Wednesday 21 May 2014

मुसहर समुदाय को अनुसूचित जाति की श्रेणी से निकालकर अनुसूचित जन जाति की श्रेणी में शामिल करने की मांग



गया। नव निर्वाचित मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को बधाई! राष्ट्रीय मुसहर-भूइया विकास परिषद और मुसहर विकास मंच के सदस्यों ने आशा व्यक्त किए हैं, कि सूबे के 35 वें मुख्यमंत्री, व्यक्ति में 23 वें और महादलित में तीसरे मुख्यमंत्री के तौर पर सत्तासीन होने वाले मुख्यमंत्री विवेक से कार्य करके लोगों का कल्याण और विकास करने में पीछे नहीं रहेंगे। खुद मुख्यमंत्री के ही बिरादरी आजादी के 66 साल तक दूसरों की तकदीर और तस्वीर बनाने में जुटे रहे। अब मुख्यमंत्री को अवसर मिला है कि मुसहर समुदाय के विकास करने में कौताही नहीं बरतेंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास माथा पटककर हार जाने वाले मुसहर समुदाय के नेतृत्व करने वालों को बल मिला गया है। बहुत ही जल्द मुख्यमंत्री के समक्ष मुसहर समुदाय को अनुसूचित जाति की श्रेणी से निकालकर अनुसूचित जन जाति की श्रेणी में शामिल करने की मांग करेंगे। इस संदर्भ में राष्ट्रीय मुसहर-भूइया विकास परिषद के संयोजक उमेश मांझी और सचिव अजय मांझी ने कहा कि बिहार में मुसहर समुदाय की  40 लाख और देशभर में 66 लाख की संख्या है। हमलोगों की स्थिति बद से बदतर है। मात्रः वोट बैंक समझकर व्यवहार किया गया। हालांकि केन्द्र और राज्य सरकार ने योजना बना रखी है। जो जन्म लेने से पहले और मरने के बाद भी लागू रहती है। इन योजनाओं से सीधे लाभ मुसहर समुदाय को नहीं मिला। अगर लाभ मिला भी तोदलालसेंधमारी करने लगे। इंदिरा आवास योजना अधूरा ही बनकर रह गया। शौचालय निर्माण करने वाले सही ढंग से शौचालय बनाए ही नहीं। हमलोग बुनियादी सुविधाओं से महरूम हैं। इसके आलोक में पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महादलित आयोग बनाया। यह सोचकर कि समाज के किनारे रह जाने वालों का विकास करेंगे। वह भी राजनीति के बलिवेदी पर चढ़ गया। केवल रामविलास पासवान के बिरादरीपासवानको छोड़कर शेष सभी दलितों को महादलित आयोग में शामिल कर लिया। इसके कारण पूर्व मुख्यमंत्री की सोच का पर्दाफाश हो गया।
इस संदर्भ में राष्ट्रीय मुसहर-भूइया विकास परिषद के संयोजक उमेश मांझी ने आगे कहा कि हमलोगों ने पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को स्मार-पत्र देकर मांग कर दिए कि अगर सच में आप मुसहर समुदाय के कल्याण और विकास करना चाहते हैं तो आप वर्तमान में अनुसूचित जाति की श्रेणी से निकालकर मुसहर समुदाय को अनुसूचित जन जाति की श्रेणी में शामिल कर लें। अगर उनके द्वारा स्मार-पत्र में उल्लेखित मांग को ठंडे बस्ते में डाल दिए। अब बिहार की राजनीति में नेतृत्व परिवर्तन हो गया है। हमलोग चाहेंगे कि इस ओर बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी कदम उठाकर मुसहर समुदाय की मांग पूर्ण कर दें।एक सवाल के जवाब में श्री मांझी ने पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कथनी का समर्थन किया कि मांझी ने थाम ली राज्य की पतवार को खेंवने में माहिर हैं। वह रिमोट कंट्रोल से नहीं चलने वाले हैं। अपने विवेक से राज्य चलाएंगे।
आलोक कुमार

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