Tuesday 6 January 2015

मोकामा की महारानी मां मरियम से 364 दिन दुआ मांगते


1 फरवरी,2015 को मरियम नगरी में जाकर देंगे धन्यवाद
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पटना। पटना जिले के सीमांत पर मोकामा है। यहां पर मोकामा की महारानी मां मरियम का तीर्थ स्थान है। मां मरियम से श्रद्धालु 364 दिन दुआ मांगते हैं। महारानी के समक्ष मांग रखते हैं। मन्नत उतारने श्रद्धालु 1 दिन मोकामा नगरी जाते हैं। इस साल 1 फरवरी ,2015 को मां मरियम तीर्थ यात्रा आयोजित की गयी है। अभी से ही जाने की तैयारी शुरू हो गयी है। राजधानी से आरक्षित बस रवाना की जाती है। पूर्व मध्य रेल महाप्रबंधक ए.के.मित्तल से आग्रह किया गया है। 1 फरवरी को विशेष रेल की व्यवस्था कर दें। 
23 से 31 जनवरी तक नवदिसीय प्रार्थना और मिस्साः मोकामा चर्च में 23 से 31 जनवरी तक नवदिवसीय प्रार्थना और मिस्सा पूजा आयोजित की जाएगी। प्रत्येक दिन 4 बजे अपराह्न से प्रार्थना शुरू की जाएगी। इसके बाद मिस्सा पूजा की जाएगी। परमप्रसाद भी वितरण किया जाएगा। 
त्योहार के अवसर पर अनेक धार्मिक आयोजनः जी हां,1 फरवरी को सुबह 6 बजे से पहला यूख्रीस्तीय समारोह। फादर ह्नदयराज के द्वारा संचालित चंगाई प्रार्थना एवं मिस्सा पूजा 9 बजे प्रारंभ। 1 बजे से मां मरियम की भव्य शोभा यात्रा और 2 बजे से पटना महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष विलियम डिसूजा येसु समाजी के नेतृत्व में महासमारोही यूख्रीस्तीय मिस्सा पूजा।  
विभिन्न जगहों से आने वाले लोग मनमर्जी करतेः झारखंड और बिहार के सुदूर गांव के लोग आते हैं। काफी भीड़ हो जाती है। लोग मनमर्जी से कार्य करते देखे जाते हैं। यह लोक आस्था है कि मोकामा की महारानी मां मरियम के नाम से किसी वस्तु की मांग की जाती हैं। तो उसे मां मरियम पूरी कर देती है। इसके आलोक में लोग मन्नत रखते हैं। लोगों की मांग मां मरियम के द्वारा पूरी कर देने के बाद मन्नत उतारने आते हैं। 
 ऐसे मन्नत उतारते हैं श्रद्धालुः यह बताते चले कि मां मरियम के समक्ष मन्नत रखने वाले ईसाई धर्मावलम्बी ही नहीं होते हैं। किसी भी सम्प्रदाय के लोगों को मां मरियम ने अपलिफ्ट की हैं। सब के सब आते हैं। मोमबत्ती जलाते और दान करते हैं। महारानी को चुनरी औढ़ाते हैं। महारानी को सोने का आभूषण भी चढ़ाते हैं। बच्चों का सिर मुंडन भी कराते हैं। यहां पर बिक्री होने वाली रोजरी खरीदकर घर ले जाते हैं। बोतल में बंद आशीष का पानी ले जाते हैं। 
हां-हां आपकी मनपंसदी भोजन की भी व्यवस्था हैः नास्ता और भोजना का स्टॉल रहता है। हां, कीमत से अधिक रकम वसूली जाती है। तब जाकर आप मनपंसद भोजन कर सकते हैं। बच्चों को आइसक्रीम,नौजवानों को कोल्ड ड्रिक्स और बुजुर्गों को चाय की व्यवस्था है। बस जेब ढीला करना पड़ेगा। 
यह मिलन स्थल भी बन जाता हैः  यहां पर यह देखा जाता है कि दो दिलों के मिलन स्थल और शादी करने का भी स्थल बन जाता है। कुछ भी हो ईसाई मिशनरियों को फायदा ही फायदा है। जो साल में एक बार जनसंख्या को प्रदर्शित करवाने में सफल हो जाते हैं। सरकार और राजस्व भूमि सुधार विभाग के नौकरशाहों को परास्त करने में सफल हो रहे हैं।
आलोक कुमार


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