Tuesday, 26 November 2013

अभी भी गंगा नदी के कटाव से विस्थापित होने वाले पीड़ितों को पुनर्वास नहीं किया

  


कई समस्याओं से जूझ रहे हैं

दानापुर। महादलित चमार जाति के 162 घर गंगा मइया के गर्भ में समा गया है। गंगा नदी के उफनती धारा के कटाव के कारण विस्थापित होने वाले लोगों को खुले आकाश में रहने को बाध्य कर दिया है। सब के सब पटना जिला के दानापुर प्रखंड के पुरानी पानापुर ग्राम पंचायत के पुरानी पानापुर गांव में महादलित चमार जाति के लोग रहते हैं। यहां पर महादलित 100 वर्ष से अधिक समय से रहते रहे हैं।यहां पर 27 जुलाई, 2013 की सुबह बाढ़ आने तक 9 बीघा में जमीन पर रहते थे। अब एर्क इंच भी नहीं बचा है।

प्रभावितों की ओर पक्ष रखने वाले रंजीत कुमार ने कहा कि हम लोग पुरानी पानापुर पंचायत में रहते थे। यहां के सभी 162 परिवारों को इंदिरा आवास योजना से मकान बना था। यहां की जनसंख्या 800 सौ है। यहां पर 15 मैट्रिक पास है। जिनमें 6 महिलाएं भी हैं। हम लोग मजदूरी किया करते हैं। कुछ लोग खेत में काम करते हैं। अधिकांश लोग शहर के नुक्कड़ पर काम की तलाश में बैठे रहते हैं। यहां पर हम लोगों के ही द्वारा मजदूरों का हाट लगता है। बोरिंग रोड, दानापुर,जयदेव पथ, बेली रोड, राजीव नगर आदि जगहों पर देखे जा सकते हैं। और चौक चौहारा पर आकर बैठते है। सभी लोगों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत स्मार्ट कार्ड मिला है। यहां के वकील राम, सिद्धलाल राम, ललन राम, प्रसाद राम और अन्तत राम को अंत्योदय योजना के तहत निःशुल्क राशन मिलता है। वकील राम की मौत होने के बाद बंद कर दिया है। 25 लोगों को पीला कार्ड और अन्य सभी को लाल कार्ड निर्गत किया गया है।

इन लोगों ने अखिल भारतीय रविदासिया धर्म संगठन का निर्माण कर रखा है। अबतक अपनी समस्याओं को महामहिम राज्यपाल महोदय के समक्ष 26 सितम्बर,2013 को, माननीय मुख्यमंत्री महोदय को 10 अक्तूबर,2013 को और पटना समाहरणालय,पटना, जन शिकायत कोषांग को 29अगस्त ,2013 को रखा है। इसके अलावे यहां के लोगों ने मुख्य मंत्री सचिवालय, बिहार, देशरत्न मार्ग,पटना में स्थित जनता दरबार में मुख्यमंत्री को आवेदन दिये हैं। आवेदन का निबंधन संख्या 00000 0309122179 है।

  यहां के सुखनंदन राम और समस्त महादलित परिवार के लोगों ने महामहिम राज्यपाल महोदय के समक्ष आवेदन पेश किया है। इसमें कहा गया है कि 27 जुलाई,2013 को दानापुर प्रखंड के परिसर में पनाह लिये हैं। इसके तीन दिनों के बाद सरकार के द्वारा 30 जुलाई,2013 को 50 किलो चावल और 50 किलो गेहूं और 1500 दिया गया। इस बीच मात्रः 15 दिनों तक राहत शिविर के द्वारा शिविरार्थियों के बीच में दाल,भात और सब्जी वितरण किया गया। इसके बाद बंद कर दिया गया। तब सरकार ने अक्तूबर माह में दानापुर दियारा क्षेत्र के सभी 6 ग्राम पंचायत यथा पंचायत पुरानी पानापुर,मानस, कासीमचक,पतलापुर,हेत्तनपुर और गंगहारा के 10 हजार परिवारों के बीच में 50 किलोग्राम चावल और उतने ही गेहूं वितरण कराया। इसके साथ 15 सौ रू.नकदी दिया गया। इस लाभ सेचमारजाति को महरूम कर दिया गया। जो अन्य जाति के थे। उनको दानापुर प्रखंड से और पंचायत से ही सामग्री दी गयी।

