शिल्पोत्सव का समापन
पटना। नौ दिनों तक उपेन्द्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान में गुलजार रहा। बिहार सरकार के द्वारा पाटलिपुत्र औघोगिक परिसर में स्थित उपेन्द्र महारथी शिल्प अनुसंस्थान संस्थान में 2 से 9 अप्रैल तक शिल्पोत्सव का आयोजित किया। इसमें देश भर के कलाकारों ने शिरकत किए। वहीं विभिन्न जगहों से 23 शिल्पकार आये। राज्य सरकार ने शिल्पकला को जीर्वित रखने के लिए प्रतियोगिता आयोजित करायी। इसमें 150 कलाकारों ने हिस्सा लिये। विजयी शिल्पियों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। इसके साथ ही उत्कृष्ठ स्टॉल के प्रदर्शन के लिए स्टॉलधारकों को पुरस्कृत किया गया। जिसमें तीन हस्तशिल्प एवं तीन हस्तकरघा के स्टॉलधारक शामिल हैं। सबसे सुखद अनुभूति यह है कि अभी-अभी राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से पद्मश्री सम्मानित होने वाले बह्मदेव राम पंडित उपस्थित रहे।
इसका समापन मंगलवार को हो गया। मौके पर योजना एवं विकास विभाग के प्रधान सचिव विजय प्रकाश ने कहा कि आज इस संस्थान में कलाकृतियों का संगम हुआ है। इसका आयोजन शानदार ढंग से किया गया। बिना बाधा बिघ्न से कार्यक्रम हुआ। इसके कारण देशभर के कलाकार बेखौफ होकर आये और अपनी कलाओं का मुजायरा किये।
इसके पूर्व धीरज कुमार वर्मा ने भगवान बुद्ध की, शिवशंकर शर्मा ने साई बाबा की, रश्मिी भारती ने पटुआ से गणेश जी की , इन्द्रदेव कुमार ने छठ महापर्व की, अनीता कुमारी ने महाबोधि वृक्ष की प्रतिमा बनायी। इसके अलावे दर्जनों नयमा विराम प्रदर्शनी लगायी गयी। इस प्रदर्शनी को योजना एवं विकास विभाग के प्रधान सचिव विजय प्रकाश, क्रियेटिव लर्निग स्कूल की निदेशक डा. मृदुला प्रकाश आदि ने निहारा और प्रशंसा किये।
स्वागत भाषण में संस्थान के उप विकास पदाधिकारी अशोक कुमार सिन्हा ने किया गया। इस अवसर पर कहा कि यह कुंभ के समान है। यह कला का कुंभ है। सभी कलाकार अलग-अलग जगहों से आए है और सभी एक- दूसरे की तकनीक एवं विषय वस्तु से भी प्रभावित हुए हैं। उनका यहां आना और कार्य करना हमारे लिए सुखद है।
सांस्कृतिक कार्य निदेशाालय, पटना के निदेशक विनय कुमार ने कहा कि सही मायने में लोक कला हमारे जीवन की कला है। उसका उद्भव हमारे ह्नदय से होता है। पारंपरिक रूप से पीढ़ी दर पीढ़ी कलाकार एक-दूसरे सससे सीखते-सीखाते हैं और सारा जीवन कला की तपस्या में लगा देते हैं। उनकी कला जनकला तो है ही उनका कलात्मक फलक भी बहुत बड़ा हैं। उन्हें नजदीक से देखते एवं महसूस करतने की जरूरत है। अभी-अभी पद्मश्री सम्मान से नवाजे गए बह्मदेव राम पंडित को शॉल, बुके एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि कलाकर्म और कला-रचना है। इस पर बात करते-करते अपनी मिट्टी और गांव की संवेदना की याद ताजा कर दी।
इसके बाद उपेन्द्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान के निदेशक शैलेश ठाकुर ने कहा कि यह पहली बार है कि इस परिसर में इतना बड़ा आयोजन हुआ है। एक तरफ देश भर के कलाकार आए है तो दूसरी तरफ राज्य सरकार पुरस्कार हेतु प्रतियोगिता में 150 कलाकार भाग लिये। यह सुखद अनुभव है। इसके साथ ही उत्कृष्ठ स्टॉल के प्रदर्शन के लिए स्टॉलधारकों को पुरस्कृत किया गया। जिसमें तीन हस्तशिल्प एवं तीन हस्तकरघा के स्टॉलधारक शामिल हैं।
अंत में अध्यक्षीय भाषण उघोग विभाग के प्रधान सचिव नवीन वर्मा ने कहा कि इस तरह का अयोजन को देखते हुए हमारा बल और बढ़ा है। अगले वित्तीय वर्ष में हम और तरह-तरह के आयोजन करेंगे। अधिकाधिक कला शिविर, शिल्प मेला और कलाकारों को पुरस्कृत करेंगे ताकि बिहार की छवि और बढ़े। कलाकारों, कलाप्रेमियों एवं आगंतुकों को नवल किशोर दास ने धन्यवाद दिया। इसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इसमें बिहार के कई प्रतिष्ठित एवं उभरते हुए कलाकारों ने अपनी सुरीली आवाज को बिखेरा।