Wednesday 15 October 2014

पुश्तैनी धंधा ढोने को बाध्य तीन सहोदर भाई


एक ने रास्ता बदलकर बन गए पुजारी

पटना। रोजगार की तलाश में पलायन करके वैशाली जिले के लालगंज से आए। सबसे पहले स्व. रघुनाथ ठाकुर आए। इसके बाद स्व. रघुनाथ ठाकुर के तीन पुत्र आए। अभी तीनों सहोदर बोरिंग कैनाल रोड के पंचमुखी मंदिर के बगल में सुधा मिल्क पार्लर के सामने हजामत बनाते हैं। आने वाले ग्राहकों को ईंट पर बैठाते हैं। इसके बाद प्रेम से हजामत बनाते हैं।

खैर, भारत काफी तरक्की कर गया। पहले चांद पर फतह किए। इसके बाद अब मंगल ग्रह पर यान भेजने में सफल हो गए। मगर स्व. रघुनाथ ठाकुर के पुत्रों की तकदीर और तस्वीर नहीं बदली। उमेश ठाकुर बताते हैं कि वैशाली जिले के लालगंज से वर्ष 1960 में मेरे पिताश्री स्व. रघुनाथ ठाकुर आए। इसके पश्चात वर्ष 1975 से हमलोग आने लगे। उस समय केवल डेढ़ रू. में दाढ़ी बनाते थे। जो अब बढ़कर 10 रू. हो गया है। इसी अल्प मजदूरी से परिवार की जरूरतों को पूर्ण करते हैं। आगे कहते हैं कि बिहार के मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर थे। अपने शासनकाल में नाई समुदाय का समुचित कल्याण और विकास ही नहीं किए। इसके कारण अपने हाल पर ही नाई समुदाय रह गए। इस समाजवादी देश में गरीब हैं तो और गरीब बनते चले जा रहे हैं। गरीबी विरासत से मिली है। उमा ठाकुर के एक लड़की और दो लड़के हैं। उमेश ठाकुर के तीन लड़की और एक लड़का है। ललन ठाकुर को तीन लड़के हैं। सरोज ठाकुर पुजारी बन गए हैं। इसमें दूसरी कक्षा उर्त्तीण करने वाले उमेश ठाकुर की पुत्री चांदनी कुमारी मैट्रिक उर्त्तीण करने में सफलता प्राप्त कर ली है। आज हमलोगों की तकदीर और तस्वीर नहीं बदली है।

स्वयं सहायता समूह की सदस्य हैं:  ललन ठाकुर कहते हैं कि हमलोग की घरवाली स्वयं सहायता समूह की सदस्य हैं। समूह से कर्ज लेती हैं। कम व्याज पर कर्ज मिलता है। समूह से कर्ज लेने के बाद बच्चों की पढ़ाई आदि पर खर्च करती हैं। घर में खेती योग्य जमीन नहीं है। एक जमीन के टुकड़े पर हमलोग छोटा-छोटा घर बनाकर रहते हैं। समझ ले कि वह घर नहीं सुअर के बखौर है। काफी दिक्कत से जिन्दगी काट रहे हैं।

गरीबी के कारण ही फुटपाथ पर बैठे हैं: गरीबी के घेरे में रहने के कारण पिताजी के साथ हमलोग भी फुटपाथ पर ही बैठकर हजामत बना रहे हैं। 39 साल के बाद लायक नहीं बन सके कि किराये के घर पर सैलून चला सकें। सरकार को चाहिए कि हमलोगों को रोजगार करने के लिए अनुदान दें।

आलोक कुमार



No comments: