सरकार
आवासहीन महादलितों
को 3 डिसमिल
जमीन नहीं
दे सकी !

पूर्व
मुख्य मंत्री
नीतीश कुमार
ने राज्य
महादलित आयोग
में 21 दलित
जातियों को
शामिल किया
था। बाजाता
बिहार सरकार
के कार्मिक
और प्रशासनिक
सुधार विभाग
द्वारा महादलित
के रूप
में पहचानी
गई। अनुसूचित
जातियों की
फेहरिश्त नम्बर
3267 दिनांक 3.6.2008 है। इसके
तहत बंतार ,
बौरी , भोगता ,
भुईया , या
भूमजीज , चौपाल ,
धोबी , डोम
या धनगर , घासी , हलालखोर ,
हरि , मेहतर
या भंगी ,
कंजर , कुरियर ,
लालबेगी , डबगर ,
मुसहर , नट ,
पान या
सवासी , पासी , रजवार , तुरी
और चमार
जाति के
लोग शामिल
हैं।
एकता
परिषद बिहार
के संचालन
समिति की
सदस्या मंजू
डूंगडूंग ने
कहा कि
समाज के
किनारे रह
जाने वाली
जाति को
ही राज्य
महादलित आयोग
में शामिल
किया गया
था। मगर
राजनीति रोटी
सेंकने के
धीरे - धीरे
अन्य दलित
जातियों को
भी शामिल
किया गया।
सरकार दबाव
में आकर
सबसे अंत
में 21 वें
नम्बर पर
चमार जाति
को भी
शामिल कर
लिया। केवल
आयोग के
द्वार पासवान
जाति के
लिए बंद
कर दिया
गया। सरकार
आवासहीन महादलितों
को 3 डिसमिल
जमीन नहीं
दे सकी !
अब चुनाव
के मद्देनजर
अति पिछड़ों
व पासवान
को भी
3 डिसमिल जमीन
देने का
मोहरा फेंक
दी है।
अगर जमीन
नहीं रहेगी
तो सरकार
जमीन खरीदकर
देगी।
इधर
महादलित आयोग
में रहकर
भी मुसहर
समुदाय के
लोग घुटन
महसूस करने
लगे। जिस
उद्देश्य से
महादलित आयोग
बनाया गया।
वह उद्देश्य
पूर्ण होते
नहीं दिखा।
यहां तक
राज्य महादलित
आयोग के
प्रथम अध्यक्ष
विश्वानाथ ऋषि ने पूर्व मुख्य
मंत्री को
अनुशंषा भेजे
थे। अनुशंषा
लालफीताशाही के शिकार हो गयी।
अब उदय
मांझी , महादलित
आयोग के
अध्यक्ष हैं।
अब अध्यक्ष
श्री मांझी
भी मुख्य
मंत्री श्री
मांझी को
अनुशंषा भेजने
वाले हैं।
बहरहाल महादलित
आयोग से
मुसहर समुदाय
के लोग
और नेतृत्व
करने वालों
ने मुसहर
समुदाय को
अनुसूचित जाति
की श्रेणी
से निकालकर
अनुसूचित जनजाति
की श्रेणी
में शामिल
करने की
मांग करने
लगे हैं।
उनका मानना
है कि
अनुसूचित जाति
में रहकर
विकास और
कल्याण नहीं
हो पा
रहा है।
इसके आलोक
में अनुसूचित
जनजाति की
श्रेणी में
शामिल कर
दिया जाए।
प्राप्त
जानकारी के
अनुसार मुख्य
मंत्री जीतन
राम मांझी
ने मुसहर
समुदाय को
आश्वासन दिए
है कि
इनकी मांग
को सहानुभूतिपूर्वक
विचार करेंगे।
अगर जरूरी
हुआ तो
केन्द्र सरकार
से पत्राचार
भी किया
जा सकता
है।
Alok
Kumar
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