पटना।
ईसाई समुदाय पवित्र
गुरूवार को विशेष
दिन मानते हैं।
आज गिरजाघरों में
बारम्बार यह गीत
प्रस्तुत की जाती
है। मैंने प्रभु
और गुरू होकर
भी धोएं पैर
तुम्हारे , तू ने
भी धोना सब
की जो है
भाई तुम्हारे। प्रभु
येसु ख्रीस्त बर्तन
में पानी लेकर
अपने शिष्य के
पैर धोने लगे।
पैर को धोने
के बाद कपड़े
से पोछकर पैर
में चुम्बन लिए।
इसी तरह तू
ने भी करना
है जो भाई
तुम्हारे हैं।
हम
अपने प्रभु येसु
ख्रीस्त के क्रूस
पर गौरव करते
हैं। हां , बेशक
संसार के सभी
ईसाई धर्मावलम्बी प्रभु
येसु ख्रीस्त के
क्रूस पर गौरव
करते हैं। आज
के ही दिन
येसु ख्रीस्त ने
पुरोहिताई और परमप्रसाद
की स्थापना की
थी। येसु ने
अपने 12 शिष्यों
के साथ अंतिमबार
भोजन किए। 12 शिष्य
पुरोहित बने और
जो अंतिम बार
भोजन किए। वह
परमप्रसाद के रूप
में विकसित हुआ।
इसके पहले येसु
ने अपने शिष्य
के पैर धोएं।
प्रेम धोने के
साथ शिष्यों के
साथ प्रगाढ़ प्रेम
प्रदर्शित किए। यूदस
नामक शिष्य के
द्वारा विरोध करने पर
येसु ने कहा
कि यदि पैर
न धो दूं
तो तेरे साथ
कोई संबंध नहीं
रह जाएगा। यह
न भूले कि
जो स्नान कर
चुका है। उसे
स्नान करने की
जरूरत नहीं है।
केवल पैर ही
धोने से कर्त्तव्य
पूरा हो सकता
है। इस बीच
येसु ने स्पष्ट
कर दिए कि
तुम सबके सब
शुद्ध नहीं हो।
अगर आपलोग प्रभु
और गुरू कहते
हो , तुम्हारे पैर
धोएं हैं। तो
तुम्हें भी दूसरे
का पैर धोना
चाहिए। जैसा मैंने
तुम्हारे साथ किया
हूं। तुम भी
किया करो।
कुर्जी
गिरजाघर के प्रधान
पुरोहित फादर जोनसन
केतकर ने कहा
कि प्रभु येसु
ख्रीस्त विनम्र के स्त्रोत
हैं। संसार के
राजाओं के राजा
होने के बाद
भी पवित्र खजुर
इतवार के दिन
महाराजा की तरह
हाथी और घोड़ा
पर बैठकर शहर
में प्रवेश नहीं
किए। वरण विनम्र
की मूर्ति येसु
ने गदहा पर
बैठकर शहर में
आए। इसी अवस्था
में लोगों ने
शानदार स्वागत किए। हरियाली
टहनियों को हिलाहिला
कर स्वागत किए।
जो कुछ था
लोगों ने राह
में बिछा दिए।
इससे एक कदम
बढ़ाकर अपने शिष्य
के पैर धो
दिए। उस समय
महिलाएं ही अतिथियों
के पैर धोते
थे। अगर महिला
नहीं तो दास
लोग पैर धोते
थे। इसके बावजूद
प्रभु और गुरू
होकर शिष्यों के
पैर धोएं। फिर
पवित्र शुक्रवार के दिन
येसु ने सलीब
पर चढ़ाने वालों
को क्षमादान कर
देते हैं। हे
! प्रभु माफ कर
देना कि यह
नहीं जानते कि
क्या कर रहे
हैं ?
आगे
फादर जोनसन ने
कहा कि उस
समय मेमना की
बलि देकर ही
बलिदान चढ़ाया जाता था।
अब नूतन विधान
के तहत व्यक्ति
के चतुर्दिक विकास
के लिए प्रभु
येसु ख्रीस्त ने
प्राण त्याग दिए।
रक्त और शरीर
ही दे दिया
है। जो प्रत्येक
दिन चर्च के
अंदर जाने पर
मिल सकता है।
जब स्नान ग्रहण
करने के बाद
ईशायत धर्म स्वीकार
कर लेते हैं।
यह खुला ऑफर
है। संसार के
मुक्तिदाता के द्वारा
दिए गए आहार
को ग्रहण किया
जाए।
Alok
Kumar
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