महिलाओं ने
शर्बत
पिलाकर
उपवास
तोड़वाया
चार दिनों
तक
न
मंत्री
आए
और
न
ही
संतरी
भोपाल। यहां
के
नीलम
पार्क
में
प्रसिद्ध
गांधीवादी
विचारक
राजगोपाल
पी.व्ही.
उपवास
कर
रहे
थे।
प्रसिद्ध
गांधीवादी
मायुष
होकर
उपवास
तोड़
दिए।
महिलाओं
ने
शर्बत
पिलाकर
उपवास
तोड़वाया।
मगर
सीएम
और
अधिकारियों
के
बर्ताव
से
हताश
दिखे।
गांधीवादी
तरीके
से
सत्याग्रह
करने
वालों
को
तवज्जों
ही
नहीं
दिया
गया।
अब
नए
सिरे
से
आंदोलन
करने
का
शंखनाद
किया
गया
है।
एकता
परिषद
के
राष्ट्रीय
संयोजक
अनीष
कुमार
ने
बताया
कि
संगठन
के
सभी
मांगों
पर
राज्य
सरकार
ने
निर्णय
नहीं
लिया
है,
इसलिए
अब
गांव-गांव
में
पोस्टकार्ड
लिखो
अभियान
चलाया
जाएगा।
15 अगस्त
को
सांसदों
एवं
विधायकों
का
घेराव,
11 सितंबर को जिला
स्तरीय
प्रदर्शन
एवं
रैली
का
आयोजन
और
2 अक्टूबर
को
राजधानी
भोपाल
में
चक्का
जाम
किया
जाएगा।अब
देखना
है
कि
सरकार
का
रवैया
किस
प्रकार
का
रहता
है।
जी हां,
यहां
के
नीलम
पार्क
में
प्रसिद्ध
गांधीवादी
विचारक
राजगोपाल
पी.व्ही.
उपवास
कर
रहे
थे।
मध्यप्रदेश
ही
एकता
परिषद
की
कार्य
स्थली
रही
है।
वर्तमान
मुख्यमंत्री
शिवराज
सिंह
चौहान
एकता
परिषद
को
जानते
और
पहचानते
हैं।
और
तो
और
सीएम
चौहान
बुनियादी
मुद्दों
से
भी
परिचित
हैं।
जब
सीएम
अमेरिका
प्रवास
में
थे।
तब
उन्होंने
2007 में
अमेरिका
से
जनादेश
में
शामिल
पदयात्रियों
को
टेलिफोन
से
ही
संबोधित
किए
थे।
बहुत
अच्छा
लगा
कि
सात
समंदर
दूर
रहने
पर
भी
सीएम
आदिवासियों
को
भूले
नहीं
हैं।
और
न
ही
वनवासी
लोगों
को
वनभूमि
में
बसाने
संबंधी
निर्णय
को
अमल
करने
का
वादा
ही
छोड़े
हैं।
सभी
लोगों
को
उम्मीद
बनी
थी।
हमलोगों
के
सीएम
जल,जंगल
और
जमीन
के
मुद्दे
का
समाधान
कर
देंगे।
देखते
ही
देखते
8 साल
गुजर
गए।
परन्तु
सीएम
आदिवासियों
की
समस्या
दूर
नहीं
कर
सके।
सीहोर
जिले
के
नसरूल्लागंज
के
डोंगलापानी
गांव
से
आए
खुमान
सिंह
बारेला
आदिवासी
ने
बताया
कि
उनके
गांव
के
लगभग
200 लोग
पीढ़ियों
से
वन
भूमि
पर
खेती
करते
आ
रहे
हैं,
पर
जब
उन्होंने
वन
अधिकार
के
तहत
पट्टे
के
लिए
दावा
किया
तो
उसे
निरस्त
कर
दिया
गया।
पूछने
पर
अधिकारी
यह
नहीं
बताते
कि
दावा
निरस्त
क्यों
हुआ
और
उनका
अधिकार
कैसे
मिलेगा?अब
सीएम
भी
अधिकारियों
के
राह
पर
अग्रसर
हो
गए
हैं।चार
दिवसीय
उपवास
करने
वालों
की
सुधि
लेने
सीएम
नहीं
आए
और
न
अधिकारियों
को
ही
आदेश
दिए
कि
कुछेक
लोगों
को
बुलाकर
लाए
और
सीएम
वार्ता
करेंगे।
प्रदेश में
जमीन
संबंधी
समस्याओं
के
निराकरण
नहीं
किए
जाने
और
किसानों
से
जमीन
छिनकर
उद्योगपतियों
के
हवाले
करने
के
लिए
बनाए
जा
रहे
कानून
के
खिलाफ
एकता
परिषद
द्वारा
आयोजित
धरने
एवं
उपवास
को
देश
भर
से
समर्थन
मिला।
कई
दशक
से
गांधीवादी
विचारक
राजगोपाल
पी.व्ही.
