Friday 5 December 2014

मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के समक्ष 14 सूत्री मांग को लेकर विशाल प्रदर्शन




सेविका को 15 हजार और सहायिका को 10 हजार रू.मानदेय दों

आठ घंटे काम लो हमको वेतनमान दों

पटना। एटक सहित सभी श्रमिक संगठनों द्वारा आहूत राष्ट्रव्यापी प्रतिरोध दिवस के अवसर पर बिहार राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन के बैनर तले 14 सूत्री मांग को लेकर मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के समक्ष विशाल प्रदर्शन किया गया।
सूबे में एक आंगनबाड़ी केन्द्र में एक सहायिका और एक सहायिका कार्यरत हैं। इन दोनों की संख्या एक लाख 95 हजार है। सरकार के द्वारा सेविका को 3 हजार और सहायिका को 15 सौ रू.मिलता है। गगनचुम्बी मंहगाई में सेविका और सहायिका को काफी कम मानदेय मिलता है। 24 घंटे कार्यरत रहती हैं। पल्स पोलियो अभियान में योगदान रहा। आरएसबीवाई में भी मदद देती हैं। आजकल भारत से कुपोषण भगाने के अभियान में जुटी हैं। औरंगाबाद की सेविका सविता यादव का कहना है कि हमलोगों को ही तरह-तरह के अभियानों में जोड़ दिया जाता है। मगर हमलोगों की भूखमरी को दूर करने का प्रयास ही नहीं किया जाता है। लोकसभा में सवाल के जवाब में मंत्री मेनका गांधी का कहना है कि इनलोगों को स्थायी नौकरी में बहाल करने की योजना नहीं है। केन्द्र सरकार के द्वारा निर्धारित मानदेय में राज्य इजाफा करके देने से कोई एतराज नहीं है।

अपनी समस्याओं को लेकर 38 जिले के आंगनाबाड़ी केन्द्र की सेविका-सहायिका गांधी मैदान में जुटे। यहां से जुलूस निकालकर स्टेशन रोड से होते हुए आर.ब्लॉक चौराहा गए। वहां से जुलूस को आगे बढ़ने नहीं दिया गया। वहीं पर रूककर प्रदर्शन करने लगें। अपने संबोधन में सेविका-सहायिका ने अपनी मांग को मान लेनेे का आग्रह सरकार से किए।

 इस बीच बिहार राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन की अध्यक्ष उषा सहनी और महासचिव कुमार विन्देश्वर सिंह ने 14 सूत्री मांग का खुलासा किए। आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं को सरकारी कर्मचारी दर्जा देकर सेविका को 3 श्रेणी और सहायिका को 4 श्रेणी के कर्मचारी के रूप में समायोजित किया जाय। जबतक सरकारी कर्मचारी का दर्जा नहीं मिलता तबतक सेविका को 15 हजार और सहायिका को 10 हजार रू.मानदेय राशि दिया जाय। काम का समय निर्धारित कर आठ घंटे किया जाय। गोवा एवं अन्य राज्य सरकारों की तरह बिहार सरकार के द्वारा भी सेविका को 4200 और सहायिका को 2100 रू. अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि दिया जाय। श्रम कानूनों में संशोधन,निजीकरण,उदारीकरण,ठेका प्रथा,मानदेय प्रथा पर रोक लगायी जाय। सेविका को सुपरवाईजर एवं सहायिका को सेविका के पद पर पदोन्नति दिया जाय तथा उम्र सीमा समाप्त किया जाय। सेविका को पांच लाख एवं सहायिका को तीन लाख की बीमा सुविधा दिया जाय तथा स्वीकृत बीमा का क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाय। चयन रद्द करना बंद किया जाय तथा न्यायिक प्रक्रिया सुलभ बनाया जाय। बर्खास्त आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका की बर्खास्तगी वापस लिया जाय एवं चल रहे बर्खास्तगी की प्रक्रिया पर रोक लगायी जाय। सेवानिवृत, पेंशन,ग्रेच्यूटी और प्रोविडेंड फंड सहित सभी सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराया जाय। स्वास्थ्य चिकित्सा सुविधा एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना की सुविधा उपलब्ध करायी जाय। सेवाकाल में मृत्यु होने पर योग्यतानुसार अनुकंपा के आधार पर उनके आश्रितों की बहाली की जाय। तमाम आंगनबाड़ी केन्द्र का भवन निर्माण शीघ्र करवाया जाय जिसमें सभी आधारभूत सुविधा शामिल हो। प्रत्येक गांव,मुहल्लों, कस्बों में आंगनबाड़ी केन्द्र खोला जाय। आईसीडीएस का किसी तरह का निजीकरण नहीं किया जाय और गैर सरकारी संगठनों, स्वयं सहायता समूहों,कारपोरेट आदि को सौंपने की साजिश पर रोक लगायी जाय।


आलोक कुमार

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