पटना।
हादसा होते - होते
टल गया। पूर्व
मध्य रेलवे के
द्वारा पटना घाट
से दीघा घाट
( पी .- डी .) तक
डीएमयू शहीद गाड़ी
चलायी जाती है।
इंसान और जानवरों
से पी .- डी .
रेलखंड को खतरा
है। इसके कारण
चालक सीटी बजाकर
ही गाड़ी चलाते
रहते हैं। बिना
सीटी से रेलगाड़ी
चलाना खतरे से
खाली नहीं है।
अब तो चालक
को सीटी ही
बजानी पड़ती है।
रेलखंड पर नजर
रखनी पड़ती है।
दीघा घाट हॉल्ट
से आगे रेल
पटरी धंस गयी
है। गाड़ी चलाने
वाले चालक की
सुझबुझ से पटरी
जोड़ टूटकर धंसी
पटरी को देखकर
गाड़ी में ब्रेक
लगा दिया। इस
तरह संभावित हादसा
होते - होते टल
गया।
बिहार
में सत्तर के
दशक में कांग्रेस
के खिलाफ विपक्षियों
ने मोर्चा। विपक्षियों
के संगठनात्मक प्रयास
से नब्बे के
दशक में कांग्रेस
को सत्ता से
खदेड़कर लालू प्रसाद
यादव मुख्यमंत्री बन
गए। चारा घोटाला
में घसीटे जाने
वक्त अपनी धर्मपत्नी
राबड़ी देवी को
कीचन से निकालकर
मुख्यमंत्री बना दिए।
इसके बाद राजद
अपने कुशासन के
दलदल में फंसकर
कमजोर हो गया।इस
कमजोरी का फायदा
मजबूती से 74 आंदोलन के
दोस्त और छोटे
भाई नीतीश कुमार
ने उठाया। बिहार
से सत्ता से
बेदखल होने के
बाद लोक सभा
में लालू प्रसाद
यादव पहुंच गए।
बिहार में कांग्रेस
का विरोध करने
वाले चतुर राजनीतिज्ञ
लालू ने केन्द्र
में कांग्रेस से
दोस्ती कर ली।
केवल दोस्ती ही
नहीं किए वरण
रेलवे मंत्रालय भी
हथिया लिए ।

अब
दीघा घाट से
गुलजारबाग जाने तक
दो रू 0 और
इसके आगे जाने
पर तीन रू 0
लिया जाता है।
पटना घाट से
गाड़ी 8 बजकर 20 मिनट में
खुलती है। सभी
स्टेशनों और हॉल्टों
पर रूकते हुए
दीघा हॉल्ट पर
9 बजकर 45 मिनट पर
पहुंची है। कुछ
ही समय के
बाद प्रस्थान कर
जाती है। गाड़ी
आर 0 ब्लॉक पर
रूक जाती है।
यहां पर उतरकर
स्टेशन जाने वालों
को रिक्सा को
30 रू 0 देना पड़ता
है । इसी
के कारण मुसाफिर
इस गाड़ी से
मोहभंग कर लेते
हैं। सीधे पटना
घाट तक परिचालन
करके वापस आने
पर परिचालन सफल
हो जाता मगर
ऐसा डी 0 आर 0 एम 0, दानापुर
के द्वारा नहीं
किया जाता है।
इससे लोगों में
आक्रोश व्याप्त है। कोई
6-7 घंटा विश्राम करके पुनः
आर 0 ब्लॉक से
4 बजकर 40 मिनट पर
खुलती है। जो
दीघा पहुंचकर आर 0 ब्लॅाक तक पहुंची
है। उसके बाद
पटना स्टेशन से
राजेन्द्र नगर , गुलजारबाग ,
पटना सिटी और
पटना घाट तक
किया गया।
इस
रूट पर सात
हॉल्ट दीघा , राजीव
नगर , शिवपुरी , पुनाईचक ,
बेलीरोड , पुराना सचिवालय और
आर 0 ब्लॉक हॉल्ट
पर टिकट काउंटर
बनाया गया। जो
टूट चुका है।
टिकट काउंटर नहीं
रहने के कारण
यात्री टिकट कटवाते
ही नहीं है।
इन यात्रियों का
अच्छे दिन आ
गए हैं।
Alok
Kumar
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