Saturday 14 September 2013

भगवान राम को बैर खिलाने वाली मां शबरी के वंशज दीघा मुसहरी में कष्टमय में


मुख्यमंत्री और डीएम साहब जायजा लेने खुद आए
पटना। आजकल भगवान राम को बैर खिलाने वाली मां शबरी के वंशज दीघा मुसहरी में बहुत ही कष्टमय जिदंगी व्यत्तित कर रहे हैं। कमोवेश यहीं हाल अन्य मुसहरियों में भी है।  राजधानी के बगल में ही दीघा मुसहरी है। यहां पर 75 घरों 400 की संख्या में महादलित मुसहर रहते हैं।पूर्व केन्द्रीय रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने पटना घाट से दीघा घाट तक रूक-रूक कर चलने वाली रेलगाड़ी का परिचालन शुरू करवाये थे। पटना-दीघा रेलखंड का दीघा हॉल्ट दीघा मुसहरी में ही है।
सुशासन सरकार के मुखिया नीतीश कुमार नेः
 सुशासन सरकार के मुखिया नीतीश कुमार ने मुसहरों की स्थिति देखकर राज्य महादलित आयोग बनाया था। लोजपा के सुप्रीमों रामविलास पासवान के जाति को छोड़कर सभी दलितों को महादलित आयोग में शामिल कर लिया गया है। तय था कि महादलितों का विकास करेंगे। लगता है कि महादलितों का विकास ही अवरूद्ध हो गया है।
  राष्ट्रीय ग्रामीण नियोजन कार्यकम से घर बना थाः
राष्ट्रीय ग्रामीण नियोजन कार्यकम के तहत खप्परैल घर बनाया गया था। जो अबतक पर गिरने को उतारू है। इस कार्यकम से बने घर में लगे ईंट, खप्पड़ा, बांस आदि जोरजोर से चिल्लाकर अपनी आपबीती दासता बयान कर रहा है। जिसे सुशासन के नौकरशाह सुनने को तैयार नहीं है और ही इस तरह के दृश्य गण प्रतिनिधि ही देखना चाहते हैं। इसके कारण घर बरसात के समय झरना बन जाता है। गर्मी के दिनों में भगवान दिवाकर सीधे घर में प्रवेश कर जाते हैं। यह हाल जीतू मांझी का है। इसका पिताजी की मौत हो गयी है। मां बुढ़ी हो गयी है। आंख से ठीक तरह से देख नहीं सकती है।
रोड पर ही फग्गू मांझी की झोपड़ी हैः
यहां पर जितनी जमीन थी। उसको सयानों के बीच में वितरण कर दिया है। जो बच गये हैं। वैसे लोग रास्ते में ही झोपड़ी बनाकर रहने को बाध्य हैं। बदनसीब फग्गू मांझी है। जो रास्ते पर रहने को बाध्य हैं। इसके झोपड़ी के सामने ही नाला बहते रहता है। इसी में बच्चे हेलकर बाहर जाते हैं। दो जून की रोटी तलाशने मां-बाप बाहर चले जाते हैं। इनके बच्चे राम के भरोसे रह जाते हैं। फग्गू मांझी कहते हैं कि उनके 9 बच्चे हुए थे। जो कोई कोई बीमारी की चपेट में पड़कर इहलीला समाप्त कर लिये हैं। काफी दयनीय स्थिति में रहते हैं। जब आमदनी नहीं होता है तो भूखले सो जाना पड़ता है। कम राशि होने पर बचत करने का सवाल ही नहीं उठता है। बस आप समझ लीजिए। किसी तरह से जिन्दा हैं। मानो जीवित लाश ही है। आदमी और जानवर में फर्क नहीं है। वह भी खाने के लिए जिंदा रहते हैं और हम लोग भी खाने के लिए ही जिन्दा है।
    नये सिरे से सरकार एकल-एकल घर बना दें:                                 
स्व. नुनू मांझी की पत्नी गोधी देवी का घर है। जो अपने पुत्र मनोज कुमार को दे दी है। गोधी देवी कहती हैं कि हरेक घर जर्जर हो गया है। हम लोग चाहते हैं कि नीतीश सरकार नये सिरे से घर बनवा दें। अभी जितने लोगों के नाम से घर है उतने ही लोगों को एकल-एकल घर बनवा दें। हम लोग बहुमंजिला घर के खिलाफ हैं। बहुमंजिला घर एक बार बनता है तो बना ही रह जाता है। आने वाले बच्चों को उक्त घर में रख नहीं पाते हैं। मिट्टी के घर होने से बच्चों के लिए कुछ कुछ कर ही लेते हैं। 
 अर्थाभाव के कारण खप्पड़ा और बांस नहीं बदलतेः
 अभी हम लोगों के पास पैसा नहीं है जिसके कारण खप्पड़ा और बांस नहीं बदल पाते हैं। आप देख लें। इस ढहने से बचाने के लिए बांस लगा दिया गया है। उसके ऊपर प्लास्टिक डाल दिया गया है। यहां के अधिकांश घरों के ऊपर में प्लास्टिक लगा दिया गया है। जो पानी को आने से बचाव कर सके। परन्तु प्लास्टिक भी पानी को रोक नहीं पाता है। पानी गिरने से कर बदल-बदल कर सोना पड़ता है।
जिसको मुसहरी में जगह नहीं मिली तोः
जिसको मुसहरी में जगह नहीं मिली तो पटना-दीघा रेलखंड के चाट में आकर रहने लगे हैं। हजारों की संख्या में कुकुरमुते की तरह निकल आयी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चाहते है कि घाटे के सौदा रेल को बंद करके फोर लाईन रोड निर्माण कर दें। जो कतिपय कारणों से मुख्यमंत्री की चाहत पूर्ण नहीं हो पा रही है।
अगर फोर लाईन बनेगा तो पुनर्वास का मामला बन जाएगाः
इस समय पटना-दीघा रेलखंड पर चलने वाली रेलगाड़ी दीघा हॉल्ट पर खड़ी है। उसके बगल में झोपड़ी देखा जा सकता है। अगर फोर लाईन रोड निर्माण करने की बात उठेगी। तो रेलवे चाट में हजारों की संख्या में निर्मित झोपड़ियों में रहने वालों को पुनर्वास करने की जरूरत पड़ जाएगी। आखिर महादलित मुसहर समुदाय के लोग कहां चले जाएंगे?
आवासीय भूमिहीनों को 10 डिसमिल जमीन दें:
इन आवासीय भूमिहीनों को सरकार जल्द से जल्द 10 डिसमिल जमीन दें। अगर जमीन हो तो जमीन खरीदकर ही दे दें। सरकार के मंत्री कहते है कि महादलितों को जमीन पर बसाने के लिए पर्याप्त धनराशि है। इसके आलोक में जल्द ही रेलवे चाट में रहने वालों को पुनर्वास करने के बारे में निर्णय लिया जाए।
 अंत में मुख्यमंत्री और डीएम साहब जायजा लेने खुद आएः
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जिलाधिकारी डा.एन.श्रवण कुमार से आग्रह मुसहर समुदाय ने किया है कि आप स्वयं आकर मुसहरी की स्थिति का जायजा लें। इसके बाद हम मुसहरों के हित में कोई ठोस कार्रवाई करें।

आलोक कुमार