पटना। पति इन्द्रजीत चौहान से धोखा खा बैठी हैं सीता देवी। इस तरह एक बार फिर किसी पुरूष के दबंगता और जुल्म के शिकार बन गयी हैं सीता देवी। मगर वह हारी नहीं हैं। हिम्मत करके जालंधर, पंजाब में दिहाड़ी पर काम करने चली गयीं। काम नहीं मिलने के कारण वापस आ गयी हैं। वह चार बच्चों की मां हैं। घर पर तीन बच्चों को छोड़कर काम और घर की तलाश शुरू कर दी हैं। एक अबोध बालक को गोद में लेकर काम और घर की तलाश कर रहीं हैं।
चार बच्चों की मां है सीता देवीः पटना जिले के मोकामा ताड़तर गांव में अर्जुन चौहान रहते हैं। उनकी ही बेटी सीता देवी है। उनकी शादी इन्द्रजीत चौहान के संग की गयी। दानापुर प्रखंड के बलवा पंचायत के बलवा कठौती गांव में इन्द्रजीत चौहान और सीता देवी खुशहाली जिन्दगी जीने लगे। देखते ही देखते दोनों के चार बच्चे हो गए। 2 लड़की
और
2 लड़के
हैं।
इनका
नाम
सुमन
कुमारी, तुलसी कुमारी, पिंटू कुमार और कुंदन कुमार है। सुमन कुमारी तीसरी में और तुलसी कुमारी दूसरी क्लास में अध्ययनरत हैं।
चार बच्चों के पिता इन्द्रजीत चौहान ने चुपके से फरार हो गयाः यह सुनकर दुःख लगा कि सीता देवी के गर्भ में शिशु पल रहा था। चार बच्चों के पिता इन्द्रजीत चौहान ने चुपके से सीता देवी को घर में छोड़कर फरार हो गया। उस समय सीता देवी को एक माह का गर्भधारण था। बीच मझधार में छोड़कर चला गया। किसी तरह से सीता देवी ने चौथे पुत्र को जन्म दिया। अभी दो साल का कुदंन कुमार है। जो इन्द्रजीत चौहान को पहचान ही नहीं सकेगा। अभी वह रांची में हैं। इसके बावजूद भी इन्द्रजीत चौहान के नाम से सीता देवी सिंधुर मांग में डालती हैं।
तब से सीता देवी ने हिम्मत नहीं हारीः उसी समय से पितृसत्तात्मक सत्ता को सीता देवी चुनौती देने लगी। तीन साल से पति की छाया हटने के बाद भी चार बच्चों को पाल रही हैं। इन बच्चों को लेकर जालंधर, पंजाब चली गयी। दिहाड़ी पर काम करने लगीं। वहां पर मजूदरी 250 रू.
मिलता
था।
दो
माह
जमकर
काम
की
थीं।
उसके
बाद
लगातार
10 दिन
काम
नहीं
मिलने
के
कारण
भुखमरी
की
स्थिति
आ गयी थी। इसके आलोक में बच्चों के साथ बिहार आ गयी।
पटना-दीघा शहीद सवारी गाड़ी पर चढ़कर आयीं: वह दीघा आयीं थीं। तुरंत ही गाड़ी छुटने के भय से दीघा में काम और घर तलाश नहीं कर सकीं। रेलगाड़ी पर ही रंधीर रविदास और रंभू यादव नामक मजदूर मिल गए। दोनों मजदूरों ने सीता देवी को काम और घर दिलवाने के पुनाईचक हॉल्ट पर उतर गए। वह अपने कर्त्तव्य में सफल हो जाए। यहीं कामना है।
आलोक कुमार
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