एक ने रास्ता बदलकर बन गए पुजारी
पटना। रोजगार की तलाश में पलायन करके
वैशाली जिले के लालगंज से आए। सबसे पहले स्व. रघुनाथ ठाकुर आए। इसके बाद स्व.
रघुनाथ ठाकुर के तीन पुत्र आए। अभी तीनों सहोदर बोरिंग कैनाल रोड के पंचमुखी मंदिर
के बगल में सुधा मिल्क पार्लर के सामने हजामत बनाते हैं। आने वाले ग्राहकों को ईंट
पर बैठाते हैं। इसके बाद प्रेम से हजामत बनाते हैं।

स्वयं सहायता समूह की सदस्य हैं: ललन ठाकुर कहते हैं कि हमलोग की घरवाली स्वयं
सहायता समूह की सदस्य हैं। समूह से कर्ज लेती हैं। कम व्याज पर कर्ज मिलता है।
समूह से कर्ज लेने के बाद बच्चों की पढ़ाई आदि पर खर्च करती हैं। घर में खेती योग्य
जमीन नहीं है। एक जमीन के टुकड़े पर हमलोग छोटा-छोटा घर बनाकर रहते हैं। समझ ले कि
वह घर नहीं सुअर के बखौर है। काफी दिक्कत से जिन्दगी काट रहे हैं।
गरीबी के कारण ही फुटपाथ पर बैठे हैं: गरीबी के
घेरे में रहने के कारण पिताजी के साथ हमलोग भी फुटपाथ पर ही बैठकर हजामत बना रहे
हैं। 39 साल के
बाद लायक नहीं बन सके कि किराये के घर पर सैलून चला सकें। सरकार को चाहिए कि
हमलोगों को रोजगार करने के लिए अनुदान दें।
आलोक कुमार
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