पटना। बिहार सरकार के पूर्व
मंत्री श्याम रजक ने सरकार के ऊपर ऊँगली उठाने वाली गैर सरकारी संस्थाओं के ही ऊपर
ऊँगली उठाते हुए कहा कि अगर उनके द्वारा बेहतर ढंग से क्रियाकलापों किया जाता था।
तो आज गांवघर की स्थिति में उधार देखा जा सकता था।
कारितास इंडिया और फोरम फोर
सोशल इन्यिशिएटिव के द्वारा महादलित अधिकार
यात्रा आयोजित की गयी थी। राज्य के 15 जिलों के 45 प्रखंडों
के कुल 225 महादलित टोलों में यात्रा की गयी। यात्रा के दौरान 20,500 महादलित
परिवारों का अधिकार प्रपत्र तैयार किया गया। इस अधिकार प्रपत्र में परिवार को
मिलने वाली सरकारी स्कीमों/योजनाओं/कार्यक्रमों के पहुंच पर रिपोर्ट कार्ड तैयार
किया गया। इस रिपोर्ट कार्ड का लोकार्पण सेवा केन्द्र में किया गया। इसके तहत
महादलित विकास मिशन निर्माण किया। बिहार सरकार ने तोहफा के रूप में महादलितों को 25 तरह की योजनाओं को दे रखी है। हमलोग जानने का प्रयास कर रहे हैं कि
सरकारी तोहफाओं से महादतिलों को लाभ पहुंचा है?अगर इन स्कीमों से महादलित
लाभान्वित नहीं हो पा रहे हैं? उन कारणों को टटोलने का प्रयास कर रहे हैं। जानने के अधिकार की
शुरूआत 2015 से शुरू किया गया है। इसे प्रत्येक साल करके 2018 तक जारी रखेंगे।
इस अवसर पर बिहार राज्य
अल्पसंख्यक आयोग की उपाध्यक्ष सिस्टर सुधा वर्गीज, फादर जोस, फादर अमल
राज,फादर और सिस्टरों ने हिस्सा लिए। नागेन्द्र प्रसाद,गिरिश
पीटर आदि ने विचार व्यक्त किया।
आलोक कुमार
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