पटना। इस समय देश में मिलावटी
स्वतंत्रता सेनानी हैं। एक स्वतंत्रता सेनानी देश पर कुर्बान हुए। द्वितीय
स्वतंत्रता सेनानी तो सत्ताधारी कांग्रेस से वफादारी करने के कारण हुए। वतन पर
कुर्बानी करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों की संख्या कम होती जा रही है। वहीं कांग्रेस
से वफादारी करने वाले स्वतंत्रता सेनारियों की संख्या कुकुरमुत्ते की तरह बढ़ती जा
रही है। इसका खुलासा स्वतंत्रता सेनानी और शिकक्ष राजेश्वर शर्मा ने किया। उनका
कहना है कि बिहार सरकार के द्वारा प्रदत्त राशि लेने जाते समय कम वय के स्वतंत्रता
सेनानियों को देखकर हैरत में पड़ जाते हैं।
दीघा थाने अन्तर्गत रेलवे कॉलोनी में
स्व.मोसाहेब सिंह के पुत्र राजदेव शर्मा (86 साल )रहते हैं। इनका जन्म 1928 में हुआ। आजादी के
वक्त 1947 में 19 साल के थे। पूर्व
केन्द्रीय मंत्री राज नारायण के द्वारा दर्ज मामले में पूर्व प्रधानमंत्री
इंन्दिरा गांधी जी जेल गयी थीं। तब राजदेव शर्मा ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के
आदेश से जेल जाने वाली इंदिरा जी के समर्थन में जमकर आंदोलन किए। 1977 में जनता दल के
सत्ता पर काबिज होने के बाद पुनः कांग्रेस के सत्तासीन हो गयी। इसके बाद इंदिरा जी
के समर्थन में आंदोलन करने वालों को स्वतंत्रता सेनानी का तगमा मिला।
स्वतंत्रता सेनानी बन गए राजदेव
शर्मा को 1 अगस्त 1980 से स्वतंत्रता
सेनानी की सुविधाएं और राशि मिलने लगी। इस बीच पटना विश्वविघालय से एम.एड उर्त्तीण
हो गए। शिक्षक पद पर बहाल राजदेव शर्मा शिक्षक पद से ही 1 जनवरी 1987 को अवकाश ग्रहण कर
गए। उस समय 59 साल के
थे। अभी पेंशन मिल रहा है। इस तरह स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षा विभाग से पेंशन
उठाने वाले राजदेव शर्मा को प्रोस्टेड कैंसर हो गया है। काफी कमजोर दिखते हैं।
आलोक कुमार
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