Wednesday 7 August 2013

अब एक नहीं दो बार टेस्ट की दौर से गुजरेंगे राज्यकर्मी



पहले हिन्दी टिप्पण एवं प्रारूप परीक्षा उर्त्तीण हो गए

अब कम्प्यूटर की बेसिक परीक्षा उर्त्तीण करनी होगी

पटना। बिहार सरकार ने अल्पसंख्यकों को तुष्टिकरण करने के ख्याल से राज्यकर्मियों को ईद के पहले वेतनादि देने की घोषणा की है। इस घोषणा के आलोक में बड़ा बाबू दे दनादन जुलाई माह के वेतनादि बनाकर कोशागार में वेतनादि  मंजूरी करने के लिए राज्यकर्मियों की सूची भेज दी। इस बीच ट्रेजरी के बड़ा बाबूओं ने जुलाई माह के वेतनादि पर ब्रेक लगा दिया गया।  उनका कहना है कि राज्यकर्मियों को जुलाई माह के वेतनादि में वार्षिक वेतन वृद्धि का समावेश नहीं किया जाएगा। कारण कि सरकार ने ऐलान की है कि जो राज्यकर्मी कम्प्यूटर की बेसिक परीक्षा उर्त्तीण नहीं करेंगे। उनको वार्षिक वेतनमान में वृद्धि नहीं किया जाए। इसको लेकर राज्यकर्मियों में आक्रोश व्याप्त है।
यकायक फरमान पर घोर चिंता-
राज्य सरकार के द्वारा यकायक घोषणा की गयी है कि जो राज्यकर्मी 15 दिवसीय कम्प्यूटर की बेसिक परीक्षा उर्त्तीण नहीं करेंगे। उनको जुलाई माह से होने वाले वार्षिक वेतन में वृद्धि नहीं की जाएगी। इस तरह की घोषणा से राज्यकर्मियों में आक्रोश व्याप्त है। बिना पूर्व में जानकारी दिये ही राज्य सरकार ने वार्षिक वेतन में वृद्धि करने पर पाबंदी लगा दी है।
खुद ही व्यय करनी पड़ेगी रकम-
राज्यकर्मियों को खुद ही 15 दिवसीय कम्प्यूटर की बेसिक परीक्षा की फीस 52 सौ देनी होगी। परीक्षा शुल्क के रूप में 12 सौ रूपए देना होगा। इस तरह राज्यकर्मियों को 64 सौ रूपए व्यय करना पड़ेगा। राज्यकर्मियों का कहना है कि प्रशिक्षण में लगने वाला खर्च को सरकार के द्वारा वहन करना चाहिए। इसका रसीद कम्प्यूटर सेंटर के संचालक देंगे। जो प्रमाणित होगा। कई वर्षों पहले पढ़ाई छोड़ काम धंधा में मन लगाने वाले राज्यकर्मियों को आसमान से तारा तोड़ लाने वाला कार्य लग रहा है। ऐसे लोगों को कम्प्यूटर की परीक्षा उर्त्तीण करना दांत से लोहा का चना चबाने वाला साबित होगा। इस परिस्थिति में भ्रश्टाचार को बढ़ावा मिलना निश्चित है।
 बिना दाम के काम बनने वाला नहीं-
यह जगजाहिर है कि राज्यकर्मियों को राश्ट्रभाषा विभाग,बिहार के द्वारा हिन्दी टिप्पण एवं प्रारूप परीक्षा में उर्त्तीण होने के लिए मोटी राशि दी जाती थी। बिना मोटी राशि दिये ही हिन्दी टिप्पण एवं प्रारूपण परीक्षा की राजपत्रित/अराजपत्रित कोटि में कोई उर्त्तीण नहीं हो सकता था। आप लाख भी परीक्षा हॉल में कोपी खोलकर लिखों अथवा बगल में बैठी सहेली से नकल करो। कोई फर्क नहीं पड़ता है। प्रमंडलीय राजभाषा कार्यालय पटना प्रमंडल, पटना में या राष्ट्रभाषा विभाग,बिहार,पटना के कार्यालय में जाकर मोटी रकम चढ़ानी ही पड़ेगी।
काम करने के वर्षों-वर्षों बाद ही परीक्षा दी-
आज भी अधिक संख्या में राज्यकर्मी हैं जो हिन्दी टिप्पण एवं प्रारूपण परीक्षा उर्त्तीण नहीं किये हैं।  जब से बिहार सरकार ने हिन्दी टिप्पण एवं प्रारूपण परीक्षा उर्त्तीण करना अनिवार्य कर दिया है। उनका उसी समय से वार्षिक वेतन वृद्धि अवरूद्ध हो गया है। एक बाधा दूर नहीं कर सके और तो अब द्वितीय बाधा सामने गया है। इसे राज्यकर्मी बाधा दौड़ कह रहे हैं।
सरकार की चाहत है कि राज्यकर्मी बहुआयामी बने-
राज्य सरकार की चाहत हे कि राज्यकर्मी बहुआयामी बने। अपना काम खुद करें। कम्प्यूटर में डाटा इंटर करें। एक माउस क्लिक करने से बाबुओं के पास आंकड़ा उपलब्ध हो जाएगा। अब देखना है कि नवीकरण को राज्यकर्मी कितना ग्रहण कर पाएंगे। राज्यकर्मियों की चाहत है कि इसे वार्षिक वेतन वृद्धि से नहीं जोड़ा जाए। इसकी पढ़ाई शुरू से ही करवाई जाए।

आलोक कुमार