जल्द से जल्द मखदुमपुर स्थित उप स्वास्थ्य शाखा में चिकित्सक बहाल किया जाए
एम्बुलेंस में 10 से अधिक संख्या हो जाने पर गाड़ी में चढ़ने के लिए धक्का-मुक्की
पटना। अपने पंजीकृत संस्था/संस्थाओं को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कर्मचारी राज्य बीमा निगम में पंजीकृत कराया जाता है। बीमित संस्थानों को एकमुश्त मासिक प्रीमियर देना पड़ता है। संस्थानों के द्वारा अपने कामगारों के मासिक वेतन में से राशि काटकर प्रीमियर जमा किया जाता है। इसके
एवज में कर्मचारी राज्य बीमा निगम के फुलवारीशरीफ स्थित आदर्श अस्पताल में कामगार और उनके परिवार के सदस्यों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करायी जाती है। इसके अलावे जगह-जगह में उप स्वास्थ्य केन्द्र खोल रखा है। वहां पर एक चिकित्सक एवं अन्य स्वास्थ्यकर्मी पदस्थापित रहते हैं। यहां पर चिकित्सक के द्वारा जांचकर कुछ जरूरी दवा उपलब्ध करायी जाती है। विशेष बीमारी होने पर आदर्श अस्पताल, फुलवारीशरीफ में रेफर कर दिया जाता है।
दो सप्ताह से चिकित्सक नदारद-

कोई व्यवस्था नाम की चीज ही नहीं है-
उल्लेखनीय है कि कर्मचारी राज्य बीमा निगम के द्वारा एम्बुलेंस की व्यवस्था की गयी है। इसमें ही उप स्वास्थ्य
शाखाओं से रोगियों को बैठाकर फुलवारीशरीफ स्थित आदर्श अस्पताल में पहुंचाया जाता है। एम्बुलेंस में सिर्फ 10 मरीजों को ही बैठाने की व्यवस्था है। इसके कारण मरीज और उनके परिजनों को काफी दिक्कत उठानी पड़ती है। एम्बुलेंस में जगह सुनिश्चित करने के लिए मरीजों एवं उनके परिजनों को जुगाड़ व्यवस्था पर निर्भर होना पड़ता है। कोई भी व्यक्ति सुबह 5 बजे से ही खड़ा हो जाते हैं। खड़ा होने वाले व्यक्ति इलाज करवाने के इच्छुक व्यक्ति से कर्मचारी राज्य बीमा निगम के द्वारा प्रदत स्मार्ट कार्ड को लेकर जमा करने लगता है। 9 बजे एम्बुलेंस आने के बाद 10 मरीज बैठकर चले जाते हैं। जो इसमें बैठने में असमर्थ हो जाते हैं। तो 10 बजे वाली एम्बुलेंस के लिए इंतजार करने लगता है। उस समय भी कोई व्यक्ति स्मार्ट कार्ड संग्रह करने लगता है। 10 बजे वाली एम्बुलेंस में 10 से अधिक संख्या हो जाने पर गाड़ी में चढ़ने के लिए धक्का-मुक्की तक करना पड़ जाता है। कारण कि प्रमाणित तौर पर आगे-पीछे की संख्या तय नहीं की जाती है। जो गाड़ी में चढ़ने में समर्थ हो जाता है। तो उसको बेड़ा पार हो जाता है। चढ़ने में असमर्थ वाले पीछे रह जाते हैं। उन्हें अगले दिन तक इंतजार करना पड़ता है।
इतना
तो सूबे
के मुख्यमंत्री
के लिए
इंतजार नहीं
करना पड़ता-

क्या
सुधार करना
चाहिए?-
कर्मचारी राज्य बीमा निगम के प्रबधंक को चाहिए कि किसी जिम्मेवार व्यक्ति को रखकर एम्बुलेंस गाड़ी में आने-जाने में होने वाली दिक्कत को दूर कर देना चाहिए। 10 से अधिक संख्या वाले एम्बुलेंस की व्यवस्था करनी चाहिए कि किसी को उदास होकर घर जाना नहीं पड़े। जल्द से जल्द मखदुमपुर स्थित उप स्वास्थ्य शाखा में चिकित्सक बहाल किया जाए। खुदा मेहरबान है कि एम्बुलेंस के अभाव में किसी तरह की अप्रिय घटना नहीं घट पायी है। अगर कुछ होगा तो लोग उग्र बनकर एम्बुलेंस को अग्नि के हवाले करने से नहीं चूकेंगे।
आलोक कुमार