Friday 24 October 2014

आज भी महादलित खुले आकाश में शौचक्रिया करने को मजबूर


महादलित महिलाएं सूर्य उदय के पहले और सूर्यास्त के बाद ही बाहर जा सकती

पटना। आज भी महादलित मुसहर समुदाय के लोग खुले आकाश में शौचक्रिया करने को बाध्य हैं। वहीं महादलित महिलाएं की स्थिति गंभीर हैं। उनको तड़के उठकर सूर्य उदय के पहले ही शौचक्रिया करती हैं। अगर इस अवधि में महिलाएं शौचक्रिया से निपूर्ण नहीं होती हैं तो उनको सूर्यास्त तक इंतजार करना पड़ता है। ऐसा करने से उदर की बीमारियों की चपेट में जाती हैं।

यह स्थिति पटना सदर प्रखंड के महादलित मुसहर समुदाय की बस्ती की है। एल.सी.टी.घाट मुसहरी के लोग गंगा किनारे जाते हैं। नेहरूनगर मुसहरी के लोग नाला पर बैठ जाते हैं। गंगा किनारे में गोसाई टोला मुसहरी के लोग जाते हैं। लालू नगर,बालूपर के लोग बगीचा में चले जाते हैं। शबरी कॉलोनी,दीघा मुसहरी के लोग मैदान में और बगीचा में चले जाते हैं। पटना-दीघा रेलखंड के किनारे रहने वाले उड़ान टोला के लोग रेलखंड के किनारे ही चले जाते हैं। रामजीचक नगर पर रहने वाले नहर के किनारे चले जाते हैं। बाटा मुसहरी के लोग बगीचा में चले जाते हैं। नाच बगीचा के लोग बगीचा में जाते हैं। यहां के लोगों का कहना है कि सुबह से ही लोग बगीचा में कुर्सी लगाकर बैठ जाते हैं। वहीं पर मजदूरी में शौचक्रिया करना पड़ता है। गाली और पत्थरवार भी करते हैं।

आज शबरी कॉलोनी,दीघा मुसहरी के महबूब मांझी शौचक्रिया करने जा रहे थे। करीब 1 बजे महबूब मांझी हाथ में डब्बा लेकर जा रहे थे। वह जरूर ही चप्पल पहने थे। वह मोती साव के मैदान में जाकर शौचक्रिया करने लगे। शौचक्रिया करने के बाद मिट्टी से हाथ साफ किए। जो खानापूर्त्ति करने वाला ही था। उसी हाथ से डब्बा को भी साफ कर दिए।
तब यह सवाल उठता है कि कहां सरकार और गैर सरकारी संस्थाओं के लोग चले गए हैं। तो लोगों को शिक्षित नहीं कर पाए रहे हैं और शौचालय निर्माण करवाने की कवायद नहीं कर रहे हैं। महादलित महिलाओं की मांग होती है कि झोपड़ी के बदले में मकान बना दिया जाए। शौचालय भी निर्माण कराया जाए। मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और उनके अधिकारियों को ध्यान देने की जरूरत हैं। सभी मुसहरी में गहन रूप से काम करने की जरूरत है।

आलोक कुमार

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