Wednesday 20 March 2013

गगनचुम्बी इमारतों के लिए जमीन न दें- मंत्री





बिहार में 18 विभागों को मिलाकर कृषि कैबिनेट तैयार की गयी है। कृषि रोड मैफ के द्वारा आगे बढ़ा जा रहा है। अगर इसमें कुछ खामियां हो तो उसमें सुधार किया जा सकता है। इसका अच्छा नतीजा सामने आने लगा है। हम चीन को पछाड़कर आगे बढ़े हैं। चीन में प्रति हेक्टर 190 क्विटंल धान होता है तो अपना बिहार में 224 क्विटंल धान पैदा हो रहा है। जो विश्व रिकॉर्ड है।

स्थानीय अनुग्रह नारायण समाज अध्ययन संस्थान के सभागार में बुधवार को ऑक्सफैम इंडिया के सहयोग से प्रगति ग्रामीण विकास समिति के तत्तावधान में एक दिवसीयछोटे जोत की कृषि और महिला किसानो की समस्याएं एवं संभावनाएंपर राज्य स्तरीय परिसंवाद के अवसर पर कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह ने स्पष्ट तौर पर लोगों का आह्वान किया कि आप लोग गगनचुम्बी इमारतों के लिए जमीन देने में हाथ खींच ले। अगर सरकार के द्वारा औघोगिक प्रांगण बनाने के लिए जमीन की मांग की जा रही है तो दिल खोलकर जमीन दें। ऐसा करने से साढ़े दस करोड़ बिहारियों को फायदा होगा।

  मंत्री जी का कहना है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी केमेरे सपनों का भारतनिर्माण के कार्य के आलोक में विदेषी कम्पनियों को भारत में रोजगार लगाने नहीं दें। इससे खुदरा व्यापार करने वालों को फायदा होगा।  विदेषी नीति और विदेषियों के चक्कर में आने से उदारण प्रस्तुत करते हुए कहा कि एक किलोग्राम टमाटर के बीज की कीमत 75 हजार रू0 हो जाता है। वहीं हम लोगों के द्वारा तैयार किया गया बीज मात्र 500 रू0 में मिल जाएगा। इससे बचने की जरूरत पर बल दिया।

आज देश की बहुत हालत खराब है। भारत में 90 फीसदी रहते हैं। 10 फीसदी ही इंडिया में रहते हैं। इसमें 3 फीसदी स्वयं और 7 फीसदी नौकरचाकरों की है। ऐसे लोग शंखपति बन गये हैं। 90 फीसदी लोगों के भोजन के थाल में चार सब्जी रहती थी जो घटकर 2 सब्जी हो गयी है। भर पेट भात,दाल और सब्जी नहीं मिल पा रहा है। कपड़ों की भी संख्या घट गयी है। दवा-दारू और चिकित्सकों की फीस काफी बढ़ गयी है। कुल मिलाकर 70 से 90 प्रतिशत कृषि पर निर्भर रहने वालों को काफी मुश्किल हो रहा है।  

 इम परिसंवाद में आये प्रतिनिधियों का मानना है कि बिहार में काफी बदलाव हुआ है। सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नेतृत्व का ही कमाल है। जो पिछली सरकार की गलतियों को सुधार कर इस पिछड़े राज्य को तरक्की की राह पर अग्रसर करा रखा है। फिर भी आज कुछ करने की जरूरत है ताकि अन्य राज्यों की तुलना में हम श्रेष्ठ हो सके।

  यह ऐतिहासिक सच है कि जमीन्दारी उन्मूलन कानून 1948 को पारित कराने में बिहार अव्वल रहा है। इस राज्य के द्वारा ही भूमि सुधार कानून बनाने की शुरुआत की गयी, जो धीरे-धीरे अनुशरण करके समस्त अन्य राज्य की सरकारों ने के द्वारा भुमि सुधार कानून बना दिये। बिहार प्रिविलेज्ड परसन्स होमस्टीड टिथेन्सी एक्ट (बी.पी.पी.एच.टी.) 1947 कानून भी लागू है। बिहार भूमि हदबंदी कानून 1961 बना। बासगीत के लिये गैरमजरुआ खास और गैरमजरुआ जमीन की बंदोबस्ती की नितियाँ और नियम है। आज जरूरत है, भूमि सुधार संबंधी  अनेक कानून बने है। उसे  ईमानदारी से लागू करना। ऐसा करने से बिहार काफी आगे बढ़ सकता है। हां, उसमें आधी आबादी महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाए। 

