Thursday 14 November 2013

छोटी-सी उमरिया में लग गयी रोग





*एक मददगार की जरूरत है। जो सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं के मसीहा भी हो सकते हैं। इसके अलावे अन्य दाता भी हाथ बढ़ाकर सुमन कुमारी की आंख की रोशनी लाने का प्रयास कर सकता है। परोपकारी व्यक्तियों की जरूरत है। खुद को परोपकारी साबित करने का सुनहरा अवसर है।


पटना। छोटी-सी उमरिया में लग गयी रोग। यह फिल्मी गाना सुमन कुमारी पर सटिक बैठता है। उसे इंसेफ्लाइटिस नामक बीमारी हो गयी थी। वह बीमारी से ठीक हो गयी। मगर आंख की रोशनी खो दी। आज बाल दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सुमन कुमारी देख नहीं पाएगीं। दुनिया के तमाम चीज सुमन कुमारी को काला बस काला ही दिखती है। इस नन्हे बालिका को अंधकार के गर्क से कौन निकालेगा। कई बार सुमन कुमारी की मां रीता देवी और पिता अर्जुन मांझी ने प्रयास किया। परन्तु अर्जुन अपनी बेटी की आंख की रोशनी वापस करने में असमर्थ हो रहा है।

 पटना शहर के बगल में एल.सी.टी.घाट मुसहरी है। यह उत्तरी मैनपुरा ग्राम पंचायत में पड़ता है। गंगा किनारे में समाज से उपेक्षित मुसहर समुदाय के लोग रहते हैं। यहीं पर अर्जुन मांझी और रीता देवी का घर है। दोनों दम्पति कूड़ों के ढेर से रद्दी कागज आदि चुनकर जीर्विका चलाते हैं। दो जून की रोटी जुगाड़ करने वाले अर्जुन मांझी के सिर पर पहाड़ गिर गया। जब देखते ही देखते सुमन कुमारी बेहोश हो गयी। अंधविश्वास के चादर ओढ़ने वाले मुसहर समुदाय के लोग अंधविश्वासी खेल शुरू कर दिये। घर की भक्तिनी से सुमन कुमारी को दिखाया गया। झाड़फूंक करने के बाद ठीक नहीं हुआ। घर और मुसहरी के मरणदेवाओं के चंगुल से बचाने के लिए एल.सी.टी.घाट वाले घर को परित्याग करके नेहरूनगर में स्थित संगी संबंधी के घर जाकर रहने लगे।

पाटलिपुत्र कॉलोनी में स्थित सहयोग हॉस्पिटल में जाकर सुमन कुमारी को दिखाया गया। गरीबी रेखा के नीचे रहने के कारण राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत 30 रूपए देकर स्मार्ट कार्ड बना रखा है। इस स्मार्ट कार्ड को सहयोग हॉस्पिटल में दिखाया गया। यहां पर नहीं चलने की बात कहकर अर्जुन मांझी को टहला दिया गया। अर्जुन मांझी अपनी बच्ची को लेकर घर गया। इसके बाद घर में चर्चा करने के बाद फुआ तारामणि और चाचा आलोक कुमार के प्रयास से सुमन कुमारी को बोरिंग रोड स्थित बाल विशेषज्ञ चिकित्सक से दिखाया गया। यहां के चिकित्सक ने सुमन कुमारी को भर्त्ती करके इलाज करना शुरू कर दिया। जबतक सुमन के मां-बाप के जेब गरम रहे तबतक चिकित्सक भर्त्ती करके रखे। जैसे ही रकम खत्म हो गयी। यहां से इलाज करने की कहानी भी खत्म हो गयी।

यहां से उठाकर एल.सी.टी.घाट वाले घर लायी गयी। उसे ट्यूब से दूध दिया जाता था। कुछ सप्ताह के बाद सुमन कुमारी को होश गया। होश आने के बाद घर और बाहर की भक्तिनी को बुलाकर मरणदेवा और अन्य देवाओं को खुश किया गया। जमकर सुअर,बकरी,कबूतर और मुर्गा की बली चढ़ायी गयी। जिस प्रकार के देवता उसी तरह से स्वागत किया गया। इसके बाद सुमन कुमारी ने आंख से नहीं दिखायी देने की बात परिजनों को बतायी। इससे परिजन परेशान हो उठे। उसे उठाकर मिशनरी कुर्जी होली फैमिली अस्पताल में जाकर दिखाया गया। यहां के चिकित्स ने कहा कि बीमारी के कारण नस सूख गया है। इसके कारण आंख की रोशनी गायब हो गयी है। रकम के अभाव में सुमन कुमारी की आंख की रोशनी वापस नहीं करवायी जा सक रही है।

एक मददगार की जरूरत है। जो सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं के मसीहा भी हो सकते हैं। इसके अलावे अन्य दाता भी हाथ बढ़ाकर सुमन कुमारी की आंख की रोशनी लाने का प्रयास कर सकता है। परोपकारी व्यक्तियों की जरूरत है। खुद को परोपकारी साबित करने का सुनहरा अवसर है।

आलोक कुमार