Sunday 31 March 2013

माता-पिता, बुज़ुर्गों पर केन्द्रित मार्मिक कविता पोस्टर प्रदर्शनी


माँ: भाव यात्राप्रदर्शनी का आयोजन 4 अप्रैल से

माता-पिता, बुज़ुर्गों पर केन्द्रित मार्मिक कविता पोस्टर प्रदर्शनी

भोपाल। यहां पर भला कौन शख्स है जो सामाजिक सरोकारों के पेरोकार से भली-भांति परिचित हो? चर्चित कवि-फ़िल्मकार अनिल गोयल की कलाकृति माता-पिता, बुज़ुर्गों पर केन्द्रित है। उन कविताओं को पोस्टर्स पर उकेरा गया है। पूरी तरह से भावनाओं को पोस्टर्स पर उतारा गया है। आयोजकों को विश्वास है कि 4 से 7 दिनों तक आने वाले दर्शकों को यह प्रदर्शनी भावुक बना देना देगा। प्रदर्शनीमाँ: एक भाव यात्राको उज्जैन की कालिदास वीथिका में लगाई जा रही है।

  भावुक प्रदर्शनी वैसे इंसानों को सबक सीखाएगा। जो माता-पिता, बुजुर्गों की अनदेखी करते हैं। अनदेखी करने वाली संतानों पर श्री गोयल ने तीखा रचनात्मक प्रहार किया है जो उनके अंतर्मन को खदबदा देता है। ब्लैक एंड व्हाइट फोटो की पृष्ठभूमि पर उकेरी कई पंक्तियाँ जैसेपति को/ काँधा देने/ चार जने/ आए/ मेरे जने/ चार नहीं आए/ बसयामेरे ही/ दूध से/ मिला बल/ इतना कि/ मुझ पर ही/ आजमाया गयाष्याबाँझ स्त्री/ कोसती है भगवान को/ पूतोंवाली/ ख़ुद को कोसती है



संक्षिप्त परिचय

अनिल गोयल

बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी अनिल गोयल कुछ बरसों से सामाजिक सरोकारों से जुड़ी अपनी कई मुहिम खासकर माँ, बेटी, पशु -पक्षी, जंगल, पर्यावरण, पानी आदि को लेकर संवेदनशीलता से नाता रखनेवालों के बीच अलग ही नज़र आते हैं। उनके कविता पोस्टर्स आंदोलित करते हैं। उनकी मार्मिकता बेचैन करती रहती हैं। अपनी तरह की इकलौती यह प्रदर्शनी अब तक देश के अनगिनत स्थलों पर लगाई जा चुकी है।

कवि नेमाँके बहाने औरत के साथ सदियों से जारी अत्याचार-अनाचार को बेनकाब किया है। छोटी-छोटी पंक्तियों में माँ के प्रति बदलते रवैये से दर्शकों को कड़वी सचाई का अहसास होता है।लोरियाँ सुनाकर/ सुलाती थी जिसे/ जागती है/ उसी की/ घुड़कियाँ सुनयाकहाँ-कहाँ/ नहीं भटके/ औलाद की ख़ातिर/ कहाँ-कहाँ/ नहीं भटकाया/ औलाद नेअथवा यह किमाँ-बाप/ अँधेरी कोठरी में हैं/ घर का चिराग़/ रौशन हैजैसी उत्तेजक पंक्तियों से समाज का कसैला सच दिखानेवाले श्री गोयल में बदलाव की उम्मीद भी दिखती है इसीलिए उनकी एक कविता बहुचर्चित रही है किमत कहिए कि मेरे साथ रहती है माँ/ कहिए कि माँ के साथ रहते हैं हम उनका आग्रह है किमाँ के कज़र्/ की क़िस्त/ समय से चुकाइये/ सुख, समृद्धि/ और वैभव का/ बोनस पाइए ज्ञातव्य है कि भोपाल के सुभाष नगर विश्राम घाट पर यह संवेदनशील प्रदर्शनी स्थायी रूप से प्रदर्शित है।

उस विषय को विभिन्न माध्यमों से जनचिंता का आधार बनायेंगे जो विलुप्त होते जा रहे हैं। इसी के तहत कई बरसों से अनेक नगरों-कस्बों में बुजुर्गों, बेटी, पशु -पक्षी, जंगल, पर्यावरण, पानी आदि पर केंद्रित कविता पोस्टर प्रदर्शनी का आयोजन. ‘माँऔरबिटिया की चिट्ठियांप्रदर्शिनयाँ बहुचर्चित रहीं. www.maa-mother.com और www.bitiyakichithiya.com नामक बेव साइट देश के असंख्य नेट यूजर्स द्वारा बेहद सराही जा रही है. इसमें बेटियों पर केंद्रित कविता पोस्टर्स, समाचार और लेखादि पढ़े जा सकते हैं. ‘उसी चौखट से’/ ‘बिटिया की चिठिया’/ ‘रोटी नहीं सवाल नयापुस्तकों का प्रकाशन है। सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करने वाले रचनाकार-कलाकार के रूप में प्रतिष्ठित संस्थाओं से सम्मानित. संपर्क: ‘अंतरनाद’, 265 , सर्वधर्म कालोनी, कोलार रोड, भोपाल 462042 (मप्र) मो. 09425302353







No comments: