पटना। बिहार घरेलू कामगार संगठन की
सिस्टर लीमा रोज ने कहा है कि आज हमारा देश भारत आजाद है। दिल पर हाथ रखकर कहे कि
क्या भारत आजाद हैं? हां,आजादी के बाद भी ‘आजाद’ नही
हैं।विशेषकर महिलाएं अपने घरों में हो या
घर के बाहर जाकर काम करने वाली महिलाएं। महिलाओं को दोनों जगहों में शोषण का शिकार
होना पड़ता है। जब आर्थिक तंगी के कारण और पुरूषों के वर्चस्व के खिलाफ महिलाएं
किसी के घरों में जाकर कार्य करती हैं तो उनसे 8 से 18 घंटे काम लिया जाता है। इस तरह घर और बाहर में महिलाओं
की स्थिति अत्यंत ही चिन्तनीय बन जाती है।नियोजक के घरों में काम करने वाली
महिलाओं को उचित काम का दाम नहीं मिलता है। इतना ही नहीं महिलाएं अपने हक-अधिकार
की बात को स्वतंत्र रूप से रख नहीं पाती हैं। मगर हक की बात करती हैं तो उनको
कपोलकल्पित स्टोरी बनाकर महिलाओं को प्रताड़ित किया जाता है। महिला कामगारों को आसानी
से चोरी का दुपट्टा ओढ़ा दिया जाता है। विस्तृत पड़ताल करने से जाहिर हो पाता है कि
आरोप झूठा था।
सिस्टर लीमा ने आगे कहा कि अगर महिला
कामगार बीमार पड़ती हैं। तो उसके कारण काम पर नहीं जाने से मिलने वाली अल्पराशि में
कटौती कर दी जाती है। कई जगहों पर उनके साथ शारीरिक एवं मानसिक शोषण किया जाता है।
और तो और अधिकार के साथ उनके साथ यौन शोषण किया जाता है। उनलोगों द्वारा न ही
घरेलू काम को ही महत्व दिया जाता और न ही घरेलू कामगारों को ही इज्जत दिया जाता
हैं ।
आगे कहा कि जोरदार ढंग से सिनेमा और
टी0वी0सीरियल में भी घरेलू
कामगारों को दोयम दर्जे के रूप में परोसा जाता है। इनको हीनदृष्टि से दिखाया जाता
है। आर्थिक असमानता के कारण आजकल महिला घरेलू कामगारों की संख्या 90 प्रतिशत हैं।
दुर्भाग्य से उनके हित के लिए केन्द्रीय सरकार और राज्य सरकार ने कानून नहीं बना
रखा है। केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा कानून नहीं बनाने से दिक्कते होती रहती
है। कानून बनाने वाले नेताओं और अधिकारियों के घरों में घरेलू कामगार विराजमान
रहते है। अपने ही निर्मित कानून से अपना गला घोंटना नहीं चाहते हैं। सिस्टर लीमा
ने कहा कि आज हमलोग जन सुनवाई आयोजित किए हैं। घरेलू कामगार महिला नीरू देवी
सदृश्य महिलाएं आपबीती बयान दर्ज कराएंगी। नीरू देवी और अन्य घरेलू कामगार महिला
सरकार से मांग करती हैं कि सरकार घरेलू कामगारों के लिए अलग से कानून बनाये।
सरकारी कल्याण, विकास और
सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से घरेलू कामगारों को जोड़े ताकि घरेलू कामगार भी अन्य
कामगारों की तरह ही मान सम्मान और अधिकार के साथ जी सकें।
इसके पूर्व पटना उच्च न्यायालय के
अवकाश प्राप्त न्यायधीश वीएन सिन्हा, पटना उच्च न्यायालय की अधिवक्ता अल्का वर्मा, सिविल कोर्ट की
वकील श्रुति सिंह,ओम प्रकाश
और मो0गजनफर नवाब
ने मिलकर दीप प्रज्जवलित किए।
आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट,पटना।
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