30 दिनों के
अंदर एन.सी.सी.कैडेट संघ, बिहार की 4 सूत्री मांग पूर्ण हो
पटना।
एन.सी.सी. कैडेट को मिलने वाली बिहार पुलिस की भर्त्ती में प्राथमिकता समाप्त कर
दी है बिहार सरकार। सरकार ने वर्ष 2004 में
ब्रेक लगा दिया है।11 साल के बाद खिलाफत धरना और प्रदर्शन
करके किया गया है। लगे हाथ सरकार को अल्टीमेटम भी दे दिया गया है। अगर 30 दिनों के अंदर एन.सी.सी.कैडेट संघ, बिहार की 4 सूत्री मांग पूर्ण नहीं कर दी जाती,
तो एन.सी.सी.के अनुशासित सिपाही आमरण अनशन करने को बाध्य
हो जाएंगे।
एन.सी.सी.कैडेट
संघ, बिहार के अध्यक्ष अविनाश कुमार मिश्र ने कहा
कि वर्ष 2004 तक एन.सी.सी.कैडेट को बिहार पुलिस
की भर्त्ती में प्राथमिकता दी जाती थी। बहाली की परीक्षा में कुल 15 अंक लाना पड़ता है। 5 अंक
शारीरिक दक्षता , 5 अंक मेडिकल और 5 अंक लिखित परीक्षा में लाना पड़ता है। इसमें लिखित परीक्षा
में प्राथमिकता दी जाती थी। ‘सी’ प्रमाण-पत्र धारक को 5 अंक मिल जाता था। केवल 10 अंक के लिए शारीरिक और चिकित्सा संबंधी परीक्षा की दौर से गुजरनी पड़ती।
उसके बाद इसे समाप्त कर दिया गया। जब मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी जी 10 सितम्बर 2014 को बनमनखी में
आए थे। तो मुख्यमंत्री को स्मार पत्र पेश किया गया। मांग की गयी कि बिहार पुलिस की
भर्त्ती में एन.सी.सी.कैडेट को प्राथमिकता मिले। इस स्मार पत्र देने के तीन माह के
बाद भी सरकार के द्वारा पहल नहीं की गयी। बाध्य होकर भागलपुर समेत कोसी और सीमांचल
के एन.सी.सी.कैडेट ने मिलकर पूर्णिया में दिनांक 26 दिसम्बर 2014 को सरकार से अपनी मांग के समर्थन
में शांति पूर्ण ढंग से एक दिवसीय रैली एवं धरना-प्रदर्शन करते हुए पूर्णिया के
जिलाधिकारी को पुनः उसी मामले में एक ज्ञापन दिया और सरकार को विचार करने के लिए 15 दिनों का समय दिया गया। लेकिन सरकार के द्वारा कोई आश्वासन
नहीं मिलने से बाध्य होकर पूरे बिहार के एन.सी.सी.कैडेट धरना और प्रदर्शन करने को
बाध्य हैं।
हरेक साल
स्कूल और कॉलेज में डेढ़ लाख से अधिक छात्र-छात्राएं एन.सी.सी.कोर्स में शामिल होते
हैं। सभी छात्र-छात्राएं दिलचस्पी लेकर कोर्स में शामिल होते हैं। बस एक ही उम्मीद
है उज्जवल भविष्य बनाने का। उस पर बिहार सरकार ने पानी फेर दिया है। अब खुद ही
कैडेट सवाल उठाते हैं कि केन्द्र सरकार ने एन.सी.सी. के कैडेट को दुलारा है और
वहीं बिहार सरकार ने दुत्कारा है। इसके खिलाफ हमलोग एकजूट हो रहे हैं। अविनाश
कुमार मिश्र, पुष्पेन्द्र सिंह,मुकेश राम,पवेन्द्र कुमार,
मुकेश झा, प्रदीप कुमार,राजेश सिंह,राकेश कुमार,रोहन कुमार आदि ने कहा कि हमलोगों की मांग है कि बिहार पुलिस
एवं बिहार सैन्य पुलिस सिपाही भर्त्ती में एन.सी.सी. ‘सी’ प्रमाण पत्र धारी कैडेट को भारतीय
सेना बहाली की तरह लिखित परीक्षा माफ हो। वहीं ‘ए’ प्रमाण -पत्र धारी को 10 अंक, ‘बी’ प्रमाण-पत्र धारी कैडेट को 20 अंक मेरिट में प्रदान किया जाय। बिहार गृह रक्षा वाहिनी में भर्त्ती में
सीधे तौर पर बिना किसी प्रतियोगिता के एन.सी.सी.‘सी’ प्रमाण-पत्र धारी कैडेट की नियुक्ति
सुनिश्चित हो। वहीं ए-बी प्रमाण-पत्र धारी कैडेट को मेरिट में अंक प्रदान किया
जाय। बिहार पुलिस के दरोगा भर्त्ती में एन.सी.सी. सी प्रमाण-पत्र धारी कैडेट को
मेरिट में 30 प्रतिशत अंक प्रदान किया जाय। वहीं
ए प्रमाण-पत्र धारी को 10 अंक और बी
प्रमाण-पत्र धारी को 20 अंक दिया जाय। एन.सी.सी.के बेस्ट
कैडेट, गणतंत्र दिवस परेड,थल सेना कैंप, राज पथ मार्च में सफल कैडेट को बिहार
पुलिस में कैडेट की आयु और योग्यता के अनुसार अविलम्ब नियुक्ति सुनिश्चित की जाय।
बिहार सरकार से अपील की गयी है कि इस मांग को बिहार विधान सभा में सर्व सम्मति से
पारित किया जाय। एन.सी.सी. कैडेट का बिहार पुलिस में कोटा रिजर्व किया जाय।
एन.सी.सी.कैडेटों
को लिखित परीक्षा माफ हैः एक कॉलेज के कैडेट छात्र भी है। पढ़ाई के साथ-साथ 3 साल तक एन.सी.सी. के क्रियाकलाप में भी शामिल रहता है। वह
सिविल प्रशासन एवं सामाजिक एकता, प्राकृतिक आपदा
में हमेशा अपना योगदान देने में आगे रहता है। तीन साल में एकता और अनुशासन चरित्र
निर्माण में बड़ा महत्व मिलता है। वहीं पर अत्याधुनिक हथियार चलाना, युद्ध विघा , साहसिक प्रशिक्षण,
सामाजिक जागरूकता फैलाने इत्यादि में महारथ हासिल रहता
है।एन.सी.सी.के प्रथम वर्ष की परीक्षा में उर्त्तीण होने पर ‘ए’ प्रमाण-पत्र मिल जाता है। द्वितीय
वर्ष में ‘बी’ और तृतीय
वर्ष में ‘सी’ प्रमाण-पत्र
मिलता है। केन्द्र सरकार के द्वारा 75 प्रतिशत और
राज्य सरकार के द्वारा 25 प्रतिशत खर्च
किया जाता है। तब जाकर 1 साल में 1 कैडर पर 25 से 35 हजार रूपए व्यय
हो पाता है। एन.सी.सी. के ‘सी’ प्रमाण-पत्र धारक को भारतीय सेना के सिपाही में भारतीय सेना
की सिपाही में भर्त्ती होने के समय एन.सी.सी.कैडेटों को लिखित परीक्षा माफ है।
शारीरिक दक्षता और मेडिकल परीक्षा में लागू है।
आलोक कुमार
No comments:
Post a Comment