वेटिकन सिटी में बैठे पोप |
पटना।आज अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय का पर्व है। वेटिकन सिटी में बैठे पोप के द्वारा विधि सम्मत‘ईसाई समुदाय के लोगों को ‘संत’ बनाया जाता है। सन् 2015 से
जितने
भी
‘संत’ बनाए गए हैं। एकजुटते सभी ‘संतों’ का पर्व मनाया गया। हालांकि साल के 365 दिन
कोई
न कोई ‘संत’का पर्व मनाया जाता है। अगर 365 दिनों
में
संतों
का
पर्व
नहीं
मना
सकते
हैं
तो
सभी
संतों
का
पर्व
1 नवम्बर
को
मनाया
जाता
है।विभिन्न
चर्च
में
धार्मिक
अनुष्ठान
अर्पित
किया
गया।
लोगों
को
पोप
द्वारा
विधि
सम्मत
घोषित
संतों
के
मार्ग
पर
चलने
का
आह्वान
किया
गया।
कुर्जी पल्ली के चर्च में एक पुरोहित ने संभाषण में कहा कि बच्चों को ‘संतों’का नाम मालूम नहीं है। उन बच्चों में से एक ने कहा कि संतों का नाम मालूम है। संत माइकल उच्च विघालय, संत जेवियर उच्च विघालय, संत पोल्स हाई स्कूल, संत दोमिनिक सावियों हाई स्कूल,संत जोसेफ हाई स्कूल। इससे साफ जाहिर होता है कि मिशनरियों द्वारा जिन संतों को पेशेवर रूख दिया गया है। बस बच्चे पेशेवर संतों को ही स्कूल के नाम से जानते हैं।
यह सच में चौकाने वाला उत्तर है। मिशनरियों के द्वारा क्रूसवीर का गठन किया गया है। बावजूद, इसके बच्चे संतों का नाम नहीं जानते हैं। जानते हैं तो केवल पेशेवर संतों का नाम ही जानते हैं। यह केवल मिशनरियों का ही जवाबदेही नहीं है। बल्कि ईसाई परिवार के सदस्यों का भी दोष है जो बच्चों को धार्मिक शिक्षा के प्रति दायित्व नहीं निभा पा रहे हैं।
आलोक कुमार, मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट,पटना।
No comments:
Post a Comment