,सिंधु सिन्हा,बाबू लाल चौहान,संजय कुमार सिन्हा आदि लोग उपस्थित थे। सेफ दी  चिल्ड्रेन प्रोजेक्ट के प्रोजेक्ट मैंनेजर कुमार आशुतोष,अनिल पासवान,राजदेव,निर्मली देवी,पिंकी आदि ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि हम लोगों के बीच से निछावर कार्यकर्ता चली गयी हैं। जो निकट भविष्य में भरना मुश्किल है।
  

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