गया।
गंदगी ही बीमारी
की जननी है।
इसको कम करने
का प्रयास गया
जिले के फतेहपुर
प्रखंड के 5 पंचायतों
में किया जा
रहा है। वाटर
एड इंडिया के
सहयोग से इस
प्रखंड के पांच
पंचायतों में प्रगति
ग्रामीण विकास समिति के
द्वारा कार्य किया जाता
है। जल एवं
स्वच्छता अभियान को व्यापक
स्वरूप प्रदान कर बुनियादी
जरूरतों को पूर्ण
करने की दिशा
में कार्य किया
जाता है।
गैर
सरकारी संस्था प्रगति ग्रामीण
विकास समितिः इसके
कार्यकर्ताओं ने फतेहपुर
प्रखंड के फतेहपुर
पंचायत , मतासो पंचायत , पहाड़पुर
पंचायत , निमी पंचायत
और कठौतिया केवाल
पंचायत में 37 सरकारी स्कूलों
का चयन किया
है। फिलवक्त प्रथम
चरण में निमी
पंचायत के 9 विघालयों
में संचालित बाल
संसद के पदधारियों
को प्रशिक्षण देने
का निर्णय किए
हैं। निमी पंचायत
के स्कूल में
23 मई को एक
दिवसीय बाल संसद
प्रशिक्षण होगा। प्रशिक्षण के
दौरान बाल संसद
के पदधारियों के
बौद्धिक स्तर में
मजबूती प्रदान करने का
प्रयास किया जाएगा।
बाल संसद के
पदधारियों को पढ़ाई
के साथ अन्य
तरह की भी
जानकारियां भी दी
जाती है ताकि
बाल संसद को
सुदृढ़ और कार्यशील
बनाकर जल एवं
स्वच्छता अभियान के पक्ष
में माहौल पैदा
किया जा सके।
पहले आप चापाकल को पानी पीलाएं और उसके बाद ही मिलता पानी : इस क्षेत्र में गर्मी के यौवनावस्था में चढ़ने के साथ ही पेयजल की समस्या उत्पन्न होने लगी है। चापाकल सूखने लगप्रभारी प्रधानाध्यापक अजय किशोर बताते हैं कि यह विघालय पहाड़पुर पंचायत के गोपालकेड़ा गांव में स्थित है। यहां 1972 से स्कूल संचालित है। स्कूल की चहारदीवारी नहीं की जा सकी है। दो शौचालय है। एक लड़की और लड़कों के लिए बनाया गया है। इसी शौचक्रिया का उपयोग शिक्षकगण भी कर लेते हैं। दुर्भाग्य से एक चापाकल है। जिसे पानी पीलाकर ही पानी मिल पाता है। पानी डालकर करीब 30 मिनट तक चलाना पड़ता है। तब जाकर पानी गिरता है। ऐसी स्थिति में शौचालय की परिस्थिति और उपयोग करने वालों की दिक्कत को समझा जा सकता है। यहां के बच्चों ने कहा कि विकास शिविर में बीडीओ धर्मवीर कुमार आए थे सभी तरह की परेशानी बताया गया। चापाकल के बाबत बीडीओ साहब बोले कि चापाकल लगवा देंगे। जो हवा - हवा हो गया।
जब
बच्चे शौचक्रिया के
पहले हाथ साबून
से धोते हैं:
यह जानकार आश्चर्य
में पड़
जाएंगे कि स्कूल के बच्चे
शौचक्रिया के पहले
ही हाथ साबून
से धो लेते
हैं। एक सवाल
के जवाब में
बच्चे हाथ उठाकर
जवाब देते हैं।
उस समय विघालय
में उपस्थित टीचर
भौचका हो जाते
हैं। इस तरह
का जवाब सिर्फ फतेहपुर
प्रखंड के ही
बच्चे नहीं देते
हैं बल्कि राजधानी
पटना के दानापुर
प्रखंड परिसर में संचालित
विघालय के भी
बच्चे हाथ उठाकर
शौचालय जाने के
पहले ही हाथ
धो लेते हैं।
इन बच्चों को
हिन्दी और लोकल
भाषा में भी
समझाने के बाद
भी हाथ उठाकर
हां में हां
मिलाते ही रहते
हैं। शायद विघालय
में ना नहीं
बोलने की परम्परा
नहीं है।
Alok
Kumar
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