Sunday 7 April 2013

फरवरी माह के वेतनादि से महरूम




धरती पर रहकर कार्यालय में करने वाले  बड़ा बाबू मुंगेरी लाल के हसीन सपने देखने में व्यस्त

फरवरी माह के  वेतनादि  से महरूम

मसौढ़ी। अभी घर के छोटे बाबू को दूध मिलना मुश्किल होने लगा है। कारण की धरती पर रहकर कार्यालय में करने वाले  बड़ा बाबू मुंगेरी लाल के हसीन सपने देखने में व्यस्त थे। इसी मुंगेरी लाल के हसीन सपने ही स्वास्थ्यकर्मियों से वेतनादि से महरूम कर दिया।
सरकारी नियमानुसार वित्त विभाग से वेतनादि का आवंटन मंगाना पड़ता है। नियम के अनुसार धनरूआ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में आवंटन आया था। आवंटित राशि ही बड़ा बाबू को आसमान में विचरण करने का मौका दे दिया। राशि को देकर पुनः राशि की मांग नहीं

 हुआ यह कि बड़ा बाबू ने फरवरी माह के वेतनादि बनाकर वित्तीय वर्ष की समाप्ति के पूर्व बैंक में एडवाइज भेज दिये थे। बैंक के द्वारा प्रेषित एकडवाइज देखने के बाद बैंककर्मी के होश फाख्ता हो गया। करीब लाख रू. की मांग के विरूद्ध केवल बैंक में 85 हजार रू. ही था। 30 मार्च को बड़ा बाबू को जानकारी दी गयी कि एडवाइज और चेक मंजूर नहीं हो सका। बैंक ने चेक को बॉन्स करार दिया है। 31 मार्च को रविवार था। इसके कारण सरकार से राशि की मांग नहीं की जा सकती थी। इस तरह राशि के आवंटन के अभाव में स्वास्थ्यकर्मियों को फरवरी माह का वेतनादि नहीं मिल सका।

  प्राप्त जानकारी के अनुसार बड़ा बाबू ने कैश बुक को अघतन ही नहीं किये। इसके बाद क्रेडिट और डेबिट करना ही भूल गये। इसका मतलब हमेंशा दिखायी दे रहा था कि कर्मियों को वेतन देने के लिए काफी रकम बैंक में पड़ा हुआ है। एक माह में कम से कम वेतन मद में 6 लाख रूपये की जरूरत पड़ती। अगर अन्य के रूप में अंग्रिम राशि को जोड़ा जाए तो 10 लाख रूपये व्यय होता है। तो बैंक में पड़ा सिर्फ 85 हजार रू.ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो गया। इस अल्पराशि से 90 से ऊपर ही स्वास्थ्यकर्मियों को वेतन नहीं दिया जा सका।
 अब अपनी महागलती को सुधारने में बड़ा बाबू लग गये हैं। मार्च महीने के वेतनादि निकालने की कोशिश में लग गये है। मार्च महीने में बिना आवंटन के ही राशि देने का प्रावधान है।  अब सवाल यह उठता है कि जिसके जिम्मे एकाउंटस है। वह किस तरह से कार्य करते हैं। इस तरह की गलती करने वाले बड़ा बाबू पर किस तरह की कार्रवाई की जा रही है। कबतक फरवरी माह के वेतनादि का भुगतान किया जाएगा
?

  इस बढ़ती मंहगाई में नियमित वेतन मिलने से काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। बैंक से लॉन लेने वालों को प्रीमियम देना मुश्किल हो गया है। स्वास्थ्यकर्मियों की मांग है कि लापरवाह बड़ा बाबू पर कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में गलती कर सके।