अभी शादी नहीं हुई है। मैं विकलांगता को मजबूरी नहीं मानता हूं। बल्कि चुनौती मानता हूं। भगवान ने सिर्फ पैर से ही अपाहिज बना दिये हैं। शरीर और हाथ तन्दुरूस्त है। शरीर और दिमाग से कार्य करने लायक हैं। इसी के बल पर कार्य कर रहे हैं। अन्य अपाहिज मित्रों से कहा कि किसी तरह के अवसाद के शिकार नहीं पड़े।

पटना
जिले के दानापुर
प्रखंड में कोथवां
ग्राम पंचायत है।
इस पंचायत में
ही कोथवां मुसहरी
है। इस मुसहरी
में 100 की संख्या
में घर है।
यहां के अधिकांश
घर जर्जर हो
गया है। मकान
की छत गिर
गयी है। निर्मित
मकान खंडहर में
तब्दील हो गया
है। फिर भी
किसी तरह से
सरकार के महादलित
मुसहर समुदाय के
लोग रहते हैं।
यहीं पर करीबन
मांझी भी रहते
हैं। इनका एक
पुत्र का नाम
वीरहरण मांझी है। जो
विकलांग हैं।
विकलांग
नौजवान वीरहरण मांझी कहते
हैं कि बाल्यावस्था
में स्वस्थ थे।
कोई 10 वर्ष की
अवस्था में घाव
हो गया था।
गरीबी के कारण
घाव का इलाज
ठीक ढंग से
नहीं किया गया।
इसका नतीजा सामने
है। 10 साल से
हाथी मेरा साथी
नहीं लाठी मेरा
साथी हो गया
है। उसने कहा
कि जरूर ही
सरकार के द्वारा
निःशक्ता सामाजिक सुरक्षा पेंशन
स्वीकृत की गयी
है। इससे क्या
होता है? यह
तो पूर्णिमा का
चांद है। माहभर
में केवल 2 सौ
रू.ही मिलता
है। इससे क्या
होगा?

कार्य
को महत्व देने
वाले वाले विकलांग
वीरहरण मांझी कहते हैं
कि अभी बीस
साल का हूं।
अभी शादी नहीं
हुई है। मैं
विकलांगता को मजबूरी
नहीं मानता हूं।
बल्कि चुनौती मानता
हूं। भगवान ने
सिर्फ पैर से
ही अफाहिज बना
दिये हैं। शरीर
और हाथ तन्दुरूस्त
है। शरीर और
दिमाग से कार्य
करने लायक हैं।
इसी के बल
पर कार्य कर
रहे हैं। अन्य
अफाहिज मित्रों से कहा
कि किसी तरह
के अवसाद के
शिकार नहीं पड़े।
आलोक
कुमार