अब लोग इलाज
करवाने के बाद
स्मार्ट कार्ड के लिए
भटक रहे है
कटिहार। अब यह
हाल हो गया
है। पहले लोग
राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना
(आरएसबीआई) के तहत
निर्गत स्मार्ट कार्ड को
लेकर इलाज करवाने
के लिए भटक
रहे थे। अब
लोग इलाज करवाने
के बाद स्मार्ट
कार्ड के लिए
भटक रहे हैं।
आखिर दोनों में
लोग ही भटक
रहे हैं। पहले
भी लोग ही
और अभी भी
लोग ही भटक
रहे हैं। इस
तरह से भटकने
वाले लोग कहते
हैं कि भगवान
के ही घर
से ही हम
लोगों को ही
भटकने के लिए
बनाया गया है।
भटकने के लिए
भगवान के घर
से आने वाले
धरती के भगवान
के रूप में
विख्यात जीवन देने
और जीवन लेने
वाले चिकित्सक के
पाले में राजेन्द्र
राम पड़ गये
हैं।
उनसे रू-ब-रू
होने के बाद
कुर्सेला बस्ती के निवासी
राजेन्द्र राम ने
कुछ यूं बयान
किया। वह स्व.
अधिक लाल राम
के पुत्र हैं।
50 वसंत देख चुके
हैं। इनका हाइड्रोसिल
बढ़ गया था।
30 रू.देकर राष्ट्रीय
स्वास्थ्य बीमा योजना
के तहत स्मार्ट
कार्ड बनवा लिये
थे। स्मार्ट कार्ड
को कुछ महीने
से पेटी में
बंद करके रखे
थे। आसपास के
लोगों के कहने
पर स्मार्ट कार्ड
से ऑपरेशन करवाने
पर राजी हो
गए। आगे न्यू
चौक, कुर्सेला के
आसपास रामाश्रय क्लिनिक
खुला हुआ है।
रामाश्रय क्लिनिक के डाक्टर
रूपेश कुमार के
द्वारा स्मार्ट कार्ड पर
ऑपरेशन करते हैं।
राजेन्द्र राम जी
12 सितम्बर,2013 को रामाश्रय
क्लिनिक में भर्त्ती
हो गए। भर्त्ती
करके डाक्टर रूपेश
कुमार ने राजेन्द्र
राम जी का
हाइड्रोसिल का ऑपरेशन
कर दिये। डाक्टर
साहब ऑपरेशन करने
के बाद मरीज
को आठ
दिनों तक भर्त्ती
रखे। राजेन्द्र राम
जी ने खुलासा
किये कि क्लिनिक
में सोने के
लिए बेड उपलब्ध
करवाया गया। मगर
राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना-2008
को धज्जियां उड़ा
दिये। एक दिन
भी भोजन उपलब्ध
नहीं करवाया गया।
और तो और
डा. रूपेश कुमार
के कहने पर
जो जांच करवाया
गया। उसका भुगतान
रोगी के परिजनों
को ही करना
पड़ा। संतोष देने
वाली बात है
कि डाक्टर रूपेश
कुमार के द्वारा
दवाई उपलब्ध करवायी
गयी।
डाक्टर रूपेश कुमार
ने रोगी राजेन्द्र
राम जी को
8 दिनों के बाद
20 सितम्बर की शाम
6 बजे छुट्टी दे
दी। मगर डाक्टर
साहब ने आवाजाही
के लिए किसी
तरह की यात्रा
भत्ता की राशि
नहीं दी गयी।
परन्तु पांच दिनों
की दवा उपलब्ध
करा दी। डाक्टर
रूपेश कुमार ने
यह कहकर यात्रा
भत्ता गड़क गये
कि उसके एवज
में दवा दे
दी गयी है।
गुड बाय कहने
के पहले डाक्टर
रूपेश कुमार ने
किसी तरह की
कागजात नहीं दिये।
यहां तक स्मार्ट
कार्ड भी नहीं
दिये।
डाक्टर रूपेश कुमार
के क्लिनिक में
स्मार्ट कार्ड और अन्य
कागजात के लिए
तीन-चार सप्ताह
तक दौड़ाते रहे।
तब भी स्मार्ट
कार्ड नहीं मिला।
इस बीच इस
क्षेत्र में कार्यरत
प्रगति ग्रामीण विकास समिति
के कार्यकर्ताओं से
मुलाकात करके राजेन्द्र
राम जी ने
आपबीती बयान किये।
इन कार्यकर्ताओं के
बल पर डाक्टर
साहब ने स्मार्ट
कार्ड उपलब्ध करा
दिया है। इन
लोगों से डाक्टर
साहब ने कहा
कि कम्प्यूटर खराब
हो जाने के
कारण स्मार्ट कार्ड
नहीं दिया जा
रहा था।
तब यह
सवाल उठता है
कि कम्प्यूटर खराब
रहने के कारण
स्मार्ट नहीं उपलब्ध
करवाया गया। आपने
डाक्टर साहब तो
राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना-2008
के नियम को
ही तांक पर
रख दिया। एक
पहर भी मरीज
और उसके एक
परिजन को भोजन
नहीं करवाया। जो
आपने जांच करवाया
तो उसकी भरपाई
रकम देकर नहीं
किये। जाते-जाते
100 रू.यात्रा भत्ता के
रूप में नहीं
दिये। आपको तो
5 दिनों की दवा
उपलब्ध करवानी ही है।
यह क्या कह
दिये कि यात्रा
भत्ता की राशि
से दवा उपलब्ध
करवाया दिये। आपके पास
30 हजार रू. के
स्मार्ट कार्ड है। उक्त
स्मार्ट कार्ड से राशि
ले सकते हैं।
यहां पर पारदर्शिता
नहीं दिखाये। किसी
तरह की कागजात
उपलब्ध नहीं करवाये।
इससे साफ जाहिर
होता है कि
भ्रष्टचार को अंजाम
देने की साजिश
चला रहे थे।
इस संदर्भ
में जानकार सामाजिक
कार्यकर्ता सिसिल साह कहते
हैं कि अधिक
से अधिक हाइड्रोसिल
का ऑपरेशन 5 हजार
रू. में हो
जाएगा। वह आरएसबीआई
के पैकेज में
है। रोगी को
बेड,दवा,भोजन,जांच और
यात्रा भत्ता भी देना
है। अगर डाक्ट
साहब नहीं किये
हैं। तो आरएसबीआई
के विरूद्ध कार्य
कर रहे हैं।
ऐसे डाक्टरों को
सूची से हटा
ही देना बेहतर
है।
आलोक कुमार