दानापुर।
चलो यादव रेजिमेंट
बनाए। इस आशय
का बैनर दानापुर
और सगुना मोड़
के आसपास दिख
पड़ेगा। इस तरह
का दर्जनों बैनरों
को टांग दिया
गया है। यादव
रेजिमेंट बनाने के उद्देश्य
से 24 नवम्बर,2013 को
मनेर हाई स्कूल
में बैठक बुलायी
गयी है। सेना
के अंदर कई
तरह के रेजिमेंट
कार्यरत है। इसमें
यादव रेजिमेंट बनाने
पर जोर दिया
जा रहा है।
इधर
बिहार सरकार भी
बिहार सरकार आबादी
के हिसाब से
सबसे ताकतवर जाति
यादव को रिझाने
के लिए अब
यादव आयोग बनाने
पर विचार कर
रही है। इसके
लिए व्यापक स्तर
पर विचार मंथन
भी किया जा
रहा है। बिहार
में यादवों की
आबादी करीब 15 फीसदी
बतायी जाती है।
यह किसी भी
जाति समूह से
अधिक है। भूराबाल
की समग्र आबादी
भी 15 फीसदी से
अधिक नहीं पार
कर पाती है।
मुसलमान भी 15 फीसदी से
कम हैं। इसी
बात को ध्यान
में रखकर राज्य
सरकार ने यादव
आयोग बनाने पर
विचार कर रही
है। इस आयोग
के बनने से
यादव जाति का
झुकाव जदयू की
ओर हो सकता
है और इसका
फायदा उसे चुनाव
में मिल सकता
है।
यह
तो वक्त ही
बताएंगा कि चुनाव
के वक्त निर्णायक
भूमिका अदा करने
वाले यादव किधर
जाएंगे? वैसे तो
सभी यादवों पर
डोरा डालने लगे
हैं। वैसे तो
प्रारंभ में यादव
लाप्रया के साथ
थे। लाप्रया और
रादे से मोहभंग
करवाने के लिए
गांधी मैदान में
27 अक्तूबर,2013 को नमो
ने यादवों को
अपनी ओर खींचने
का मंत्र कर
डाला है। जेल
में लाप्रया के
चले जाने से
रादे यादव को
एकत्रित करने में
लग गयी हैं।
इसमें रादे के
दोनों सुपुत्रों के
साथ राविपा भी
सहयोग दे रहे
हैं। यह तय
है कि इस
समय यादव किधर
जाएंगे। वह निश्चित
नहीं है। ऐसे
में यादवों के
विखंडित ताकत दलों
को प्राप्त होगा।
अभी चुनाव होने
में वक्त है।
तबतक किसी का
धुव्रीकरण हो सकता
है।
आलोक
कुमार