Friday 6 November 2015

झारखंडी डोमिसाइल नीति लागू करने की मांग


राज्यपाल को 12 सूत्री मांग-पत्र सौंपा

जमशेदपुर। झारखंडी शहीदों का सपना- अबुआ दिशुम, अबुआ राजको सच बनाने में झारखंड सरकार सहयोग करें। अन्यथा गद्दी छोड़े।झारखंडियों ने विस्थापित होने के लिए नहीं बल्कि मर्यादा के साथ जीने और स्थापित होने के लिए झारखंड प्रदेश की मांग की थी। विकास के नाम से बारम्बार विस्थापन-पलायन लानेवाली विनाशकारी विकास के मॉडल को रद्द कर पहले गुणवतापूर्ण शिक्षा,स्वास्थ्य,रोजगार,कुषि तथा जंगलों को समृद्ध किया जाय। सरना धर्म के पूजास्थलों (जाहेस्थान,सरना,देशाउली आदि) को सालखन मुर्मू के आग्रह (13.10.2015) पर रघुवर दास,माननीय मुख्यमंत्री द्वारा संरक्षित और समृद्ध करने के सरकारी फैसला (20.10.2015) के लिए सरकार को धन्यवाद। मगर सरना धर्म(प्रकृति पूजा) की मान्यता और जनगणना में कॉलम-कोड अविलम्ब प्रदान किया जाय। झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को 12 सूत्री मांग-पत्र सौंपा।
 
आदिवासी सेंगेल अभियान और झारखंड दिशोम पार्टी के संयुक्त तत्वावधान में गुरूवार को चाईबासा रैली और जनसभा में कोल्हान की रक्षा हेतु झारखंडी जन की तरफ से 12 सूत्री मांग-पत्र ,झारखंड सरकार को त्वरित सकारात्मक कार्रवाई हेतु सुपुर्द किया गया।

आदिवासी सेंगेल अभियान और झारखंड दिशोम पार्टी के संयुक्त 12 सूत्री मांग-पत्र में कहा गया है कि झारखंड सरकार,झारखंड स्थापना दिवस,15 नवम्बर तक झारखंडी डोमिसाइल नीति लागू करे नहीं तो 15 दिसम्बर,2015 तक प्रखंडवार बहाली के रास्ता को अपनायें,घोषणा करें। इसमें न खतियान का झंझट,न आधार-वर्ष की खींचातानी है।

विकास के नाम से बारम्बार विस्थापन-पलायन लानेवाली विनाशकारी विकास के मॉडल को रद्द कर पहले गुणवतापूर्ण शिक्षा,स्वास्थ्य,रोजगार, कृषि तथा जंगलों को समृद्ध किया जाय। पूर्व में हुए विस्थापितों को पहले न्याय और पुनर्वास मिले तभी विस्थापन-पलायन लानेवाली नयी परियोजनाओं पर विचार किया जाय। झारखंडियों ने विस्थापित होने के लिए नहीं बल्कि मर्यादा के साथ जीने और स्थापित होने के लिए झारखंड प्रदेश की मांग की थी।
सभी नौ झारखंडी भाषाओं को समृद्ध करने के लिए प्राइमरी से विश्वविघालय तक इसके पठन-पाठन,शिक्षा नियुक्ति और सभी नियुक्ति परीक्षा में इनको शामिल किया जाय। अन्यथा झारखंड की पहचान धूमिल हो जायेगी।

सरना धर्म के पूजास्थलों (जाहेस्थान,सरना,देशाउली आदि) को सालखन मुर्मू के आग्रह (13.10.2015) पर रघुवर दास,माननीय मुख्यमंत्री द्वारा संरक्षित और समृद्ध करने के सरकारी फैसला (20.10.2015) के लिए सरकार को धन्यवाद। मगर सरना धर्म(प्रकृति पूजा) की मान्यता और जनगणना में कॉलम-कोड अविलम्ब प्रदान किया जाय।

ईचा-खड़काई डैम परियोजना को रद्द किया जाय। चूंकि यह 126 गांवों को विस्थापन-पलायन के लिए मजबूर करेगा। सभी गांवों को निगल जायेगा।

मुख्यमंत्री झारखंड द्वारा चाईबासा में 18 जून,2015 को घोषित तीन स्टील प्लांट आदि कोल्हान क्षेत्र में स्थापित होंगे तो कोल्हान के झारखंडी तबाह हो जायेंगे। अतः इसे रद्द किया जाय।

दलमा-पहाड़ के इर्द-गिर्द बसे 136 गांवों को ईको-सेनसिटिब जोन के नाम पर उजाड़ने का सरकारी प्रस्ताव रद्द हो।
संविधान ( 5 वीं अनुसूची) कानून(पेसा सीएनटी/एसपीटी,भूमि अधिग्रहण कानून,2014,समता फैसला आदि) मानवाधिकारों आदि का उल्लंघन कर दिये गये सभी लीज,सब लीज रद्द हो। (जैसे -ग्राम मुरूमडीह, थाना/प्रखंड-राजनगर,जिला-सराईकेला-खरसवा, में दिये गये पत्थर -लीजआदि)।

सराईकेला विधान-सभा क्षेत्र के राजनगर एवं सराईकेला प्रखंड क्षेत्र में एआईएडीए का विस्तार और मेकन स्टील प्लांट निर्माण-रद्द हो।

जन साधारण और गरीबों के लिए बने मनरेगा कानून,खाघ सुरक्षा कानून,वन अधिकार कानून आदि को सख्ती से लागू करें। दोषीदारों को कड़ी सजा प्रदान करें।

कोल्हान और संपूर्ण झारखंड में संविधान,कानून,मानवाधिकारों का उल्लघंन बन्द हो। उल्लघंन करने वाले अफसरों और संबंधित दोषी पक्षों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जाय। लगभग 6 हजार निर्दोष आदिवासी नक्सली के संदेह पर झारखंड के जेलों में बंद है। उन्हें अविलम्ब रिहा किया जाय।

बिरसा मुंडा,सिदो मुर्मू और अन्य झारखंडी शहीदों का सपना- अबुआ दिशुम, अबुआ राजको सच बनाने में झारखंड सरकार सहयोग करें। अन्यथा गद्दी छोड़े।

मांग-पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में पूर्व सांसद एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू (एएसए,जेडीपी), जेडीपी के पश्चिमी सिंहभूम के जिलाध्यक्ष भगवान सिंकु इसी के पूर्वी सिंहभूम के जिलाध्यक्ष जूनियर मुर्मू, जेडीपी के सराईकेला-खरसवा के जिलाध्यक्ष सुगनाथ हेम्ब्रोम, जेडीपी के प्रदेश उपाध्यक्ष सुबोतो प्रधान, इसी के पश्चिम सिंहभूम के जिला महामंत्री विनोद गोप, इसके प्रदेश संगठन मंत्री सूबेदार बिरूवा, एएसए के प्रदेश संयोजक बिमो मुर्मू और सोनाराम सोरेन है।
आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा, दीघा घाट,पटना।

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