मुख्यमंत्री और डीएम साहब जायजा लेने खुद आए
सुशासन सरकार के मुखिया नीतीश कुमार नेः

राष्ट्रीय ग्रामीण नियोजन कार्यकम से घर बना थाः
राष्ट्रीय ग्रामीण नियोजन कार्यकम के तहत खप्परैल घर बनाया गया था। जो अबतक पर गिरने को उतारू है। इस कार्यकम से बने घर में लगे ईंट, खप्पड़ा, बांस आदि जोरजोर से चिल्लाकर अपनी आपबीती दासता बयान कर रहा है। जिसे सुशासन के नौकरशाह सुनने को तैयार नहीं है और न ही इस तरह के दृश्य गण प्रतिनिधि ही देखना चाहते हैं। इसके कारण घर बरसात के समय झरना बन जाता है। गर्मी के दिनों में भगवान दिवाकर सीधे घर में प्रवेश कर जाते हैं। यह हाल जीतू मांझी का है। इसका पिताजी की मौत हो गयी है। मां बुढ़ी हो गयी है। आंख से ठीक तरह से देख नहीं सकती है।
रोड पर ही फग्गू मांझी की झोपड़ी हैः
यहां पर जितनी जमीन थी। उसको सयानों के बीच में वितरण कर दिया है। जो बच गये हैं। वैसे लोग रास्ते में ही झोपड़ी बनाकर रहने को बाध्य हैं। बदनसीब फग्गू मांझी है। जो रास्ते पर रहने को बाध्य हैं। इसके झोपड़ी के सामने ही नाला बहते रहता है। इसी में बच्चे हेलकर बाहर जाते हैं। दो जून की रोटी तलाशने मां-बाप बाहर चले जाते हैं। इनके बच्चे राम के भरोसे रह जाते हैं। फग्गू मांझी कहते हैं कि उनके 9 बच्चे हुए थे। जो कोई न कोई बीमारी की चपेट में पड़कर इहलीला समाप्त कर लिये हैं। काफी दयनीय स्थिति में रहते हैं। जब आमदनी नहीं होता है तो भूखले सो जाना पड़ता है। कम राशि होने पर बचत करने का सवाल ही नहीं उठता है। बस आप समझ लीजिए। किसी तरह से जिन्दा हैं। मानो जीवित लाश ही है। आदमी और जानवर में फर्क नहीं है। वह भी खाने के लिए जिंदा रहते हैं और हम लोग भी खाने के लिए ही जिन्दा है।
नये सिरे से सरकार एकल-एकल घर बना दें:
अर्थाभाव के कारण खप्पड़ा और बांस नहीं बदलतेः
अभी हम लोगों के पास पैसा नहीं है जिसके कारण खप्पड़ा और बांस नहीं बदल पाते हैं। आप देख लें। इस ढहने से बचाने के लिए बांस लगा दिया गया है। उसके ऊपर प्लास्टिक डाल दिया गया है। यहां के अधिकांश घरों के ऊपर में प्लास्टिक लगा दिया गया है। जो पानी को आने से बचाव कर सके। परन्तु प्लास्टिक भी पानी को रोक नहीं पाता है। पानी गिरने से कर बदल-बदल कर सोना पड़ता है।
जिसको मुसहरी में जगह नहीं मिली तोः
जिसको मुसहरी में जगह नहीं मिली तो पटना-दीघा रेलखंड के चाट में आकर रहने लगे हैं। हजारों की संख्या में कुकुरमुते की तरह निकल आयी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चाहते है कि घाटे के सौदा रेल को बंद करके फोर लाईन रोड निर्माण कर दें। जो कतिपय कारणों से मुख्यमंत्री की चाहत पूर्ण नहीं हो पा रही है।
अगर फोर लाईन बनेगा तो पुनर्वास का मामला बन जाएगाः

आवासीय भूमिहीनों को 10 डिसमिल जमीन दें:
इन आवासीय भूमिहीनों को सरकार जल्द से जल्द 10 डिसमिल जमीन दें। अगर जमीन न हो तो जमीन खरीदकर ही दे दें। सरकार के मंत्री कहते है कि महादलितों को जमीन पर बसाने के लिए पर्याप्त धनराशि है। इसके आलोक में जल्द ही रेलवे चाट में रहने वालों को पुनर्वास करने के बारे में निर्णय लिया जाए।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जिलाधिकारी डा.एन.श्रवण कुमार से आग्रह मुसहर समुदाय ने किया है कि आप स्वयं आकर मुसहरी की स्थिति का जायजा लें। इसके बाद हम मुसहरों के हित में कोई ठोस कार्रवाई करें।
आलोक कुमार