Monday 16 March 2015

यूपीए सरकार के द्वारा निर्मित भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के तहत जमीन का अधिग्रहण करें



1894 में अंग्रेजों के द्वारा निर्मित भूमि अधिग्रहण कानून में तमाम अधिकार सरकार के पास

2013 में यूपीए सरकार के द्वारा निर्मित भूमि अधिग्रहण कानून के तमाम अधिकार किसानों के पास

2015 में एनडीए सरकार के द्वारा निर्मित भूमि अधिग्रहण कानून के तमात अधिकार कॉपेरेट के पास

पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं। लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी के शिष्य भी हैं। 1974 में छात्र आंदोलन में अहम भूमिका अदा किए। उस समय खुलेआम सड़क पर आंदोलन किया करते थे। अब जबकि मुख्यमंत्री हैं। रंक किसान-मजदूरों के आंदोलन नीतीश राजा ने अनोखे ढंग से लड़ा। एयर कंडिनेशन वाले कक्ष में नीतीश राजा आंदोलन किए। 24 घंटे तक उपवास किए। मगर भोर में ही अनशन तोड़कर चले गए। सभी लोगों को धन्यवाद किए।

मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि 1894 में अंग्रेजों के द्वारा निर्मित भूमि अधिग्रहण कानून में तमाम अधिकार सरकार के पास थी। 119 साल के बाद 2013 में यूपीए सरकार के द्वारा निर्मित भूमि अधिग्रहण कानून के तमाम अधिकार किसानों के पास कर दिए थे। अगर आपको किसानों की जमीन लेनी है तो 80 प्रतिशत लोगों की सहमति लेनी है। साथ ही सामाजिक प्रभाव का अवलोकन भी करना है।यूपीए सरकार के भूमि अधिग्रहण कानून में एनडीए सरकार का समर्थन प्राप्त था। इसका श्रेय भी एनडीए के द्वारा लिया जाता था। अब मात्र दो साल के अंदर 2015 में एनडीए सरकार के द्वारा निर्मित भूमि अधिग्रहण कानून के तमात अधिकार कॉपेरेट के पास देने के लिए कानून में संशोधन करने पर अमादा है। इस तरह के काला कानून को लागू करने नहीं देंगे।

जेपी आंदोलन में जेल जाने वालों के संग न्याय करेंः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जेपी आंदोलन में जेल जाने वालों को सम्मानित किया है। मुख्यमंत्री ने केवल मीसा और डीआईआर में जेल जाने वालों को सम्मानित किया है। मुख्यमंत्री ने सीसीए के तहत जेल में जाने वालों को हाशिए पर ही छोड़ दिया है। ऐसे लोग जेपी आंदोलन के दौरान सीसीए के तहत जेल गए थे। मगर सरकार ने (सीसीए) के तहत जेल जाने वाले को सम्मानित करने के बदले अपमानित कर रखा है। मुख्यमंत्री से आग्रह है कि सीसीए के तहत जेल जाने वालों को सम्मानित कर पेंशन देने की घोषणा कर दें।

दीघा क्षेत्र के राजीव नगर में 1441 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया है। उन किसानों को जमीन की कीमत नहीं दी गयी। यहां तक सामाजिक प्रभाव का अवलोकन भी नहीं किया गया। अब तो यहां के किसान जमीन नहीं बेचने के मूड में है। अंग्रेजों के द्वारा निर्मित कानून के तहत बिहार राज्य आवास बोर्ड ने अधिग्रहण कर रखा है। अब जरूरत है कि यूपीए सरकार के द्वारा निर्मित भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के तहत जमीन का अधिग्रहण करें।


आलोक कुमार

No comments: