Thursday 2 May 2013

बिहार भूदान यज्ञ कमिटी की कार्यप्रणाली को देखकर विनोबा भावे विचलित हो उठते



 बिहार भूदान यज्ञ कमिटी की कार्यप्रणाली को देखकर विनोबा भावे विचलित हो उठते
समस्तीपुर। बिहार भूदान यज्ञ कमिटी की कार्यप्रणाली को देखकर विनोबा भावे विचलित हो उठते। कम से कम प्राप्त खबर से जरूर ही पता चल पा रहा है। हुआ यह कि बिहार भूदान यज्ञ कमिटी के द्वारा दी गयी जमीन का पट्टा जरूर मिला, परन्तु उस पर सरकारी उसीनता के कारण आजतक कब्जा हो सका।
 समस्तीपुर जिले वारिसनगर प्रखंड के छतनेश्वर नामक गांव में महादलित स्व.जनक राम के पुत्र श्यामसुन्दर राम (58 साल ) रहते हैं। वारिसनगर प्रखंड मुख्यालय से छतनेश्वर नामक गांव 5 किलोमीटर की दूरी पर है। इस गांव से प्रखंड मुख्यालय तक जाने का सीधा मार्ग नहीं है। इस गांव में दलित पासवान और रविदास की अधिक संख्या है। यहां के श्यामसुन्दर राम को बिहार भूदान यज्ञ कमिटी के द्वारा 24-11-2003 को 9 डिसमिल जमीन का पट्टा मिला। खाता संख्या- 362 और खेसरा संख्या 1833 है। यह जमीन धनहर है।
  सुखद पहलू यह है कि बिहार भूदान यज्ञ कमिटी के द्वारा जमीन का पट्टा जरूर उपलब्ध कराया मगर आजतक जमीन नहीं उपलब्ध नहीं करा सका। इसका मतलब जमीन का पट्टा मेरे हाथ और जमीन किसी ओर के हाथ में है। इसके साथ ही उक्त जमीन को पाने के लिए महादलित श्यामसुन्दर राम को कार्यालय में आनेजाने का मैराथन दौड़ शुरू हो गया। अव्वल वारिसनगर प्रखंड के अंचलाधिकारी महोदय के कार्यालय में जाकर आवेदन दिया गया। फिर बिहार भूदान यज्ञ कमिटी के कार्यालय में 100 रूपए का रसीद कटाकर आवेदन पेश किया गया। मजे की बात है कि उक्त जमीन की नापी करवाने हेतु सरकारी अमीन की फीस भी जमा कर दिये हैं। मगर आजतक नापी नहीं की गयी। 6 माह दौड़ते रह गये। कुछ-कुछ बहाना बनाकर टाल दिया जाता रहा। इसके बाद समस्तीपुर समाहरणालय में जाकर जिला समाहर्ता के जनता दरबार में कई बार आवेदन दिये। यहां पर भी किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गयी। इसके बाद तिरहुत कमिश्नरी के कमिश्नर महोदय के कार्यालय में जाकर गुहार लगाये। कमिश्नर साहब के दरवाजे पर दस्तक देकर हार गये। यहां के मगर यह ज्ञात हो सका कि जिस जमीन का पट्टा दिया गया है, वह जमीन किधर है? क्या किसी दानव ने जमीन को निगल गया है?इस समय पता नहीं चल पा रहा है कि आसमान और धरती के बीच ही लटककर रह गया है। इस जमीन पर कब्जाने की कोशिश करते-करते थकहार गये है।
  महादलित श्यामसुन्दर  राम का कहना है कि 9 डिसमिल जमीन पाने के लिए हमने जितनी मेहनत की है और लागत व्यय किये हैं। उतने समय और रकम में किसी दूसरी जगह में जमीन खरीद पाते। जमीन की रकवा भी अधिक हो जाती। वारिसनगर प्रखंड के सामाजिक कार्यकर्ता मो.अजीजुर रहमान ने कहा कि बिहार भूदान यज्ञ कमिटी के द्वारा कागजी खानापूर्ति करने के लिए जमीन का पट्टा मिला है। परन्तु जमीन पर कब्जा नहीं दिलवा पा रहा है। इनके पास कानूनी शक्ति नहीं है जिसके कारण पर्चाधारियों को कब्जा दिला सके। ऐसी स्थिति में भूदान भूमि के प्रणेता विनोबा भावे मचलन जाते।