महिलाओं को कहती हैं कि आप योजना के बारे में यह मत सोचे की केवल बच्चादानी निकालने वाली योजना है। योजना यहीं तक ही सीमित नहीं है। बल्कि सभी तरह की बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। अगर कोई बीमारी का नाम सूची में नहीं है तो जिला कुंजी पदाधिकारी अथवा राज्य स्तर के पदाधिकारियों से मुलाकात कर बीमारी को सूची में अंकित कराया जा सकता है। कोई लक्ष्मण रेखा निर्धारित नहीं है।
सहार। डी.एफ.आई.डी.पैक्स से सहयोग से गैर सरकारी संस्था प्रगति ग्रामीण विकास समिति के द्वारा नक्सल प्रभावित क्षेत्र भोजपुर जिले के सहार प्रखंड के बरूही गांव में कार्यनेत्री सिंधु सिन्हा और देवंती देवी समाज के किनारे रह गयी ग्रामीण महिलाओं के साथ बैठक कर रही हैं। उनको अब लिंक से हटकर कुछ प्रभावशाली किार्य करने के लिए मंत्रना दे जा रही हैं।
बचत समूह की महिलाएं पट्टा पर खेत लेकर खेती करती हैं:
अगर आप लोग महिलाएं बचत समूह बनाकर पट्टा पर खेत लेकर खेती कर सकती हैं। अगर महिलाएं संकल्प कर लेती हैं। तो यह काम आसानी से महिलाएं कर सकती हैं। इसका सफल उद्हारण सहार प्रखंड की महिलाओं ने पेश की हैं। ये ग्रामीण महिलाएं पट्टा पर खेत लेकर खेती करती हैं। अन्य जिलों की ग्रामीण महिलाएं पट्टा पर जमीन लेकर खेती करके अनुशरण कर सकती हैं। जो इस दिशा में परिपक्व हो गयीं हैं। ये महिलाएं अन्य महिलाओं को सामूहिक खेतीबारी करने में बेहतर और भलीभांति से मार्गदर्शन कर सकती हैं।
जमीन में महिलाओं का नाम अंकित करके संयुक्त पट्टा देनाः
गांवघर में नेतृत्व करने वाली महिला बहनों को जमीन जायदात में अधिकार लेने की बात बैठक में बतायी जाती है। अब सरकार के द्वारा भी कानून बना दी गयी है कि जमीन की खरीददारी में पति और पत्नी के नाम से संयुक्त पट्टा दी जा रही है। इसी तरह इंदिरा आवास योजना में महिलाओं के नाम से राशि निर्गत करके घर की दीवार पर पति और पत्नी के नाम से नेम प्लेट लगा दी जा रही है। जो भविष्य में बेहतर परिणाम देने वाला साबित होगा।
त्रिस्तरीय ग्राम पंचायत के चुनाव में भागीदारी करनाः
गांवघर में नेतृत्व करने वाली बहनों को त्रिस्तीय ग्राम पंचायत चुनाव के वक्त चुनाव में सीधी भागीदारी के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। मुखिया से लेकर सदस्य तक महिला जन प्रतिनिधि बन गयी हैं। जो आधी आबादी के जागरूकता का परिणाम है। अब रसोईघर से निकलकर प्रखंड के बीडीओ ऑफिस तक जाने को सक्षम हो गयी हैं।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजनाः
राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के बारे में पूर्ण जानकारी देती हैं। महिलाओं को कहती हैं कि आप योजना के बारे में यह मत सोचे की केवल बच्चादानी निकालने वाली योजना है। योजना यहीं तक ही सीमित नहीं है। बल्कि सभी तरह की बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। अगर कोई बीमारी का नाम सूची में नहीं है तो जिला कुंजी पदाधिकारी अथवा राज्य स्तर के पदाधिकारियों से मुलाकात कर बीमारी को सूची में अंकित कराया जा सकता है। कोई लक्ष्मण रेखा निर्धारित नहीं है।
जननी सुरक्षा योजनाः
आशा दीदी से मिलकर जननी सुरक्षा योजना से लाभ उठाया जा सकता है। तीन बार प्रसव जांच के लिए 300
रू. दिया जाता है। तीन बार आयरन फौलिक्क एसिड आईएफए के लिए भी तीन सौ रू. दिया जाता है। दो बार टेटनस टॉक्साइड टी.टी.लेने पर 1 सौ रू. दिया जाता है। इस तरह 7 सौ रू. और संस्थागत प्रसव करवाने के बाद 7 सौ रू. दिया जाता है। दोनों को मिलाकर गा्रमीण क्षेत्र में
1400 सौ और शहरी क्षेत्र में
1000 रू. दिया जाता है। यहां पर संस्थागत प्रसव 700
सौ रू. के बदले सिफ 300
सौ रू. दिया जाता है। इस फर्क के बारे में महिलाओं को विस्तार से जानकरी दी जाती है। मोबाइल गाड़ी को बुलाकर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में जा सकते हैं। उसी तरह घर भी जा सकते हैं। अगर यह सुविधा गांवघर में न उपलब्ध होता हो तो संगठन के बल पर जन अधिकार के लिए जन आवाज बुलंद की जा सकती है।
मनरेगा में महिला मेट की चुनौती स्वीकार करनाः
महिलाओं को महात्मा गांधी नरेगा में पूर्ण हिस्सेदारी हासिल करने के लिए ललकारा भी जाता है। अब महिलाएं सिर्फ मजदूर ही नहीं रहेंगी बल्कि मनरेगा में महिला मेट भी बन सकती हैं। इस तरह की चुनौती लेने के लिए तैयार रहने की जरूरत है। राज्य सरकार भी चाहती है कि हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित हो। जब किसी तरह का अवसर आता है तो दोनों हाथ से बटौर लेना चाहिए।
आगे जमीन पीछे वोट नहीं जमीन नहीं वोटः
आवासीय भूमिहीनों को 3 डिसमिल जमीन देने के लिए सरकार कृतसंकल्प है। अगर इसमें किसी तरह की कौताही की गयी तो उसे सहन नहीं करना है। उसे बता देना हैं कि हम लोग संगठित हैं और संगठित होकर मुकाबला कर सकते हैं। इसका ठोस प्रमाण देने की जरूरत है। इसे बहुत जल्द ही अमल में लाना है। वर्ष
2014 में लोक सभा का चुनाव होने वाला है। आने वाले उम्मीदवारों को बता देंगे जो हम लोगों के नारा के साथ हैं उनको ही वोट देंगे। उनसे कह देंगे कि बात करने के पहले आगे जमीन पीछे वोट नहीं जमीन नहीं वोट के बारे में चर्चा करें। अब समय चला गया है कि आप आश्वासन देकर चले जाते थे और कुर्सी से जाकर चिपक जाते थे। अब धरती पर आकर समझौता करों और अपने चुनावी घोषणा पत्र में भूमि सुधार अभियान को अमल करने संबंधी बातों को शामिल करो। इसके लिए अपने घरों की दीवारों पर आगे जमीन पीछे वोट नहीं जमीन नहीं वोट का नारा लिखना होगा। इसके अलावे जन संगठन के नारों को भी लिखा जा सकता है।
आलोक कुमार