Sunday 29 December 2013

राजनैतिक दलों के घोषणा पत्र में जन सरोकारों को शामिल करने की कवायद तेज


पटना। जन सरोकारों की ओर राजनैतिक दलों को मोड़ने की कवायद तेज कर दी गयी। जन संगठनों के द्वारा बंद कमरे और कार्यक्षेत्र में भी चर्चा शुरू कर दी गयी है। वहीं लोक समस्याओं को गिनाकर सभी को एकीकरण करने का प्रयास शुरू कर दिया गया है। इसके लिए सभी समान विचारधाराओं वाले लोगों को और उनके जन संगठनों के बीच तारम्य बिठाया जा रहा है। इसके लिए जनवरी में पटना में और फरवरी के मध्य में दिल्ली में लोक अदालत आयोजित की जा सकती है।
एकता परिषद के राष्ट्रीय समन्वयक ने कहाः एकता परिषद के राष्ट्रीय समन्वयक प्रदीप प्रियदर्शी ने कहा कि औरंगाबाद , पश्चिमी चम्पारण , मुजफ्फरपुर , पूर्णिया , किशनगंज , नालंदा , पटना आदि जिलों के 51-52 क्षेत्रों में भूमि अधिकार को लेकर संघर्ष की गयी है। इनके आशियाना और जीविकोपार्जन छीन लिया गया है। दुर्भाग्य से भूमि अधिकार आंदोलन को एक मंच पर नहीं लाया जा सका है। जरूरत है इन आंदोलनों के बीच में समन्वय स्थापित करना। श्री प्रियदर्शी ने कहा कि सरकार ने ताबडतौड़ आयोग बना रही है। कभी सर्वण आयोग , पिछड़ा आयोग , महादलित आयोग आदि बना है। अब हमलोगों की मांग है कि सरकार भूमि अधिकार आयोग बना दें। इस आयोग के माध्यम से लोग सीधे अपनी शिकायतों को दर्ज करके समाधान हासिल करेंगे। अभी हाल यह है कि अन्य न्यायालय में भूमि अधिकार के मामले दर्ज करके हांफने लगते हैं। समाधान ही नहीं होता है। अन्य न्यायालयों में 93 प्रतिशत मामला भूमि अधिकार से संबंधी रहता है।
बिहार लोक अधिकार मंच के नेता ने कहाः बिहार लोक अधिकार मंच के नेता विनोद रंजन ने कहा कि आजादी के समय में पटना में तक 52 झोपड़पट्टी थी। संदलपुर से लोहानीपुर तक के बीच में झोपड़पट्टी थी। अब सरकार की पैनी नजर झोपड़पट्टियों की जमीन पर है। यहां पर बसे लोगों को खदेड़ने का प्रयास शुरू हो गया है। आखिर आजादी के समय से रहने वाले लोग किधर जाएंगे ? इधर सरकार का ध्यान नहीं है। केवल सरकार का ध्यान झोपड़पट्टी पर बुलडोजर चलाने पर केन्द्रित हो गया है। राजधानी में जगह - जगह पार्क बनाया जा रहा है। सरकार के द्वारा पहले पार्क में प्रवेश निःशुल्क किया जाता है। इसके बाद पार्क में प्रवेश करने के लिए शुल्क लिया जाता है। श्री रंजन ने कहा कि सरकार आवासीय भूमिहीनों को 10 डिसमिल जमीन रहने को और 2 एकड़ जीविकोपार्जन करने के लिए दें।
सीपीआई के नेता ने कहाः सीपीआई के नेता रामबाबू कुमार ने कहा कि जन सरोकारों को लेकर निर्मित जन घोषणा पत्र को राजनैतिक दलों के घोषणा पत्र में शामिल करने का प्रयास किया जा रहा है। आजादी के बाद से ही राजनैतिक दल के द्वारा गरीबी उन्मूलन करने के लिए प्रतिबद्धता वाली घोषणा पत्र बनाते हैं। मगर आजतक गरीबी दूर नहीं हो सके। उलटे गरीब ही दूर होते जा रहे हैं। श्री कुमार ने कहा कि चुनाव जीतकर आने वाली सरकार के पास एजेंडा ऑफ गवर्नेंस में जन सराकारों को शामिल किया गया है। उसी तरह एजेंडा में भूमि अधिकार को शामिल किया गया है। अगर नहीं किया गया है तो सरकार भूमि अधिकार को लेकर कार्य करने जा रही है। इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। पहले घोषणा पत्र और सरकार बनाने वाले के एजेंडा में एजेंडा ऑफ गवर्नेंस में भूमि अधिकार शामिल करवाना।
एकता परिषद बिहार के संचालन समिति के सदस्य ने कहा : एकता परिषद बिहार के संचालन समिति के सदस्य विजय गोरैया ने कहा कि सरकार के पास एक कानून विचाराधीन है। इस कानून में प्रावधान किया गया है कि जिनके पास जमीन का स्वामीत्व है , ऐसे ही लोगों को बीडीओ और सीओ   प्रमाण पत्र निर्गत करेंगे। इसका मतलब आवासीय भूमिहीनों को भूमिहीनों को प्रखंड से किसी तरह का प्रमाण पत्र नहीं बन पाएंगा। श्री गोरैया ने सरकार से आग्रह किये हैं कि अगर आपको कानून लागू करना ही है तो सबसे पहले आवासीय भूमिहीनों और भूमिहीनों को जमीन देकर स्वामीत्व प्रदान करें। ताकि गरीबों को प्रमाण पत्र हासिल करने में दिक्कत हो।
Alok Kumar