गंगा नदी के उफान के बाद विस्थापित दानापुर प्रखंड के परिसर में पनाह लेने 27 जुलाई,2013 को आये। इसके बाद जमकर विस्थापित सरकार की ओर से मिले प्लास्टिक को तानकर रहने को बाध्य हैं। यहां पर एक नहीं अनेक समस्याओं से जूझ रहे हैं। विस्थापितों का कहना है कि दानापुर दियारा क्षेत्र को छोड़कर दानापुर प्रखंड के दक्षिणी भाग में जमीन देकर पुनर्वास करें। 10 डिसमिल जमीन देने के बाद इंदिरा आवास योजना से मकान निर्माण कराया जाए। गंगा नदी से प्रभावित लोग इंदिरा आवास योजना से घर बनाकर रहते थे। इसके अलावे आजीविका के साधन नुकसान होने के कारण बतौर 1 लाख रूपए का मुआवजा दिया जाए।
 अखिल भारतीय रविदसिया धर्म संगठन के अध्यक्ष जर्नादन राम और सचिव जे के दास ने कहा यहां पर 162 परिवार रहते हैं। दानापुर प्रखंड के परिसर में शुरूआत में हम लोगों ने झोपड़ी बनायी थी। यहां पर आने के दो माह के बाद सरकार के द्वारा प्लास्टिक उपलब्ध कराया गया। जो धूप और ओस को रोकने में असमर्थ है। इसके कारण 5 नवम्बर को चुल्हन राम (70 साल) की मौत हो गयी है। मौत का कारण भूख और षीत है।
इस बीच दानापुर प्रखंड के अंचलाधिकारी कुमार कुन्दन लाल के द्वारा गंगा नदी के कटाव से पीड़ित विस्थापितों को एक बार फिर गंगा नदी के दानापुर दियारा क्षेत्र के मानस दह में बसाने का प्रयास किया गया। इसको विस्थापितों ने नकार दिया है। कटाव पीड़ित विस्थापितों का कहना है कि मानस दह में बरसात के समय में 10 से 12 फीट पानी रहता है। मानस दह गड्डा ही है। यहां पर 12 पंचायत के पानी गिरता है। उसी गड्डे में रहने के लिए सीओ साहब बोल रहे हैं। बाढ़ के बाद अभी 15 फीट बाढ़ पानी बरकरार है। इस गड्डे में कितना बालू भरा जाएगा? यह सोच से परे है।

कटाव पीड़ितों का आरोप है कि पुरानी पानापुर पंचायत की मुखिया बेबी देवी उर्फ बेबी यादव और पति अषोक राय उर्फ इंजीनियर साहब महादलित विरोधी हैं। जो पुनर्वास करने में सहयोग नहीं कर रहे हैं। हम लोगों ने सीओ साहब को दानापुर गंगा नदी के दक्षिणी भाग का जमीन का व्योरा दिये हैं। मौजा-दानापुर में पइन है। प्लॉट 0 1357 और थाना 0 21 है। रकवा 4 एकड़ 89 डिसमिल है। मोजा- मोबारकपुर कृषि फार्म है। खाता 0 66 और खेसरा 01031/34 है। मनेर प्रखंड के छितनांवा तथा खासपुर पंचायत में एक बिगहा 12 कट्टा है। तौजी 0 43560 है। इसमें पुनर्वास करने की मांग की जा रही है। राजद के सांसद रामकृपाल यादव ने भी कड़ारी जमीन पर लोगों को बसाने का सरकार से आग्रह किया है।

इस समय दानापुर प्रखंड में कटाव पीड़ित पेयजल, शौचालय, गंदगी, बीमारी, मच्छर और सांप की परेशानी से जूझ रहे हैं। बाढ़ पीड़ित शिविर के समापन के बाद सरकार और नौकरशाहों ने हाथ खड़ा कर दिये हैं। यहां के लोग भगवान और खुद पर निर्भ हो गये हैं।

आलोक कुमार