Wednesday 5 August 2015

रसोईया सीया देवी को पांच माह से मानदेय नहीं मिल रहा है

पटना। बिहार राज्य मध्याह्न भोजन रसोईया संयुक्त संघर्ष समिति ने तीन दिनों का आंदोलनकारी कार्यक्रम तय किया। सूबे के 38 जिले में कार्यरत रसोईया किचन बंद करके पटना आए थे। राजकीय प्राथमिक विघालय,लोदीपुर नारायण,बाजितपुर कनैल,मोरवा,समस्तीपुर से सीया देवी भी आंदोलन में भाग लेने आयी थीं। अपने डेढ़ साल का आकाश कुमार को भी सीया देवी साथ लायी थीं। पूजा कुमारी और बादल कुमार को पिताश्री कारू पासवान के जिम्मे घर में ही छोड़कर आयीं हैं। राजकीय प्राथमिक विघालय में पूजा कुमारी और आंगनबाड़ी केन्द्र में बादल कुमार पढ़ता है।

रसोईया सीया देवी कहती हैं कि राजकीय प्राथमिक विघालय में डेढ़ साल से कार्यरत हैं। पिछले 5 माह से मानदेय नहीं मिल रहा है। इससे घर में परेशानी बढ़ गयी है। हमलोग 12 महीने काम करते हैं तो 10 माह का ही मानदेय दिया जाता है। 2 माह के मानदेय के बारे में जानकारी नहीं है कि वह 2 माह का मानदेय किस की जेब में चला जाता है। सीया देवी कहती हैं कि राजकीय प्राथमिक विघालय के शिक्षकों को मोटी रकम मिलती है। तब भी हमलोगों के मानदेय पर आंख लगायी रहती है। सरकार के द्वारा 1 हजार रूपए मानदेय निर्धारित किया गया है। जो प्रत्येक दिन 27.40 पैसा पड़ता है। सरकार के द्वारा घोषित न्यूनतम मजदूरी से काफी कम है। इस पर तो माननीय पटना उच्च न्यायालय को स्वतः संज्ञान ले लेना चाहिए। हमलोग राजकीय प्राथमिक विघालय के शिक्षकों से पहले स्कूल में आ जाते हैं। साफ-सफाई करने के बाद ही खाना बनाना शुरू करते हैं।

रसोईया सीया देवी कहती हैं कि घर की माली हालत खराब रहने के कारण आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई की हैं। घर और स्कूल में चूल्हा फूंकते हैं। लकड़ी पर खाना बनता है। प्रधानमंत्री कहते हैं कि अगर आपलोग एलपीजी के सब्सिडी छोड़ देंगे तो लकड़ी से खाना बनाने वाले परिवार में एलपीजी उपलब्ध करवा देंगे। प्रधानमंत्री महोदय अव्वल मिड डे मील वाले स्कूलों में एलपीजी उपलब्ध करवा दें। हमलोग परेशानी से खाना बनाते हैं। इतना सीया देवी कहती ही थीं कि नन्हा आकाश कुमार स्तनपान (दूध) के लिए रोने लगा। सीया देवी आकाश कुमार को दूध पीलाने लगती हैं। छोटे-छोटे बच्चों के साथ अनेकों रसोईया आंदोलन में शिरकत करने आयी हैं। सभी नारा बुलंद करती हैं। अधिकांश नारा सीएम के विरूद्ध में ही है। उनसे आग्रह करते हैं कि काम को नियमित करके वाजिब वेतनमान निर्धारित करें। इस समय मंहगाई आकाश में चढ़ गयी है। प्याज खरीदने जाने में आंसू बहाना पड़ता है। 1 हजार रू. मानदेय तो मान देने में असमर्थ है।

आलोक कुमार

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