 बताते चले कि राज्य सरकार के द्वारा बिहार प्रिविलेज्ड होमस्टिड टिथेसी एक्ट, 1947 के तहत आवासीय भूमिहीनों को 12.5 डिसमिल ज़मीन देनी है. इस अधिनियम में कई बार संशोधन किया गया। कालातंर में इसमें 2.5 डिसमिल ज़मीन घटाकर 10 डिसमिल ज़मीन कर दी गई। इसके बाद मनमौजी राज्य सरकार ने एकाएक 6 डिसमिल ज़मीन घटाकर आवासीय भूमिहीनों को 4 डिसमिल ज़मीन देने लगी। सरकार ने आवासीय भूमिहीनों को दी जाने वाली ज़मीन की हिस्सेदारी में 1 डिसमिल ज़मीन कटौती कर 3 डिसमिल ज़मीन कर दी। अभी आवासीय भूमिहीनों को 3 डिसमिल ज़मीन दी जा रही है। अब तो मौजूदा सरकार 3 डिसमिल ज़मीन देने में कटौती करने जा रही है। वहीं महादलित आयोग ने अपनी सिफारिश में आवासहीनों को दस डिसमिल,भूमि सुधार आयोग के अध्यक्ष 10 और जन सत्याग्रह 2012 के महानायक पी.व्ही.राजगोपाल ने समस्त जनता की ओर से 10 डिसमिल जमीन देने की मांग की है। जो आवासीय भूमिहीनों के हक दिलवाने के लिए कानून तैयार किया जा रहा है।

  यह विडम्बना है कि खेत-खलियान में महिलाएं मजदूर बनकर रह गयी हैं। उनको महिला किसान का दर्जा हासिल नहीं है। इसके आलोक में केन्द्र सरकार ने महिला किसान हकदारी विधेयक 2011 को संसद में लाया है। इस विधेयक में महिला किसानों के हित में काफी सुझाव दिये गये है। महिला कृषकों हेतु केन्द्रीय कृषि विकास निधि स्थापित करेगी जिसे महिला कृषकों को अधिकारिता प्रदान करने जैसे, महिला कृषक हितैषी प्रौद्योगिकी विकास के लिए प्रोत्साहन, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण, बाजार सुविधाओं के सृजन,पालनाघरों और दैनिक परिचर्या केन्द्रों के गठन,महिला कृषकों के लिए सामाजिक सुरक्षा,वृद्धावस्था पेंशन और नियमों में यथा विहित अन्य संबंधित विषयों के लिए उपयोग किया जाएगा। महिला कृषकों हेतु केन्द्रीय कृषि विकास निधि स्पित करेगी जिसे महिला कृषकों को अधिकारिता प्रदान करने जैसे, महिला कृषक हितैषी प्रौद्योगिकी विकास के लिए प्रोत्साहन, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण, बाजार सुविधाओं के सृजन,पालनाघरों और दैनिक परिचर्या केन्द्रों के गठन,महिला कृषकों के लिए सामाजिक सुरक्षा,वृद्धावस्था पेंशन और नियमों में यथा विहित अन्य संबंधित विषयों के लिए उपयोग किया जाएगा।

 प्रस्ताव पारित किया कि भूमि सुधार आयोग के अध्यक्ष की अनुशंसा लागू हो। खेतीहर महिलाओं को महिला किसान का दर्जा दिया जाए। महिला किसानों को आजीविका के लिए एक एकड़ जमीन दी जाएं। आवासीय भूमिहीनों को 10 डिसमिल जमीन मिले। मनरेगा में महिलाओं को मेट बनाये और इसकी मजदूरी में बढ़ोतरी हो। भूमि सुधार संबंधी कार्रवाई को त्वरित अंजाम देने की जरूतर है ताकि न्याय मिलने में विलंब हो। त्वरित न्यायालय की स्थापना हो।

  इस अवसर पर स्वागत भाषण और परिसंवाद के बारे में ऑक्सफैम क्षेत्रीय प्रबंधक प्रवीन्द कुमार प्रवीण ने जानकारी दी। छोटे जोत की कृषि और महिला किसान के ऊपर प्रेसेंटेशन प्रगति ग्रामीण विकास समिति के सचिव प्रदीप प्रियदर्शी ने किया। सुश्री वनिता सुनैजा ने भी आार्थिक न्याय को जोड़कर महिला किसानों के बारे में बताया। इसके अलावे आई.सी..आर.,पटना के वरीय कृषि वैज्ञानिक मनोहर सिंह मीणा, पूसा के उपकुलपति प्रो.डा.गोपालजी त्रिवेदी, कृषि विषेषज्ञ डा. प्यारेलाल, बिहार किसान आयोग के अध्यक्ष सी.पी.सिन्हा, पटना विश्वविघालय के प्रो. डा. नवल किशोर चौधरी आदि मुख्य हैं। इनके अलावे कृषि एवं ग्रामीण विकास से जुड़े विशेषज्ञ जानकार गणमान्य हस्ति विचार व्यक्त किये। परिसंवाद की अध्यक्षता पूसा के उपकुलपति प्रो.डा.गोपालजी त्रिवेदी ने किया।



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