Sunday 1 May 2016

श्रमदान से ग्रामीणों ने बनाया बांध



जल प्रबंधन समिति रोकेगी पानी का दुरूपयोग


टीकमगढ़। पिछले पांच दिनों से चना, मुरमुरे और गुड़ खाकर श्रमदान कर रहे पांच गांवों के ग्रामीणों के चेहरे पर चमक आ गई, जब उनकी मेहनत की बदौलत स्थानीय नदी पर बांध बनकर तैयार हो गया। पलेरा विकासखंड के छरी पंचायत और टोरी पंचायत के बसटगुवा, टोरी, रतनगुवा, लिद्वारा और पलेरा के दो सौ ग्रामीण स्थानीय सांदनी नदी पर एकता परिषद की अगुवाई में श्रमदान कर स्टॉप डेम बना रहे थे। एकता परिषद के राष्ट्रीय समन्वयक अनीष कुमार ने बताया कि पहले डेढ़ सौ ग्रामीण श्रमदान में जुटे थे, पर उनके उत्साह को देखकर अन्य लोग भी जुड़ते गए और उनकी संख्या दो सौ हो गई। बांध का पूरा ढांचा तैयार है, पर उसमें छोटे-छोटे कई काम है, जिसे ग्रामीण हर रविवार को दो घंटे श्रमदान कर बारिश से पहले पूरा कर लेंगे।

सांदनी नदी पर 150 फीट लंबा, 15 फीट चौड़ा और 5 फीट ऊंचे बने बांध को देखकर पलेरा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री सयाम ने तारीफ की। उन्होंने कहा कि सरकारी अनुमान के मुताबिक यह काम लगभग 10 लाख रुपए का है, पर ग्रामीणों ने अपनी जरूरत को समुदाय के स्तर पर पूरा करके प्रेरणा देने का काम किया है। एकता परिषद के संतोष सिंह ने बताया कि एकता परिषद ने ‘पानी बचाओ, जगत बचाओ’ नारा दिया है। इस पहल में जुड़े सभी 5 गांवों में जल प्रबंधन समिति बनाई गई है, जो गांव में पानी के दुरूपयोग को रोकने का काम करेगी। 12 सदस्यों की इस समिति में अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष में से एक महिला को रखा गया है।  एकता परिषद के वरिष्ठ कार्यकर्ता यतीश मेहता ने कहा कि जल संकट को खत्म करने की दिशा में ग्रामीणों की यह पहल अनुकरणीय हो सकती है। टोरी पंचायत के सरपंच जगदीश अहिरवार को इस तरह के काम को आगे बढ़ाने के लिए पलेरा विकासखंड का समन्वयक बनाया गया है।

उल्लेखनीय है कि जल, जंगल और जमीन पर सामुदायिक अधिकार के लिए आंदोलनरत जन संगठन एकता परिषद ने पानी के गंभीर संकट से निपटने के लिए काफी सक्रिय है। राष्ट्रीय जल बिरादरी के साथ एकता परिषद 5 मई को दिल्ली में जल सत्याग्रह करने वाली है। यहां के ग्रामीण भी उस सत्याग्रह में हिस्सा लेने दिल्ली जाएंगे। जल सत्याग्रह में देश के लगभग 130 संगठन हिस्सा लेंगे और जल संचयन को बढ़ावा देने के साथ-साथ जल सुरक्षा अधिनियम की मांग करेंगे।


अनीष कुमार

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