किसानों
और
मजदूरों
के
बीच
में
कार्यरत
और
आंदोलनरत
हैं।
जैसे
खुमान
सिंह
प्रदेश
में
लाखों
आदिवासी,
किसान
एवं
वंचित
समुदाय
के
लोग
जमीन
संबंधी
समस्याओं
से
जूझ
रहे
हैं।
हमसे
प्रदेश
के
मुख्यमंत्री
ने
संवाद
के
लिए
संपर्क
किया
गया
था।
जब
हम
कल
उनसे
मिले
तो
हमने
कहा
कि
पहले
के
विस्थापितों
का
पुनर्वास
हो
और
जमीन
संबंधी
समस्याओं
का
निराकरण
किया
जाए,
तब
नई
योजनाओं
को
लाया
जाए।
पर
हम
देख
रहे
हैं
कि
गरीबों
को
अधिकार
देने
के
बजाए
एक
के
बाद
एक
आ
रही
कंपनियों
को
जमीन
दी
जा
रही
है
और
उनके
लिए
नियम
बनाए
जा
रहे
हैं।
हमने
मुख्यमंत्री
से
कहा
कि
यदि
आपके
पास
समय
नहीं
है
तो
सामाजिक
संगठनों
के
साथ
राज्य,
जिला
एवं
तहसील
स्तर
पर
सरकार
एक
सशक्त
समिति
का
गठन
करे,
जो
इन
समस्याओं
का
त्वरित
समाधान
करे।
मुख्यमंत्री
ने
कहा
कि
भूमि
समस्या
पर
टास्क
फोर्स
गठित
करेंगे
और
भूमि
सुधार
आयोग
बनाएंगे।
हम
देखना
चाहते
हैं
कि
सरकार
इस
पर
कितनी
जल्द
अमल
करती
है।
हम
सरकार
पर
नैतिक
दबाव
देने
के
लिए
यहां
उपवास
पर
बैठे
हैं,
पर
यदि
सरकार
ने
ध्यान
नहीं
दिया
तो
हम
संख्या
बल
के
आधार
पर
प्रदर्शन
करेंगे।
एकता परिषद
के
राष्ट्रीय
अध्यक्ष
डॉ.
रन
सिंह
परमार
ने
कहा
कि
पिछले
10 सालों
में
हमने
कई
बड़े
राष्ट्रीय
आंदोलन
कर
भारत
सरकार
को
भूमि
सुधार
के
लिए
मजबूर
किया,
जिसके
बाद
सरकार
ने
कुछ
काम
किए
और
कुछ
अधूरे
हैं,
पर
उस
अनुरूप
मध्यप्रदेश
में
भूमिहीनों
के
लिए
काम
नहीं
हुआ।
आज
भी
वंचितों
को
अधिकार
देने
के
बजाए
उन्हें
सरकारी
कर्मचारियों
द्वारा
परेशान
किया
जा
रहा
है।
किसान
नेता
शिवकुमार
शर्मा
‘कक्काजी’ ने कहा
कि
प्रदेश
में
पिछले
डेढ़
महीने
में
72 किसानों
ने
आत्महत्या
कर
ली।
प्रदेश
में
साढ़े
13 लाख
भूमि
संबंधी
प्रकरण
चल
रहे
हैं,
जिससे
किसान,
आदिवासी
एवं
भूमिहीन
परेशान
हैं।
फसलें
बर्बाद
होने
किसानों
को
बीमा
की
राशि
नहीं
मिली
रही
है,
क्योंकि
राज्य
सरकार
ने
इसमें
अपने
हिस्से
की
राशि
जमा
नहीं
की
है।
उद्योगपतियों
पर
ध्यान
देने
वाली
सरकार
गरीबों
एवं
किसानों
की
समस्या
पर
ध्यान
नहीं
दे
रही
है।
आलोक कुमार
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